अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली सचिवालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, कि मुझे बेहद ही अफसोस है, कि लगातार अखबारों में और न्यूज चैनल के माध्यम से यह खबर चल रही है, कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में जो दवाइयां और अन्य उत्पाद इस्तेमाल होते हैं, उनके कुछ नमूनों के मानक सही नहीं पाए गए हैं और इतना कुछ होने के बावजूद अभी तक दिल्ली के उप राज्यपाल ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाया है। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 9 मार्च को मैंने मंत्री पदभार संभाला था और मार्च के महीने में ही स्वास्थ्य सचिव, डीजीएचएस एवं अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ एक बैठक की। उन्होंने बताया कि बैठक के दौरान मैंने स्वास्थ्य सचिव को यह आदेश दिया, कि जो भी दवाइयां और अन्य जरूरत के समान दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खरीदे जाते हैं, उन सभी का एक ऑडिट कराया जाए। उन्होंने बताया कि इस मीटिंग में मेरे द्वारा दिए गए आदेश और लिए गए अन्य सभी फैसले मिनिट्स आफ मीटिंग में बनकर 3 अप्रैल को प्रकाशित भी हुए।
परंतु स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया और किसी प्रकार का कोई भी ऑडिट दवाइयां की खरीद फरोख्त के संबंध में नहीं कराया गया। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि जुलाई में इस बैठक में दिए गए निर्देशों का संज्ञान लेते हुए, फिर दोबारा एक रिमाइंडर स्वास्थ्य सचिव को मेरे द्वारा भेजा गया, कि क्यों नहीं अब तक आदेशों का पालन किया गया और क्यों नहीं दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खरीदी जाने वाली दवाईयां तथा अन्य वस्तुओं का ऑडिट कराया गया। परंतु रिमाइंडर देने के बावजूद भी स्वास्थ्य सचिव ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैंने कई बार स्वास्थ्य सचिव को दवाइयां की खरीद फरोख्त के संबंध में ऑडिट करने के लिए आदेश दिए, परंतु स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार की ओर से कोई ऑडिट नहीं कराया गया और ना ही किसी प्रकार की कोई रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय में जमा कराई गई। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा इससे साफ प्रतीत होता है कि मंत्री तो चाहता है, कि यदि दवाइयां की खरीद फरोख्त में किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी हो रही है, तो उसका खुलासा हो और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जा सके, परंतु इस पूरे प्रकरण से ऐसा प्रतीत होता है कि स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार नहीं चाहते की दवाइयां की खरीद फरोख्त की ऑडिट की जाए और यदि दवाइयों की खरीद फरोख्त में कोई गड़बड़ी हुई है तो वह सामने आए। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली के उपराज्यपाल से और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि एक विभाग का मंत्री लगातार स्वास्थ्य सचिव को ऑडिट के लिए आदेश पर आदेश दे रहा है, परंतु स्वास्थ्य सचिव द्वारा ऑडिट नहीं कराया जा रहा है जिससे की साफ प्रतीत होता है, कि यदि दवाइयां की खरीद फरोख्त में कोई गड़बड़ी हुई है, जैसा कि एलजी कह रहे हैं, तो क्या उपराज्यपाल को और केंद्र में बैठी भाजपा सरकार को इन दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लगातार बार-बार रिमाइंडर भेजने के बावजूद मुख्य सचिव एसबी दीपक कुमार द्वारा कोई ऑडिट नहीं कराया गया, अब मैं उपराज्यपाल से भी यह जानना चाहता हूं कि यदि अब इस संबंध में कोई जांच कराई भी जाती है, वह भी उसी अधिकारी के पद पर बने रहते हुए जो की खुद इस मामले में दोषी है, तो क्या यह जांच निष्पक्ष रूप से हो सकेगी ? क्या दोषी अधिकारी इस जांच में गड़बड़ी नहीं करेगा? इस बात को कौन और कैसे आश्वस्त करेगा। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने केंद्र सरकार से और उपराज्यपाल से प्रश्न पूछते हुए कहा, कि एक बात बिल्कुल समझ के परे हैं, कि आखिर भाजपा शासित केंद्र सरकार इन दोषी अधिकारियों को बचाने में क्यों लगी हुई है? उन्होंने कहा कि एसबी दीपक कुमार जो कि स्वास्थ्य विभाग के सचिव हैं, उनका यह कर्तव्य है कि समय-समय पर वह विभाग की कार्यवाहियों की जांच करते रहें, दवाइयों की खरीद फरोख्त की जांच करते रहे, परंतु उन्होंने अपने कर्तव्य का पालन ठीक तरीके से नहीं किया I मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एक मंत्री होने के नाते जब मैंने भी स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार को दवाइयों की खरीद फरोख्त की ऑडिट करने के आदेश दिए और कई बार इस संबंध में रिमाइंडर भी भेजे, बावजूद उसके एसबी दीपक कुमार ने कोई जांच या ऑडिट क्यों नहीं करवाई ? मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं दिल्ली की चुनी हुई सरकार में मंत्री हूं और मेरे पास सात विभाग हैं, परंतु स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार के पास तो केवल और केवल एक ही विभाग है, उनके पास इस विभाग की देखरेख हेतु मुझसे सात गुना अधिक समय है, उनको मेरे आदेशों का भी इंतजार नहीं करना चाहिए और समय-समय पर इस प्रकार के ऑडिट और जांच करते रहना चाहिए। इस पूरे प्रकरण से जुड़ा एक अहम बिंदु पत्रकारों के समक्ष रखते हुए मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बताया कि अक्टूबर के माह में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के माध्यम से मैंने उपराज्यपाल को स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार और तत्कालीन डीजीएचएस नूतन मुंडेजा की शिकायत भेजी थी। मैंने उपराज्यपाल को बताया था, कि यह दोनों अधिकारी जानबूझकर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के काम को बाधित करने की कोशिश कर रहे हैं। जानबूझकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा शुरू की गई जैसे कि फरिश्ते स्कीम तथा अन्य योजनाओं को रोकने की साजिश कर रहे हैं। इन योजनाओं के लिए दी जाने वाली सहायता को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, कृपया इन दोनों अधिकारियों के खिलाफ सख्त कदम उठाते हुए इनको इनके पद से निलंबित किया जाए। उन्होंने कहा कि बड़े ही अफसोस के साथ आप लोगों को बताना पड़ रहा है, कि उपराज्यपाल महोदय ने हमारी शिकायत पर कोई संज्ञान नहीं लिया और स्वास्थ्य सचिव एसबी दीपक कुमार और तत्कालीन डीजीएचएस डॉ नूतन मुंडेजा के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। उन्होंने बताया कि किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न होने के कारण हमें सुप्रीम कोर्ट का रुख करना पड़ा I
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