अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम: कृषि क्षेत्र में कम लागत पर अधिक उत्पादन के लिए तकनीक का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित हो रहा है। नई तकनीक और ड्रोन की मदद से जिला में खेती की तस्वीर बदलने लगी है। नई तकनीक के माध्यम से अब घंटो का काम मिनटों में हो रहा है। किसानों की सेहत को बेहतर करने में भी ड्रोन से कीटनाशक दवाओं का छिड़काव जैसी सेवा कारगर साबित हो रही है। खेती में नई तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा भी धरातल पर गंभीर प्रयास किए जा रहे है। विकसित भारत संकल्प यात्रा इसका जीवंत उदाहरण है जिसमें जिला की 157 पंचायतों में 10 हजार से अधिक किसानों के समक्ष ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव कर सफल डेमो दिया गया है। जिसके उपरांत जिला के किसान भी आगे आकर खेतीबाड़ी में ड्रोन के इस्तेमाल में रुचि दिखा रहे है। किसानों के हित को देखते हुए सरकार ने भी ड्रोन के इस्तेमाल को प्रोतसाहन देने के लिए नमो ड्रोन दीदी नाम से कार्यक्रम चलाया है। जिसमें स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जोड़कर उन्हें ड्रोन पायलट का निःशुल्क प्रशिक्षण व ड्रोन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत गुरूग्राम जिला की पहली महिला पायलट बनी हिमानी व शर्मिला इसका प्रमुख उदाहरण है।
डीसी निशांत कुमार यादव ने कहा कि कृषि में महिलाएं एक महत्वपूर्ण भाग अदा करती हैं। महिलाएं कृषि संबंधी अनेक क्रियाओं में सक्रिय भागीदारी निभाकर कृषि के स्थाई विकास में योगदान देती हैं। ऐसे में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर व आर्थिक मजबूती प्रदान करते हुए उन्हें केंद्र सरकार की नमो ड्रोन दीदी योजना से जोड़कर उन्हें आर्थिक संबल दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत गुरूग्राम जिला में पटौदी खंड के गांव ऊंचा माजरा की शर्मिला व फर्रूखनगर खंड के गांव जराउ की हिमांसी को इफको की तरफ गुरुग्राम के बिलासपुर स्थित ट्रेनिंग सेंटर पर ड्रोन पायलट का 15 दिन का प्रशिक्षण दिया गया है। फील्ड में सुगम आवजाही के लिए इफको द्वारा दोनों महिला को ड्रोन के साथ एक-2 मोडिफाई ऑटो भी दिया गया। जिसमें एक जेनसेट सहित ड्रोन से जुड़े विभिन्न उपकरणों को आसानी से सेट किया जा सकता है।
नमो ड्रोन दीदी से लखपति दीदी की राह हुई आसान
डीसी ने बताया नमो ड्रोन दीदी की यह योजना स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को लखपति दीदी बनाने में भी कारगर भूमिका निभा रही है। किसान द्वारा प्रत्येक एकड़ पर इन्हें सौ रुपये भुगतान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि शर्मिला व हिमांसी को जिला में 2000 हजार एकड़ का टारगेट दिया गया है। जिसमें करीब 300 एकड़ क्षेत्र का टारगेट इन्होंने सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।
ड्रोन स्प्रे में रुचि ले रहे जिला के किसान
जिला कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ अनिल तंवर ने बताया कि परम्परागत तरीके से यूरिया या दवाई का स्प्रे करते वक्त किसानों के सामने भी कई चुनौती आ जाती हैं। छोटी ऊंचाई की फसलों पर तो आसानी से स्प्रे हो जाती है, लेकिन ऊंचाई वाली फसलों में स्प्रे करने में दिक्कतें हो जाती है। ऐसे में इस तकनीक से न केवल कम ऊंचाई वाली फसलों बल्कि ज्यादा ऊंचाई वाली फसलों जैसे बाजरे आदि पर भी आसानी से दवा का छिड़काव किया जा सकता है। दवाई और यूरिया के छिड़काव के लिए एक बेहतरीन तकनीक है। इस तकनीक के द्वारा इंसान पर दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, इसके अलावा फसलों पर एक समान छिड़काव होता है।
एक एकड़ में 10 मिनट में हो जाता है छिड़काव
इफको गुरूग्राम के फील्ड मैनेजर हितेंद्र कुमार ने बताया कि खेतों में पारंपरिक तरीकों से दवाई छिड़काव पानी व समय की खपत के साथ – किसान की सेहत पर भी विपरीत प्रभाव डालते हैं। ऐसे में तकनीक के इस नए अविष्कार ड्रोन से ना सिर्फ पानी व समय की बचत करती है बल्कि खेतों में नैनो यूरिया अथवा नैनो डीएपी के माध्यम से दवाई का छिड़काव एक निर्धारित मात्रा में ही किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि आमतौर पर एक एकड़ में दवा के छिड़काव के लिए 150 से 200 लीटर पानी की आवश्यकता होती है, जबकि ड्रोन तकनीक में केवल 10 लीटर पानी की जरूरत पड़ती है जिससे 1 एकड़ में 10 मिनट में दवा का छिड़काव किया जा सकता है।
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