अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद : रेजिडेंट वैलफेयर एसोसिएशन ने अर्बन इम्प्रूवमेंट कंपनी द्वारा ग्रीन फील्ड कॉलोनी में बन रहे अवैध निर्माणों के एवज निर्माणकर्ताओं से लिए जा रहे म्यूटेशन चार्जों पर कड़ा एतराज जताया हैं, एक बड़े घोटाले का नाम दिया हैं। जब atharv news ने डीटीपी इंफोर्स्मेंट व यूआईसी एंव आरडब्लूए ने से बातचीत की तो तीनों के अलग -अलग बातें सामने आई हैं। जिससे लगता हैं कि इस मुद्दे पर त्रिकोणीय टकराव हैं।
आरडब्लूए के प्रधान वीरेंद्र भड़ाना ने कहां कि यूआईसी के अधिकारी म्यूटेशन चार्ज लेने के नाम पर एक बड़े घोटालें को अंजाम दे रहे हैं और इस घोटाले को सरेआम व खुलेआम अंजाम दिए जा रहे हैं। उनका कहना हैं कि ग्रीन फील्ड कॉलोनी में बिल्डरों द्वारा डबल व ट्रिपल यूनिट जो बनाया जा रहा हैं। वह निर्माण अवैध रूप से बनाया जा रहा हैं। इस अवैध निर्माण कर्ताओं से यूआईसी के अधिकारी 50 रूपए प्रति स्क्वायर मीटर के हिसाब से म्यूटेशन चार्ज लिए जा रहे हैं।
उनका कहना हैं कि इस हिसाब से यूआईसी एक -एक बिल्डिंगों से पांच से सात लाख रूपए वसूल रहे हैं जोकि कानूनी तौर पर बिल्कुल गलत हैं। उनका कहना हैं कि जब वह लोग म्यूटेशन चार्ज के नाम पर अवैध निर्माणकर्ताओं से लाखों रूपए ले रहे हैं तो ऐसे में वह बिल्डिंगें अवैध कैसे हो सकता हैं। उनका कहना हैं कि यूआईसी के अधिकारी कानून के आँखों में धुल झोंक पर अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं। क्यूंकि यह लोग जिला प्रशासन से मिलने वाले सारी सूविधाओं की उम्मीद तो करते हैं पर उनकी नियम कानूनों को नहीं मानतें हैं। उनका कहना हैं कि यूआईसी के लोग आमजनों को लूटने का कार्य कर रहीं हैं क्यूंकि यह म्यूटेशन चार्ज के नाम पर अपना जेब भरने में लगे हैं और यह खेल कई सालों से यूआईसी द्वारा खेला जा रहा हैं। उनका कहना हैं कि इस लूट के खेल में यूआईसी के ऊंचे स्तर के अधिकारी गण भी शामिल हैं।
इस मामले में जिला नगर योजनाकार इंफोर्स्मेंट ( डीटीपी ) नरेश कुमार का कहना हैं कि ग्रीन फील्ड कालोनी में जो भी डबल व ट्रिपल एंव कोई अवैध निर्माण बने हुए हैं न तो उसकी रजिस्ट्री हो सकती हैं न ही यूआईसी किसी को सीवर व पानी का कनेक्शन दे सकता हैं न ही इन फ्लैटों में बिजली के मीटर लगाए सकतें हैं । इस बाबत उन्होनें बिजली, तहसील व यूआईसी को पत्र लिख कर भेजा हुआ हैं वावजूद इसके वह लोग कैसे अवैध निर्माणकर्ताओं से म्यूटेशन चार्ज ले रहे हैं उन्हें बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा हैं।
उनका कहना हैं कि अगर वह लोग वावजूद इसके अवैध निर्माणकर्ताओं से पैसे ले रहे हैं तो वह तो गलत हैं।
उधर, यूआईसी के महा-प्रबंधक प्रवीण चौधरी का कहना हैं कि ग्रीन फील्ड कालोनी के मसले पर उन्होनें डीटीपी इंफोर्स्मेंट के पत्र का जवाव दे दिया था और उसमें साफ़ -साफ़ कहा गया था कि यूआईसी के पास अपना कोई इनकम नहीं हैं इस वजह से, इन अवैध निर्माणकर्ताओं से वह लोग म्यूटेशन चार्ज लेना नहीं छोड़ सकते हैं। सावल के जवाव में डीटीपी इंफोर्स्मेंट नरेश कुमार का कहना हैं कि अगर यूआईसी के पास अपना कोई इनकम नहीं हैं तो इसका मतलब हैं कि कोई अधिकारी कानून से अलग जाकर गलत कार्य करेगा।