अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा- आपको इतना लेट बुलाया, लेकिन आजकल संसद चल रहा है, तो आप भी समझेंगे। दो चुनाव लगातार भारतीय जनता पार्टी जीती, तीसरा उसे लगता है कि वो जीती। पिछले दस साल में सबने कुछ ना कुछ सबक सीखा और सब सीखते हैं, हम और आप अपनी निजी जिंदगी में भी सबक सीखते हैं। आप और हम किसी भी धर्म के हों, मजहब के हों, फेथ के हों, विचारधारा के हों, एक बात हम सब पर लागू होती है कि ऊपर वाला दो तरीके से आजमाता है। सब कुछ देकर आज़माता है और सब कुछ छीन कर भी आज़माता है। 2014 में हमें भारी शिकस्त हुई, 2019 में भी हमें शिकस्त हुई। हमने भी आत्मचिंतन किया, समझा, सीखा, लेकिन जिसको सब कुछ दिया और अब 2024 में उससे छीनना शुरू किया, उस व्यक्ति ने, उस पार्टी ने, उस विचार ने कोई सबक नहीं सीखा, ये आज संसद के भीतर और संसद के बाहर स्पष्ट हो गया। पिछले दस साल इन्होंने अपना व्यापार, अपना कारोबार कैसे चलाया – व्हॉट्सऐप में झूठ फैलाकर, राहुल गांधी जी के वीडियो को कांट-छांट कर, उस वीडियो के बारे में अनर्गल टिप्पणियां कर-करके चलाया… कारोबार चला, ऐसा नहीं है… पांच साल चला, दस साल चला। अब वो कारोबार इस देश की जनता ने रोक दिया है। ये सबक भारतीय जनता पार्टी नहीं सीख पाई। आज भी राहुल गांधी का भाषण शुरू होते ही दस मिनट में आईटी सेल भारतीय जनता पार्टी का शुरू हो गया… कैसे उनके भाषण को तोड़ना-मरोड़ना है, कैसे स्पिन देना है, कैसे ट्विस्ट करना है… सबक नहीं सीखा। ऊपर वाले ने जब आपको सबकुछ दिया, तब भी नहीं सीखा आपने। अब जब ऊपर वाला सबकुछ छीन रहा है आपसे, आप तब भी नहीं सीख रहे, आप अभी भी वही हैं।अच्छा लगा आज देखकर कि प्रधानमंत्री सदन में थे और अच्छा लगा ये देखकर कि प्रधानमंत्री को अपने आपको तकलीफ़ देते हुए दो बार उठना पड़ा और अच्छा लगा ये देखकर कि उन्हें राहुल गांधी जी को जवाब भी देना पड़ा। कुछ-कुछ बदलाव तो आ रहा है, अभी बहुत कुछ बदलेगा।
हिंदू धर्म के ये ठेकेदार बनते हैं। साथियों, गंगा कहाँ से शुरू होती है और कहाँ ख़त्म होती है… इसके उत्तर में हिंदू धर्म की पूरी परिभाषा छुपी है। क्या गंगा गंगोत्री से शुरू होती है या आसमान से शुरू होती है और समुद्र में जाकर और फिर से आसमान में चली जाती है… ये है हिन्दू विचार। उसकी कोई शुरुआत नहीं है, कोई अंत नहीं है। उस विचार के ये बौने लोग ठेकेदार बनेंगे? इतने बड़े विचार पर ये बौने कब्जा करके उसको अपनी ही साइज़ का बना देंगे, इतने बड़े विचार को बौना बनाने की कोशिश करेंगे और हम होने देंगे!हम अब तक तो सोचते थे कि संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की लड़ाई हम लोग लड़ने निकले हैं। हम अब तक ये सोचते थे कि हम एक-दूसरे के अधिकारों की रक्षा की लड़ाई लड़ने निकले हैं। हम सोचते थे कि हम देश की जो 75 साल से जो लोकतंत्र चल रहा है, उसको बचाने की लड़ाई लड़ने निकले हैं। लेकिन पिछले दस साल में हम समझ गए, माफ कीजिएगा, इस बहुत ही विशाल विचार, जिसको हम हिंदू विचार कहते हैं, धर्म से बहुत ऊपर है, उसको भी, उसकी छवि को भी बचाने का काम हम सबको करना होगा। नहीं तो ये बौने अपने कद का सब कुछ बना देंगे।इस माटी की ऊर्जा को ये समझते हैं? जिस माटी ने बाबा फ़रीद, गुरु नानक देव, कबीर, तुलसीदास, गौतम बुद्ध, भगवान महावीर… ऐसे-ऐसे संत जिस माटी ने पैदा किए हों, उस माटी को आकर ये लोग परिभाषित करेंगे और अपनी बौनी परिभाषा में उतारेंगे और हम होने देंगे!पिछले दस साल में जो लोगों की जिंदगी से जुड़े हुए सवाल हैं, उनके जवाब देने से आप बचते रहे। कभी देशभक्ति के पीछे छुपकर, कभी देश की वीर बहादुर सेना के पीछे छुपकर, कभी धर्म के पीछे छुपकर। इस चुनाव में आपको जवाब मिल गया जनता से। माफ़ कीजिएगा नीट पर जवाब देना पड़ेगा, महंगाई पर जवाब देना पड़ेगा, पेट्रोल के दामों पर जवाब देना पड़ेगा। लोकतंत्र में तानाशाह को झुकना पड़ता है, कोई तानाशाही नहीं चलती… ये संदेश इस चुनाव का है। नरेंद्र मोदी जी, दोनों कान खोलकर अच्छी तरह सुन लीजिए… अभी भी समय है। दस साल आपने कारोबार चला लिया, अब नहीं चलेगा ये कारोबार। हम चलने नहीं देंगे ये कारोबार कि आपने भाषणों को तोड़-मरोड़ कर अपनी दुकान चला ली।ये देश, इस देश का हिंदू, इस देश का नौजवान, इस देश का विपक्ष, इस देश का मीडिया ये नहीं होने देगा। ये दस साल से मैं सुनता हूं, सोशल मीडिया पर आप देखते हैं कि मैं हिंदू जगाने निकला हूं। हिंदू जाग चुका है नरेंद्र मोदी जी, अयोध्या में जागा और वाराणसी में आपके साथ क्या हुआ… ये पूरी दुनिया ने देखा… जैसे राहुल जी ने आज कहा, बचकर निकले। अब आप झूठ नहीं बेच पाएंगे। अब आप अपनी छद्म राष्ट्रभक्ति और अपने छद्म हिंदुत्व के पीछे नहीं छुप पाएंगे। ये देश आपको छुपने नहीं देगा। सामने आईए, नीट पर जवाब दीजिए। सामने आईए, अग्निवीरों को जवाब दीजिए। सामने आईए, महिलाओं को जवाब दीजिए। सामने आईए, किसानों को जवाब दीजिए। सामने आईए, इस देश को जवाब दीजिए। दो-तिहाई हिंदुओं ने आपके खिलाफ़ वोट दिया है, भूलिएगा मत। सेंसस तो आपने कराया नहीं, लेकिन 111 करोड़ हिंदू हैं इस देश में और आपको कितना वोट मिला… आप जानते हैं। दो-तिहाई हिंदुओं ने भी आपके खिलाफ़ वोट दिया, तो क्या वो हिंदू नहीं हैं? नहीं, वो हिंदू हैं… वो जानते हैं कि आप हिंदू नहीं हैं।जैसा राहुल जी ने कहा… मैं आग्रह करूंगा मेरे साथी से कि वो वीडियो दिखाइए क्योंकि ये जो दो वीडियो मैं आपको दिखा रहा हूं, ये आने वाली पीढ़ियां राहुल गांधी जी को और कांग्रेस पार्टी को धन्यवाद कहेंगी… क्योंकि ये वीडियो आने वाली पीढ़ियों को बताएगा कि एक ऐसा नेता था, एक ऐसी पार्टी थी, एक ऐसा विपक्ष था, जिसने इन लोगों को, इन बौनों को एक विशाल विचार को छोटा करने से रोका।
(राहुल गांधी की पार्लियामेंट में दी गई स्पीच का वीडियो दिखाया गया)
आपने देखा कि कैसे नरेंद्र मोदी जी ने आज प्रयास किया उठकर कुछ बोलने का और जब राहुल जी ने कहा कि नरेंद्र मोदी जी हिंदू समाज नहीं हैं, भारतीय जनता पार्टी हिंदू समाज नहीं है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू समाज नहीं है… ये ठेकेदार नहीं हैं और हम ठेकेदारी प्रथा तो नहीं चलने देंगे अपने धर्म पर। आपने देखा उसके बाद नरेंद्र मोदी जी का मुंह बंद हो गया और अब मैं फिर से दोहराता हूं – प्रधानमंत्री जी, आपको ये समझ लेना चाहिए कि खुदा कभी-कभी ऐसा ज़वाल देता है, उरूज तो देता है, पर दिलों से से निकाल देता है। अब आप लोगों के दिलों से निकल चुके हो। अभी भी समय है, नीट पर जवाब दीजिए, असली मुद्दों पर आइए। जो मुद्दे लोगों को परेशान कर रहे हैं, उन मुद्दों से आप बच नहीं सकते। धर्म के पीछे छुपने की आपने कोशिश की, अयोध्या में जवाब मिला… वाराणसी में अभी आधा जवाब मिला है, पूरा मिल जाएगा, चिंता मत कीजिए। लेकिन अब आपको मुद्दों से बचकर हम नहीं भागने देंगे।एक प्रश्न पर कि बीजेपी के बड़े-बड़े नेताओं की तरफ़ से जो बयान आए हैं, उन बयानों के जवाब में आप क्या कहेंगे उन सभी लोगों से? पवन खेड़ा ने कहा कि मुझे बड़ा अच्छा लगा देखकर कि एक के बाद एक तमाम कैबिनेट मिनिस्टर खड़े हो-होकर प्रधानमंत्री को जवाब दे रहे थे उस सवाल का कि ‘कौन राहुल’? आपके कुछ चैनल्स थे, पत्रकार बड़े हंसे थे उस वक्त… मुझको याद है। इंडिया टुडे, आज तक… मैं तो नाम लेता हूं… के पत्रकार थे; बड़े तेज़ हंसे, ठठाकर हंसे जब राहुल जी के लिए कहा प्रधानमंत्री जी ने ‘कौन राहुल’? आज उन्हीं के कैबिनेट मंत्रियों ने प्रधानमंत्री को जवाब दिया – यह राहुल। कौन राहुल – वो राहुल जो आपको आईना दिखा रहा है। आईने में क्या दिख रहा है – आईने में एक भद्दी, बौनी शक्ल दिख रही है। वह किसकी शक्ल है – वह भारतीय जनता पार्टी की शक्ल है। भद्दा चेहरा, बौना चेहरा।अब कोई आईना देख ले और उसमें उसको ऐसा अक्स दिखाई दे, जिसको देखकर वह परेशान हो जाए तो जाहिर सी बात है कि यही करेगा, जो इन तीनों ने किया आज आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में। जवाब दीजिए ना – नीट का पेपर क्यों लीक हुआ? क्यों 7 साल में 70 पेपर लीक हुए… जवाब दीजिए ना। क्यों नहीं जवाब दे रहे? क्यों अग्निवीर को पेंशन नहीं मिलती? क्यों अग्निवीर को शहीद का दर्जा नहीं मिलता? जवाब दीजिए ना। इन सवालों के जवाब देश चाहता है, देश ने अगर हमें विपक्ष में बैठाया है तो क्यों बैठाया है… बताइए। क्या जाकर मूंगफली बेचने बैठाया है? हमें बैठाया है कि हम मुद्दे उठाएं, हम सवाल पूछें, सवालों के जवाब लें इस सरकार से, सरकार को जवाबदेह बनाएं। यह हमारा काम है और हम करेंगे। इन्हें आपत्ति है, यह बौखलाए हुए हैं।इन्हें आपत्ति इसी बात की है कि आज इनका चेहरा बेनकाब कर दिया। अयोध्या का संदेश सब तक पहुंच गया। आपको मालूम होगा, आपने देखा होगा, बड़ी पीड़ा हुई देखते हुए कि जब रिज़ल्ट आया 4 जून को, उसके बाद 10 दिन तक अयोध्यावासियों पर जो अपमानजनक टिप्पणियां की गईं कि साहब उनसे कुछ ख़रीदो मत, वहां पैसा मत खर्च करो, वहां की अर्थव्यवस्था डुबो दो… क्यों? यह हैं आप, इसको आप अपना धर्म कहते हैं! यह मेरा धर्म नहीं है। मतलब वोट तक का रिश्ता था आपका अयोध्या से। वोट नहीं मिला तो अयोध्यावासी हिंदू ही नहीं हैं… ऐसी-ऐसी बातें हमने सुनीं। यह तो वाराणसी वाले बच गए थोड़ा सा, नहीं तो उन्हें भी सर्टिफिकेट मिल जाता।एक अन्य प्रश्न पर कि प्रिविलेज नोटिस या ऐसा कोई एक्शन सरकार लेती है तो क्या कांग्रेस पार्टी की तरफ़ से कोई तैयारी है? श्री खेड़ा ने कहा कि शिव… इसका जवाब एक शब्द है – शिव। शिव संघर्ष का प्रतीक है, सत्ता का प्रतीक नहीं है। राहुल गांधी शिवभक्त हैं, संघर्ष करना जानते हैं और जिनका नाम लेकर यह वोट मांगते हैं – मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम… वह भी संघर्ष का प्रतीक हैं, 14 साल वनवास काटा। तो इसी धर्म में सब उत्तर मिल जाएंगे आपको, जिस धर्म के यह ठेकेदार बनने का असफल प्रयास कर रहे हैं… हम बनने नहीं देंगे। इसी धर्म में मैंने अभी आपको दो उदाहरण दिए और अनेक दे सकता हूं, इसी धर्म से। संघर्ष का प्रतीक है यह… इनको जो करना है, कर लें।इन्होंने कोई कसर छोड़ी? 20-20 केस राहुल गांधी पर, 50-50 घंटे… 55 घंटे ईडी के सामने बैठाया, घर से बाहर किया, संसद से बाहर किया और अनाप-शनाप झूठे आरोप लगाए… और जो कर सकते हैं यह, करें। हमारे पीछे इस देश की माटी की ताक़त है और इस माटी की ऊर्जा और इस माटी की ताक़त को हम कम नहीं आंकते, यह लोग कम आंकते होंगे। मैंने आपको यह प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने के वक्त बताया कि गंगा कहां से शुरू होती है, कहां ख़त्म होती है… मुझे इसका जवाब दिलवा दीजिए इस धर्म के ठेकेदारों से। अगर यह गंगा को समझ जाएंगे, जो सबको, नदी-नालों को अपने साथ समाहित करते हुए, उनको भी स्वच्छ करते हुए जाती है… यह है हिंदू धर्म, यह है हिंदू विचार… उसको आप अपनी तंग सोच से मत देखिए।एक अन्य प्रश्न पर कि जब से राहुल जी ने सदन के अंदर धर्म की व्याख्या की और शिव की व्याख्या की, अलग-अलग धर्म गुरुओं की तरफ़ से कई सारी टिप्पणियां आ रही हैं, क्या आपको लगता है कि यह एक पूरा ईकोसिस्टम है, जो उस पर्टिकुलर बयान को ट्विस्ट करके धर्म से जोड़ रहा है? श्री खेड़ा ने कहा कि देखिए, उस ईकोसिस्टम को इस देश ने जवाब दिया 2024 के नतीजों में… बहुत माकूल जवाब दिया। उस ईकोसिस्टम को छोड़ दीजिए, उसकी बात मत कीजिए, उससे कुछ नहीं होने वाला। अब इस देश में नौजवानों का एक ईकोसिस्टम है, वो नौजवान जवाब मांग रहे हैं। वो नीट पर जवाब मांग रहे हैं, वो एनटीए के पूरे रोल पर जवाब मांग रहे हैं, वो अग्निवीर योजना पर जवाब मांग रहे हैं कि साहब यह क्या योजना है, क्यों लाए आप? वो किसान का बेटा है तो वह एमएसपी पर जवाब मांग रहा है। वो अगर हमारी बेटी है, उसने 10 साल नारा अच्छी तरह देख लिया ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’… वह अपनी सुरक्षा पर जवाब मांग रही है। अब जवाब देने होंगे, अब यह ईकोसिस्टम और यह टूलकिट नहीं चलेंगे, अब यह टूलकिट का ज़माना ख़त्म हो गया। अब हम तो कह रहे हैं नरेंद्र मोदी जी को कि करोड़ों रुपए खर्च करते हो, आईटी सेल बंद कर दो ना, अब इसकी कोई उपयोगिता नहीं रही, अब यह चलने वाली नहीं है, लोगों का भरोसा उठ गया है। अब किसी को कोई कुछ कहता है, सुबह ज्ञान बांटता है तो कहते हैं – साहब, व्हाट्सऐप पर तो नहीं पढ़ लिया था कहीं… यह हालत बना दी है आपकी आईटी सेल ने। अब अपनी आईटी सेल को बंद कर दीजिए, पैसा बचा लो, काम आएगा आगे… क्योंकि अब विपक्ष में बैठना पड़ेगा बहुत जल्दी, ज्यादा साल नहीं बचे, ज्यादा महीने भी नहीं बचे हैं।
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