अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
फरीदाबाद:अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए जे.सी. बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, वाईएमसीए, फरीदाबाद में सैटेलाइट क्लब स्थापित होंगे। यह क्लब छात्रों को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से जुड़ी परियोजनाओं और गतिविधियों पर काम करने के लिएअवसर प्रदान करेंगे। छात्रों को उपग्रह इंजीनियरिंग एवं प्रौद्योगिकियों के लिए व्यावहारिक अनुभव भी मिलेगा। यह जानकारी कुलपति प्रो.सुशील कुमार तोमर ने आज विश्वविद्यालय के अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ के तहत आईपीआर,इनोवेशन एंडइनक्यूबेशन इंक्यूबेशन व स्टार्टअप डिवीजन तथा गणित विभाग द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दी। यह कार्यक्रम चंद्रयान-3 मिशन की सफलता की वर्षगांठ के उपलक्ष में मनाए जा रहे राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर आयोजित किया गया था। राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस का थीम ‘चंद्रमा को छूते हुए जीवन को छूना, भारत की अंतरिक्ष गाथा’ है।
इस उपलक्ष में विश्वविद्यालय द्वारा व्याख्यान आयोजित किए गए। कार्यक्रम में जापान के नागासाकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ताकाओ कोमात्सु और दिल्ली के एयरो एकेडमी ऑफ एविएशन साइंस एंड मैनेजमेंट, दिल्ली के चेयरमैन प्रोफेसर दिवाकर गोयल आमंत्रित वक्ता रहे। इस अवसर पर विज्ञान संकाय की डीन प्रोफेसर नीतू गुप्ता ने अतिथि वक्ताओं का स्वागत किया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रोफेसर तोमर ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी को लेकर संकाय सदस्यों में समझ विकसित करने के उद्देश्य से विश्व विद्यालय द्वारा भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी), तिरुवनंतपुरम (केरल) में संकाय सदस्यों के लिए शैक्षणिक दौरे की व्यवस्था करेगा।
उन्होंने बताया कि इस अनुभव से संकाय को अंतरिक्ष इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकियों में नवीनतम विकास को समझने और विश्वविद्यालय में लागू करने में मदद मिलेगी। उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए समर्पित कंपनियों में छात्रों के लिए इंटर्नशिप की व्यवस्था करने की दिशा में भी काम कर रहा है ताकि उन्हें उपग्रह प्रौद्योगिकी में व्यावहारिक अनुभव प्रदान किया जा सके, जिससे इस अत्याधुनिक क्षेत्र में उनके व्यावहारिक कौशल और ज्ञान में वृद्धि हो सके। इस पहल के माध्यम से, विश्वविद्यालय का लक्ष्य खुद को अंतरिक्ष शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्र में आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल छात्रों और संकाय को लाभ होगा बल्कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में देश की बढ़ती क्षमताओं को भी योगदान मिलेगा। प्रो. तोमर ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में गणित की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, तथा डायोफेंटाइन फ्रोबेनियस समस्या सहित विभिन्न संख्या सिद्धांतों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि ये सिद्धांत प्रौद्योगिकी में विभिन्न अनुप्रयोगों का समर्थन करते हैं।अपने व्याख्यान में जापान के नागासाकी विश्वविद्यालय के प्रो. ताकाओ कोमात्सु ने सभी को ‘राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस’ की बधाई दी तथा गणित में डायोफेंटाइन फ्रोबेनियस समस्या को विस्तार से बताया। प्रो. दिवाकर गोयल ने ‘नागरिक उड्डयन क्षेत्र में कैरियर की संभावनाओं’ पर व्याख्यान प्रस्तुत किया, जिसमें इस गतिशील तथा निरंतर विकसित हो रहे उद्योग में सफलता के असंख्य अवसरों तथा मार्गों पर प्रकाश डाला गया। विशेषज्ञ व्याख्यानों का समन्वयन आईपीआर, इनोवेशन तथा इनक्यूबेशन व स्टार्टअप प्रभाग से डॉ. संजीव गोयल तथा डॉ. सपना तनेजा और गणित विभाग से डॉ. रीना गर्ग तथा डॉ. अर्पिता चटर्जी द्वारा किया गया।
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