अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने सेबी चीफ माधबी पुरी बुच को लेकर बड़ा खुलासा किया है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि माधबी बुच ने नियमों का उल्लंघन कर सेबी से जुड़े होने के दौरान सेबी, आईसीआईसीआई बैंक और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से वेतन लिया। माधवी बुच ने आईसीआईसीआई बैंक से 16 करोड़ से अधिक रुपये लिए। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए पवन खेड़ा ने कहा कि माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल 2017 से 4 अक्टूबर 2021 तक सेबी में पूर्णकालिक सदस्य थीं। वे दो मार्च 2022 को सेबी की चेयरपर्सन बनीं। सेबी की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अध्यक्ष और अमित शाह सदस्य हैं। उन्होंने खुलासा किया कि माधवी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपये थी। वे आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं। माधवी पुरी बुच एक साथ तीन जगहों से वेतन ले रही थीं।
खेड़ा ने सवाल उठाया कि बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होने के बाद भी अपना वेतन आईसीआईसीआई से क्यों ले रही थीं। यह सीधे-सीधे सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन है। इसलिए माधबी बुच को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि माधवी बुच बाजार की नियामक हैं, सेबी की चेयरपर्सन हैं, तब भी वे आईसीआईसीआई बैंक से वेतन कैसे ले सकती हैं। 2017-2024 के बीच इन्होंने आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 22,41,000 रुपये क्यों लिए। आखिर वह आईसीआईसीआई को क्या सेवाएं दे रही थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछते हुए खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री जब नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं, तो उनके लिए योग्यता के क्या उपयुक्त मानदंड रखते हैं। क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी के सामने सेबी चेयरपर्सन की नियुक्ति से पहले या बाद में उनके बारे में ये चौंकाने वाले तथ्य आए थे। क्या प्रधानमंत्री को पता था कि माधबी पुरी बुच सेबी में अपने कार्यकाल के दौरान आईसीआईसीआई से वेतन ले रही थीं। क्या प्रधानमंत्री को मालूम है कि वे सेबी की चेयरपर्सन और पूर्णकालिक सदस्य के रूप में आईसीआईसीआई के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थीं और साथ ही आईसीआईसीआई से वेतन ले रहीं थीं। सेबी की चेयरपर्सन और पूर्णकालिक सदस्य को ईएसओपी लाभ आईसीआईसीआई छोड़ने के बाद भी क्यों मिलता रहा, क्या इस बारे में प्रधानमंत्री जानते थे। खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को बताना चाहिए कि सेबी की चेयरपर्सन के बारे में इतने खुलासे होने के बाद भी उन्हें कौन बचा रहा है और क्यों। खेड़ा ने कहा कि क्या आईसीआईसीआई ने किसी भी जगह सेबी की सदस्य को वेतन देने की बात सार्वजनिक की। सेबी की चेयरपर्सन को वेतन देने की आड़ में वह क्या सुविधा ले रहा था। आखिर आईसीआईसीआई बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी क्यों नहीं दी।आईसीआईसीआई बैंक ने ईएसओपी के नियम का उल्लंघन कर माधवी बुच को लाभ क्यों दिए। सेबी चेयरपर्सन बताएं कि क्या ऐसी और भी कंपनियां हैं, जिससे वे और उनके परिवार के सदस्य इस तरह के लाभ उठा रहे हैं।
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