अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस नेता उदित राज ने बसपा सुप्रीमो मायावती को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा, जब राहुल गांधी आरएसएस और भाजपा पर हमला करते हैं, तो परेशानी मायावती को होती है। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए असंगठित कामगार एवं कर्मचारी कांग्रेस के चेयरमैन डॉ. उदित राज ने कहा, बसपा ने शुरू से ही कांग्रेस की आलोचना कर अपनी जमीन तैयार की है। बसपा का कभी मजबूत आधार नहीं रहा। कभी पर्दाफाश रैली की तो कभी सत्ता प्राप्त रैली की। बसपा ने हमेशा बाबा साहेब अंबेडकर को आगे रखकर कांग्रेस पर इमोशनल अत्याचार किया। साथ ही दुष्प्रचार किया कि कांग्रेस ने उन्हें चुनाव में हरवाया और भारत रत्न नहीं दिया। लेकिन कांग्रेस ने जितना बाबा साहेब अंबेडकर के लिए किया, वो कोई नहीं कर सकता। वो कांग्रेस ही थी, जो बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा में लाई थी। उदित राज ने कहा, जब राहुल गांधी आरएसएस और भाजपा पर हमला करते हैं, तो परेशानी मायावती को होती है। 20 मई, 2007 को मायावती ने एक शासनादेश निकाला। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम-1989 के कानून में बदलाव होगा और यह केवल हत्या-बलात्कार के मामले में ही लागू होगा। बाकी अपराधों में साधारण कानून के तहत कार्रवाई होगी। लेकिन जब हमने लड़ाई लड़ी तब सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की थी और कानून बहाल हुआ था। ये दिखाता है कि इस कानून की हत्या मायावती ने की थी। पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर भी हमने लड़ाई लड़ी थी और केस जीता था। लेकिन मायावती ने कागजी कार्रवाई पूरी नहीं की, जिस वजह से उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में कर्मचारी डिमोट हुए।उदित राज ने कहा, देश में ये झूठ फैलाया जाता है कि बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा में आने से कांग्रेस ने रोका। जबकि सच ये है कि बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा में लाने वाली कांग्रेस ही थी। वहीं जब अंबेडकर संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी के चेयरमैन बने तो उन्होंने खुद कहा था कि इस कमेटी का सदस्य बनना ही बड़ी बात है, लेकिन मुझे चेयरमैन बनाया गया। फिर कांग्रेस पार्टी ने ही उन्हें कानून मंत्री भी बनाया था।उदित राज ने कहा, 2006 में कांग्रेस ने वन अधिकार कानून पास किया था। जिसमें कहा गया था कि आदिवासी जिस जमीन को कृषि उपयोग में ला रहे हैं, उनपर उन्हें भू-अधिकार दिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश में 92,402 आवेदन आए थे, जिनमें 81 प्रतिशत क्लेम को रिजेक्ट कर दिया गया था और उस समय प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती थीं। ये दिखता है कि मायावती आदिवासी और आरक्षण की दुश्मन हैं।
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