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चंडीगढ़ ब्रेकिंग: विधानसभा में कांग्रेस के सवालों का संतोषजनक जवाब नही दे पाई बीजेपी- हुड्डा


अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: जिस तरह पूत के पांव पालने में ही दिखने लग जाते हैं, उसी तरह बीजेपी की नई सरकार की विफलताएं भी शुरुआत में ही उजागर हो गई हैं। नई सरकार भी पिछली बीजेपी सरकार की तरह किसानों को ना खाद दे पाई और ना ही एमएसपी। ये कहना है पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का। हुड्डा विधानसभा सत्र खत्म होने के बाद अपने आवास पर पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि सदन में सरकार कांग्रेस के सवालों का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। इतना ही नहीं, सरकार ने खाद की उपलब्धता पर भी गुमराह किया। सरकार ने कहा कि खाद की कोई किल्लत नहीं है, जबकि खाद नहीं मिलने के चलते पूरे हरियाणा के किसानों में त्राहिमाम मचा हुआ है। हरियाणा के इतिहास में ऐसा सिर्फ बीजेपी राज में हुआ कि थानों के भीतर और पुलिस सुरक्षा में खाद बंटवानी पड़ रही। हर बार किसानों को बुवाई का सीजन जाने के बाद खाद दी जाती है। इसके चलते उत्पादन में भारी घाटा होता है।  
हुड्डा ने बीजेपी के चुनावी वादे याद दिलवाते हुए कहा कि उसने धान का ₹3100 रेट देने का वादा किया था। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार बनने पर बीजेपी ने किसानों को एमएसपी तक नहीं दी। उन्हें ₹200 से 400 कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ी। इसी तरह बीजेपी ने महिलाओं को ₹2100 हर महीने देने का वादा किया था। लेकिन सरकार ने अब तक अपना कोई वादा पूरा नहीं किया।हुड्डा ने कहा कि कौशल निगम कर्मियों को लेकर भी सरकार ने संतोषजनक नीति नहीं बनाई। इस नीति से स्पष्ट हो गया कि बीजेपी पूरी तरह आरक्षण और मेरिट विरोधी है। क्योंकि कौशल निगम में ना आरक्षण है, ना ही मेरिट और ना ही पारदर्शिता। कांग्रेस ने सदन मांग रखी कि हरियाणा में कच्ची नौकरी की ठेका प्रथा बंद होनी चाहिए और कौशल कर्मियों को रेगुलर करना चाहिए। साथ ही भविष्य में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई जानी चाहिए, जिसमें युवाओं का शोषण हो। लेकिन सरकार ने कांग्रेस की मांग को खारिज करते हुए कम वेतन में कच्ची नौकरी करने वाले कौशल कर्मियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि बीजेपी ने चुनाव में दो लाख नौकरियां देने का ऐलान किया था। लेकिन अब बीजेपी इसपर चर्चा को तैयार नही है और ना ही उसने नई भर्तियों की कोई प्रक्रिया शुरू की है। हरियाणा में बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके चलते प्रदेश का 54 प्रतिशत युवा रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों व दूसरे देशों में जा रहा है।  भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हरियाणा को विकास में नंबर वन बनाया था। जबकि भाजपा ने गरीबी में नंबर वन बना दिया है। मौजूदा सरकार के आंकड़े बताते हैं कि आज हरियाणा की 70% आबादी गरीबी रेखा से नीचे पहुंच गई है। बीजेपी हरियाणा को गरीब बनाने को ही उपलब्धि की तरह पेश कर रही है। जबकि यह सरकार की नाकामी का रिपोर्ट कार्ड है। बीजेपी को बताना चाहिए कि उसके विकास के दावों का क्या हुआ? अगर विकास हुआ है तो फिर इतनी बड़ी आबादी गरीब कैसे हो गई?हुड्डा ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने भी कांग्रेस के आरोपों पर अपनी मुहर लगा दी है। ये अब स्पष्ट हो गया है कि भाजपा ने प्रदेश को साढ़े चार लाख करोड़ रुपए के कर्ज तले दबा दिया है। आज प्रदेश पर 4.51 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्जा है। केंद्र व राज्य का कुल मिलाकर हरेक हरियाणवी, यहां तक कि पैदा होने वाले बच्चे के सिर पर भी 2,28,530 रुपये का कर्जा है। बढ़ते कर्ज व घटती विकास दर से स्पष्ट है कि बीजेपी ने हरियाणा का अर्थव्यवस्था का भट्ठा बैठा दिया। कांग्रेस कार्यकाल में हरियाणा के सकल राज्य उत्पादन की विकास दर 18 प्रतिशत थी, जो बीजेपी कार्यकाल के दौरान मात्र 6.4 प्रतिशत रह गई है। अगर चालू कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय की बात की जाए तो साल 2004-05 में हरियाणा की प्रति व्यक्ति आय 32,712 थी, जो कांग्रेस सरकार के दौरान 2014-15 में बढ़कर 1,47000 हो गई। यानी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान प्रति व्यक्ति आय में 4.49 गुणा (349%) की बढ़ोत्तरी हुई। जबकि बीजेपी कार्यकाल के दौरान बमुश्किल 2 गुना (100%) ही बढ़ोत्तरी हुई है। बीजेपी बताए कि साढ़े चार गुना ज्यादा होता है या दो गुना? 100% ज्यादा होता है या 349% ?अगर स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय की बात की जाए तो 2004-05 में यह 16872 थी, जो 2014-15 में बढ़कर 1,25000 हो गई यानी कांग्रेस कार्यकाल के दौरान प्रति व्यक्ति आय में 7.4 गुणा (640%) की बढ़ोत्तरी हुई। जबकि 2023-24 में यह आय मात्र 1,81961 तक पहुंची। यानी बीजेपी कार्यकाल के दौरान लगभग 1.4 गुना (45%) ही बढ़ोत्तरी हुई। बीजेपी बताए कि 45% ज्यादा होता है या 640% ? हरियाणा की अलग विधानसभा के मुद्दे पर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि सरकार को चंडीगढ़ पर अपना हक नहीं छोड़ना चाहिए। इसलिए मौजूदा विधानसभा के साथ ही नई विधानसभा का निर्माण होना चाहिए, ना कि कहीं दूर दूसरी जमीन पर। साथ ही पंजाब के साथ पानी और हिंदी भाषी क्षेत्र के मुद्दे पर भी पुरजोर तरीके से अपनी बात रखनी चाहिए और हरियाणा को उसका हक लेना चाहिए।

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