अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: सेंट स्टीफेंस कॉलेज के संस्थापक दिवस के समारोह में दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने अपने अलमा मेटर संबोधन में राजनीति में युवाओं की भागीदारी का आह्वान करते हुए कहा कि अगर शिक्षित और अच्छे लोग राजनीति से दूर रहते हैं, तो वे “सबसे बुरे लोगों” को हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले करने का मौका दे देते हैं। मुख्यमंत्री ने “आप” सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों के प्रभाव को उजागर किया, जिनमें लाखों दिल्ली वालों के जीवन में बदलाव आए है साथ ही उन्होंने 2015 से लेकर अब तक दिल्ली के लोगों को बेहतर सुविधा देने के क्रम में हुए संघर्षों के विषय में भी बताया।
बता दे कि, सेंट स्टीफेंस कॉलेज के संस्थापक दिवस के कार्यक्रम में राइट रेवरेंड डॉ.पॉल स्वरूप, कॉलेज के अध्यक्ष और बिशप ऑफ डायरी, प्रोफेसर जॉन बर्गेस, सेंट स्टीफेंस कॉलेज के प्रिंसिपल भी उपस्थित थे।इस मौके पर मुख्यमंत्री आतिशी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वे भारत के भविष्य को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं और राजनीति से जुड़ें। दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, “यह मेरे लिए एक सम्मान और सौभाग्य की बात है कि मैं सेंट स्टीफेंस कॉलेज के संस्थापक दिवस पर यहां हूं, एक ऐसा संस्थान जिसने मुझे आज यहां तक पहुँचाया। यह दो दशक पहले की बात है जब मैं यहां की छात्रा थी।”मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि उस समय बदलाव लाने का ख्याल सिर्फ समाज सेवा से जुड़ी संस्थाओं में काम करने, जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने या अच्छे कारणों के लिए दान देने तक सीमित था। राजनीति को कभी बदलाव के रास्ते के रूप में नहीं देखा जाता था।
मुख्यमंत्री ने अपने छात्र जीवन के अनुभव साझा करते हुए बताया कि, “उस समय राजनीति को गंदा धंधा माना जाता था, जो सिर्फ अपराधियों और सत्ताधारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता था। “तब हमें कभी यह नहीं लगा कि राजनीति से बदलाव लाया जा सकता है।”मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि राजनीति से दूरी बनाकर हम ज़िंदगी के महत्वपूर्ण फैसलों को दूसरों के हाथों में सौंप देते हैं। “जब शिक्षित, नेक दिल लोग राजनीति से दूर रहते हैं, तो हम अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण फैसले ‘सबसे बुरे लोगों’ के हाथों में छोड़ने के लिए जिम्मेदार होते हैं।”मुख्यमंत्री ने बताया कि जब वे कॉलेज में थी, तो राजनीति में जाने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं था। उन्होंने कहा कि, “अगर मुझे सेंट स्टीफेंस में पढ़ाना था, तो मुझे अपना बैचलर्स, मास्टर्स और शायद विदेश से डिग्री करनी पड़ती। अगर मुझे ब्यूरोक्रेट बनना था, तो मुझे परीक्षा की तैयारी करनी पड़ती। लेकिन राजनीति में कैसे प्रवेश करें? इसका कोई मार्गदर्शन नहीं था।”सीएम आतिशी ने अपनी राजनीतिक यात्रा के बारे में साझा करते हुए बताया कि, “मैंने राजनीति के बारे जितना सोचा था, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल था। उन्होंने कहा “जब 2015 में हमारी सरकारी आई, हम बदलाव लाना चाहते थे। लेकिन हमारे सामने कई अड़चने थी, मुश्किलें थी। हमने इसके खिलाफ संघर्ष किया और मेरे कई सहयोगी इन संघर्षों के कारण जेल में भी गए, लेकिन इस यात्रा का परिणाम सकारात्मक था क्योंकि हमने अपने कामों से लाखों जिंदगियों को सँवारा।”मुख्यमंत्री ने दिल्ली की सरकारी स्कूलों में सुधार को इसका उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि,“2015 में दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत बदहाल थी। क्लासरूम में डेस्क नहीं थे,टेबल-कुर्सियां नहीं थी। साफ पानी नहीं था। बुनियादी सुविधाएं तक मौजूद नहीं थी लेकिन पिछले 10 सालों में हम सरकारी स्कूलों में बदलाव लेकर आए और आज दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी बेहतर हैं। पिछले साल, 2,000 छात्रों ने दिल्ली के सरकारी स्कूलों से JEE और NEET की परीक्षा पास की। यह बदलाव यह दिखाता है कि अगर सही लोग निर्णय लेने की स्थिति में हों, तो भारत बदल सकता है।”मुख्यमंत्री ने मोहल्ला क्लिनिकों के जरिए मुफ्त प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवाओं जैसी पहलों का भी जिक्र किया, जो महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दे रही हैं। उन्होंने कहा कि, “फ्री बस यात्रा के कारण आज, 11 लाख महिलाएं रोजाना अपने घरों से बाहर निकलती हैं, शिक्षा और नौकरी तक पहुंच प्राप्त करती हैं, क्योंकि एक सरकार के रूप में हमने उनकी जरूरतों की समझते हुए नीतियाँ बनाई। उन्होंने कहा कि, यह बदलाव दिखाता है कि अगर सही लोग निर्णय लेने की स्थिति में हों, तो भारत बदल सकता है।”मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की कि वे राजनीति में भाग लें, क्योंकि केवल तभी वास्तविक बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि, “भारत का भविष्य किसी और के हाथों में नहीं है, यह हमारे हाथों में है। अगर हमें बदलाव चाहिए, तो हमें राजनीति और लोकतंत्र में भाग लेना होगा।”उन्होंने लोकतंत्र को एक बाजार से तुलना करते हुए कहा कि जहां नागरिकों की सक्रियता से ही नेताओं को जवाबदेह ठहराया जा सकता है। “अगर लोग घर बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और अवसरों की मांग करेंगे, तभी नेता इन्हें पूरा करेंगे। लेकिन अगर हम इस प्रक्रिया से बाहर रहते हैं, तो हमें दूसरों के हाथों में अपने फैसले छोड़ने होंगे।”मुख्यमंत्री ने सेंट स्टीफेंस में अपने समय को याद करते हुए कहा कि कॉलेज में रहते हुए वे सोशल सर्विस लीग का हिस्सा थीं, जहां वे रक्तदान शिविर और कॉलेज के गैर-शैक्षिक कर्मचारियों के बच्चों के लिए कक्षाएं आयोजित करती थीं। उन्होंने कहा कि, “यह कॉलेज हमें सेवा का महत्व सिखाता है। आज मैं आप सभी से अपील करती हूं कि आप इस भावना को आगे बढ़ाएं। अपने करियर में सफल बनें, लेकिन ये भी याद रखें कि आपके काम समाज और देश को आकार देते हैं।”उन्होंने कहा कि, “भारत का भविष्य किसी और के हाथों में नहीं है—यह हमारे हाथों में है। अगर हमें बदलाव चाहिए, तो हमें राजनीति और लोकतंत्र में भाग लेना होगा। लेकिन अगर हम निर्णय लेने का काम दूसरों को सौंप देते हैं, तो हम किसी को दोष नहीं दे सकते।”
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