अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सीवरेज का गंदा पानी गंगा में डाले जाने को लेकर भाजपा सरकार पर सनातन संस्कृति के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस के मीडिया समन्वयक अभय दुबे ने कहा कि भाजपा सरकारें महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं की आस्था का अनादर कर रही हैं। नई दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करते हुए अभय दुबे ने कहा कि 12 वर्षों के अंतराल में चार स्थानों पर महाकुंभ आयोजित किया जाता है। इनमें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक शामिल हैं। इस वर्ष महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी, पौष पूर्णिमा से 26 फरवरी 2025 महाशिवरात्रि तक किया जाएगा।
ऐसी मान्यता है कि श्रद्धालु जिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं, उसका जल आचमन करते हैं, वह अमृत के समान होता है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि हाल ही में एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने उत्तर प्रदेश और देश की भाजपा सरकारों पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि गंगा में सीवरेज को रोकने के लिए तुरंत सख्त कदम नहीं उठाया गया तो महाकुंभ में आने वाले लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा।
अभय दुबे ने कहा कि एनजीटी ने छह नवंबर 2024 के अपने आदेश में लिखा है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 30 अक्टूबर 2024 को जो अनुपालन रिपोर्ट दी है, उससे पता लगता है कि प्रयागराज नगर निगम में 468.2 एमएलडी (मिलियन लीटर डे) सीवेज़ में से सिर्फ 340 एमएलडी के लिए ही सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं, यानी करीब 12 करोड़ 80 लाख लीटर गटर का पानी सीधे गंगा में डाला जा रहा है। यह जघन्य पाप है, विशेष तौर पर इसीलिए क्योंकि प्रयागराज में कुंभ का आयोजन होना है।अभय दुबे ने कहा कि गंगा उत्तराखंड से निकलती है और कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी से होते हुए बिहार की तरफ चली जाती है। उन्होंने कहा कि इसी रिपोर्ट में बताया गया है कानपुर देहात में एक भी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। अयोध्या और अन्य जिलों में भी स्थिति चिंताजनक है। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की की रिपोर्ट यह बताती है कि 247 नालों से 3513.16 एमएलडी गंदा पानी सीधे गंगा और उसकी सहयोगी नदियों में छोड़ा जा रहा है। गंगा के किनारे रिवर फ्रंट के जो 16 शहर हैं, वहां पर 41 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैं, जिनमें छह स्थाई रूप से बंद है और 34 मानक स्तर के ही नहीं हैं। यूपी की 41 जगहों से वाटर क्वालिटी के सैम्पल लिए गए। उनमें से 16 जगहों पर 100 एमएल पानी में फ़ीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया 500 एमपीएन और 17 स्थानों पर 2500 एमपीएन से अधिक मिला। यानी, जिस गंगा जल में करोड़ों लोग डुबकी लगाते हैं और आने वाले कुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगे व उस जल का आचमन करेंगे, वहां इतनी बड़ी मात्रा में जानवरों और मनुष्यों का मल पाया गया।कांग्रेस नेता ने कहा कि उत्तराखंड में एनजीटी के संज्ञान में सीपीसीबी की वह रिपोर्ट लाई गई, जिसमें गंगोत्री के एक एमलीडी पानी की जांच करने पर पता चला कि 540 एमपीएन फ़ीकल कोलिफ़ॉर्म बैक्टीरिया 100 एमएल पानी में निकला था। इसका अर्थ है कि भाजपा सरकार ने गंगा के उद्गम को ही अपवित्र कर दिया। उत्तराखंड में 195.36 एमएलडी नालों का पानी सीधा गंगा में छोड़ा जा रहा है। वहां पर नदी के किनारों के शहरों में 53 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं, जिनमें तीन पूरी तरह बंद हैं। 48 मानक स्तर के ही नहीं हैं और सिर्फ दो प्लांट मानक स्तर के हैं।अभय दुबे ने कहा कि उत्तराखंड सरकार के रवैये को देखते हुए एनजीटी ने फरवरी में संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर तक के आदेश दे दिए। उन्होंने आगे कहा कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी गंगा जल में गटर का पानी मिलाया जा रहा है। एनजीटी ने वहां के कलेक्टर से कहा कि आप ही बताएं कि क्या गंगा का जल पीने या नहाने योग्य है। यदि नहीं है, तो यहां पर बोर्ड लगाकर लिख दीजिए कि यह पानी पीने या नहाने योग्य नहीं है।कांग्रेस नेता ने सवाल किया कि क्या उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री करोड़ों श्रद्धालुओं को यह आश्वासन देंगे कि कुंभ तक गंगा का जल नहाने और आचमन के लायक बन जाएगा। उन्होंने कहा कि छह नवंबर को एनजीटी ने यूपी मुख्य सचिव से चार सप्ताह में पूरे उत्तर प्रदेश की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अब तक यह रिपोर्ट जमा नहीं की गई। अभय दुबे ने आगे कहा कि महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए कांग्रेस पार्टी हरसंभव सहयोग को तैयार है, लेकिन प्रधानमंत्री को भी क्षमा याचना करनी चाहिए और जनता को आश्वासन देना चाहिए कि गंगा की पवित्रता को बरकरार रखने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
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