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दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय हाइलाइट्स

राहुल गांधी लगातार पार्टी, जनता, संस्थाओं और मीडिया पर आरोप लगाते रहे हैं, अब उन्होंने अपने ही नेताओं को भी दोष देना शुरू कर दिया है।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
भारतीय जनतापार्टी के राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने आज शनिवार कोनई दिल्ली स्थित भारतीय जनता पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधितकरते हुए राहुल गांधी द्वारा अपनी ही पार्टी के गुजरात नेताओं पर संदेह जताने पर सवाल खड़े करते हुएकहा कि राहुल गांधी के बयान फिर से कांग्रेस की दुर्गति और राहुल जी की बिगडतीमनः स्थिति, दोनों को ही इंगितकरता है। डॉ. त्रिवेदी ने कर्नाटक में कल पेश किए गए बजट पर सवाल पूछा किक्या कर्नाटक कांग्रेस ने मुस्लिम लीग के प्रभाव में यह बजट दिया है या केरल मेंअगले साल होने वाले चुनाव को ध्यान में रखते हुए आपने कर्नाटक के टैक्स पेयर्स केपैसे से केरल के अपने गठबंधन सहयोगी को संतुष्ट करने का प्रयास किया है? डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि भारत की राजनीति के चिर युवा नेता , जो गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान शायद ही किसी सभा में शामिल हुए हों और जो कांग्रेस के 140 सालके इतिहास में सबसे असफल अध्यक्ष साबित हुए, अब गुजरात में कांग्रेस कार्यकर्ताओं कोसफलता का मंत्र सिखा रहे थे। हालांकि यह कांग्रेसका आंतरिक मामला है, लेकिन उनके बयान कांग्रेस की आंतरिक दुर्गति और राहुल गांधी की बिगडती मनः स्थिति, दोनों को ही इंगित करता है । डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि राहुल गांधी जी ने कांग्रेसमें दो तरह के लोगों की बात की। उन्होंने कहा कि कोई किसी से मिला हुआ है, कोई किसीऔर से जुड़ा हुआ है, लेकिन अपनी ही पार्टी के लोगों को सार्वजनिक रूप से अपमानित करनेका ऐसा उदाहरण शायद ही कहीं देखने को मिले। भाजपा राहुल गांधी से पूछना चाहती है कि पहले वे खुद बताएं कि वे किस-किस से मिले हुए हैं। जब वे विदेश यात्रा परजाते हैं, तो वहां किन-किन लोगों से मिलते हैं? उनके साथ जाने वाले लोग किन लोगों सेजुड़े हुए हैं? दरअसल, जब से सोनिया जी और राहुल जी का दौर आया है, तब से गुजरात कांग्रेस की स्थिति ज्यादा ख़राब हुईहै। उनके कुछ संदिग्ध संस्थाओं से जुड़े होने के भी संकेत मिलते हैं। जो संपर्कसामने आ रहे हैं, वे कई सवाल खड़े करते हैं। आज सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व किन-किन लोगों से मिला हुआ है और विदेशों में जाकर किन किनसे मुलाकात करता है? भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि गुजरात  में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सरदार पटेल कीदुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा बनाई गई। लेकिन आज तक गांधी परिवार या कांग्रेस का कोईभी नेता उसे देखने तक नहीं गया। यह साबित करताहै कि अपने ही नेताओं के प्रति उनका सम्मान बदल जाता है, खासकर जब उनको वास्तविक सम्मान मिल जाए। मिलताहै। राहुल गांधी ने आज यह भी कहा कि कांग्रेस में नेताओं की कमीनहीं है. कांग्रेस में बब्बर शेर हैं, लेकिन वे बंधे हुए हैं। अब वे जिन भी नेताओं के बारे मेंटिप्पणी कर रहे हैं, चाहे उन्हें शेर कहें या ज़ंजीर से बंधा हुआ कहें। सच्चाईयह है कि यदि परिवारवाद की ज़ंजीर न हो, तो कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़ने को तैयारहो सकते हैं। सरदार सरोवर प्रोजेक्ट के समय राहुल गांधी जी के साथ वामपंथी, नक्सल समर्थकऔर अन्य ध्रुवीकरण करने वाले लोग खड़े थे। राहुल गांधी  ने कहा कि वे बिना किसी शर्मया डर के बात कर रहे हैं, तो वे इसका जवाबदें कि 2022 के चुनाव में उन्होंने गुजरात में कितनी सभाएंकी थीं?राज्यसभा सांसद ने कहा कि राहुल गांधी लगातार अपनी पार्टी, जनता, संवैधानिक संस्थाओं और मीडिया पर आरोप लगाते रहते हैं। अब उन्होंने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर भी दोषारोपण शुरू कर दिया है। राहुल जी दूसरोंमें गलतियां ढूंढना छोड़ें और आत्ममंथन करें। अगर वे खुद का विश्लेषण करेंगे, तो उन्हेंसमझ आएगा कि असली समस्या कहाँ है। राहुल गांधी को आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है,क्योंकि वे अब देश की हर संस्था, संवैधानिक संस्थाओं, सरकार, जनता, प्रधानमंत्री औरअपनी ही पार्टी के लोगों के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल करने लगे हैं। यह कांग्रेसके आंतरिक दुर्दशाऔर राहुल गांधी जी की बिगड़ती मानसिक स्थिति का स्पष्ट प्रमाण है। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण विषय कर्नाटकसरकार द्वारा कल पेश हुए बजट पर डॉ. त्रिवेदीने कहा कि बेंगलुरु को भारत की बौद्धिक राजधानीमाना जाता है, लेकिन कर्नाटक सरकार ने इस शहर में जिस तरह की बौद्धिक बेईमानी की है,उसे देखकर न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश की जनता हैरान और दुखी है।  यही कर्नाटक कांग्रेस है, जिसके कई नेताओं ने आपत्ति जनकबयान दिए हैं। राज्य के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठनेता ने यहाँ तक कहा था कि कर्नाटक में टैक्स कलेक्शन ज्यादा होता है, जबकि उत्तर भारतमें कम। जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या कर्नाटक को अलग होने पर विचार करना चाहिए, तो उन्होंने इस पर भी सहमति जताई थी। अब यह साफ समझ में आता है कि जो टैक्सकलेक्ट किया जा रहा है, उसका वितरण कहाँ और कैसे किया जा रहा है। डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कर्नाटक सरकार के इस बजट में केवल मुस्लिम समाजके बच्चों की स्कॉलरशिप के लिए 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। उर्दू के स्कूलों को और बेहतर बनाने के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गए है। वक्फ बोर्डकी संपत्तियों की मरम्मत के लिए 150 करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं। अल्पसंख्यक कॉलोनियोंके निर्माण के लिए 1 हजार करोड़ रुपये और नवविवाहित मुस्लिम दंपतियों को आर्थिक सहायतादेने के लिए 50 हजार रुपये का प्रावधान किया गया है। यदि कोई बच्चा प्राइवेट स्कूलमें पढ़ता है, तो उसकी फीस का 50% (2 से 5 लाख रुपये तक) सरकार वापस करेगी। विदेश मेंपढ़ाई के लिए जाने वाले छात्रों के लिए 20 लाख रुपये तक की मदद का प्रावधान किया गया है। भाजपा कांग्रेस पार्टी और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष, जो कर्नाटक से ही आते हैं, उनसेसीधा सवाल पूछना चाहती है कि अगर आप अल्पसंख्यकों की भलाई की बात कर रहे हैं, तो इसमेंबाकी अल्पसंख्यकों के लिए क्या किया गया है? सिखों, जैनों, पारसियों और यहूदियों केलिए क्या योजनाएं हैं? यह स्पष्ट किया जाना चाहिए। यह साफ दर्शाता है कि कर्नाटक मेंकांग्रेस का बजट मुस्लिम लीग से गठबंधन को ध्यान में रखकर बनाया गया है।डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि कांग्रेस वही पार्टीहै जिसके पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी कुछ खास वर्गों के पक्ष में बयान दिएथे। मीडिया में पहले से ही बयान मौजूद हैं कि देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमोंका होना चाहिए। 2022 के चुनाव में कांग्रेसके गुजरात प्रदेश अध्यक्ष जगदीशभाई ने भी यही कहा था कि मुस्लिमों का पहला हक होना चाहिए। अब कर्नाटक कांग्रेस ने बजट में केवलएक समुदाय,यानी मुस्लिम समाज को प्राथमिकता देकर यह साफ कर दिया है कि बाकी लोग दोयमदर्जे के हैं। केरल में कांग्रेस का मुस्लिम लीग से गठबंधन है और अब ऐसा लगता हैकि कांग्रेस की एकतरफा मानसिकता पर पूरी तरह ‘लीगी प्रभाव’ बढ़ता जा रहा है। इसलिए, अगर कर्नाटक के बजट को ‘लीगी बजट’ कहा जाए, तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।भाजपा कांग्रेससे पूछना चाहता हूं कि क्या कर्नाटक का यहबजट मुस्लिम लीग के प्रभाव में तैयार किया गया है? क्या यह केरल में अगले साल होनेवाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक के टैक्सपेयर के पैसों का उपयोग है? क्या कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगियों को संतुष्ट करनेका प्रयास किया है? भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी ने गुजरात में कहा था कि कांग्रेसके दो बड़े नेता हुए, सरदार वल्लभभाई पटेल और महात्मा गांधी। ये निश्चित रूप सेसभी के हैं और सरदार पटेल को राष्ट्र निर्माता माना जाता है। लेकिन शायद राहुल गांधी भूल गए कि कांग्रेस के एक और बड़े नेता थे, जो बाद में अलग राह पर चले गए, जो मोहम्मद अली जिन्ना थे। वे भी गुजरात से ही थे। आज की कांग्रेस सरदार पटेल और महात्मा गांधी के आदर्शों से दूर होती जा रहीहै, जबकि जिन्ना की विचारधारा के करीब दिख रही है। यह न सिर्फ गुजरात से लेकर कर्नाटकतक, बल्कि कर्नाटक से केरल और अन्य राज्यों तक कांग्रेस के बयानों और बजट प्रावधानोंमें साफ झलक रहा है। हम देश की जनता से कहना चाहते हैं कि कांग्रेस पार्टी अब ऐसी स्थितिमें पहुंच गई है, जहां वह अपनी ही आलोचना करने लगी है। कर्नाटक के बजट ने यह स्पष्टकर दिया है कि जो स्थान कभी मुस्लिम लीग का था, आज कांग्रेस उसी दिशा में बढ़ रही है।यह कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुविचारित रणनीति है। जो लोग अयोध्या में रामलला को प्रणाम करने नहीं गए, जो कुंभ में स्नान करनेप्रयागराज नहीं गए, उन्होंने कर्नाटक के बजट में अपने विचारों को पूरी तरह स्पष्ट करदिया है। 

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