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चंडीगढ़ ब्रेकिंग: एक झूठ को छिपाने के लिए झूठ पर झूठ बोल रही बीजेपी- हुड्डा

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा है कि पहले बीजेपी ने राज्यपाल से अभिभाषण में झूठ बुलवाया और अब अभिभाषण पर बोलते हुए सरकार खुद झूठ पर झूठ बोल रही है। यानी एक झूठ को छिपाने के लिए बीजेपी सरकार को एक के बाद एक झूठ बोलने पड़ रहे हैं। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी रोजगार देने, महंगाई रोकने, अपराध पर नकेल कसने, नशे की रोकथाम करने, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने से लेकर विकास करवाने समेत हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। अब इस सरकार के पास अपनी नाकामियों को छिपाने और उनसे ध्यान भटकाने के लिए सिर्फ इवेंट बाजी और कोरी लफ्फाजी बची हुई है।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अब तक विधानसभा सत्र के दौरान बीजेपी विपक्षी विधायकों के किसी सवाल का उचित जवाब नहीं दे पाई। कांग्रेस विधायकों ने तथ्यों के साथ अभिभाषण में किए गए तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी। हालांकि इस सरकार को आईना दिखाने के लिए विपक्ष की जरूरत नहीं है। अगर बीजेपी खुद के 2014, 2019 और 2024 वाले मेनिफेस्टो को उठाकर देख लेगी तो उसे पता चल जाएगा कि उसने जनता के साथ कितना बड़ा विश्वासघात किया है। इतना ही नहीं, अगर बीजेपी एनएसएसओ, एसपीआई और एनसीआरबी से लेकर केंद्र सरकार के तमाम आंकड़ों को उठाकर पढ़ लेगी तो उसे खुद पता चल जाएगा कि वो कितने पानी में है। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार के दौरान भर्तियों में इस हद तक गड़बड़झाला हो रहा है कि HPSC की हर एक भर्ती आज कोर्ट में फंसी हुई है। पीजीटी मैथ्स, बायोलॉजी, पंजाबी, इंग्लिश, पॉलिटिकल साइंस, होम साइंस, फिजिक्स फिजिकल एजुकेशन, सोशियोलॉजी, ज्योग्राफी, फाइन आर्ट्स, संस्कृति और उर्दू समेत हर भर्ती पर 7 से लेकर 33 केस हो रखे हैं। इस सरकार ने इन भर्तियों में जो धांधली  की हैं, उसके सबसे ज्यादा शिकार ओबीसी वर्ग के अभ्यर्थी हुए हैं। क्योंकि सरकार ने उन्हें उचित तरीके से आरक्षण का लाभ नहीं दिया। कई ओबीसी अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग की लिस्ट में चढ़ाकर उन्हें मेरिट से बाहर कर दिया गया। जबकि उनको ओबीसी कैटेगरी की मेरिट में कंसीडर किया जाना चाहिए था। इसी तरह, किसी भर्ती के सवाल गलत है या सवाल कॉपी हैं और  किसी में अभ्यर्थियों को तय नियमों के हिसाब से अंक नहीं दिए गए। ऐसी अनगिनत गड़बड़ियों के चलते सारी भर्तियां कोर्ट में लटकी हुई है। इतना ही नहीं HSSC की भर्तियों की बात की जाए तो ग्रुप-सी की भर्ती को लेकर भी कोर्ट ने बार-बार सरकार को फटकार लगाई और रिजल्ट को रिवाइज करने के आदेश दिए हैं। ग्रुप-डी की भर्तियों में लगभग एक हजार कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्हें कई महीनों से वेतन तक नहीं दिया गया। क्योंकि अभी तक सरकार उनकी वेरिफिकेशन ही नहीं करवा पाई। जबकि उनसे लगातार सरकारी कार्यालय में काम लिया जा रहा है। पांच साल में सरकार बमुश्किल एक बार सीईटी करवा पाई है, जबकि इसे हर छह महीने या हर साल करवाया जाना चाहिए था। 2 लाख नौकरियां देने का वादा करके सत्ता में आई बीजेपी अब तक सीईटी नहीं करवा पाई है। इस बीच अगर इस सरकार में कोई इक्का-दुक्का भर्ती हो भी रही है तो उसमें भी हरियाणा वालों से ज्यादा बाहर के लोगों को चयनित किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण सिंचाई विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर की भर्ती है। इसमें सामान्य वर्ग के 42 पदों पर 28 चयनित अभ्यर्थी हरियाणा से बाहर के हैं। जबकि अन्य तमाम राज्यों में सरकार इस तरह नियम तय कर रही है कि उनकी भर्तियों में उन्हीं राज्यों के युवा चयनित हो। जबकि हरियाणा में किसके विपरीत नियम बनाए जा रहे हैं।आरोही स्कूल प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने क्रांतिकारी योजना लागू करते हुए 36 आरोही मॉडल स्कूल बनाए थे। बीजेपी ने इन स्कूलों की श्रृंखला को आगे बढ़ाना तो दूर, कांग्रेस द्वारा बनाए गए स्कूलों का बंटाधार कर दिया और अपने पूरे कार्यकाल में एक भी टीचर की भर्ती नहीं की। और ना ही पहले से नियुक्त टीचर्स को पक्का किया गया। अब तक लगभग 2000 टीचर्स इन स्कूलों से इस्तीफा दे चुके हैं और अभी हाल ही में 20 और शिक्षकों ने त्यागपत्र दे दिया है। आज इन स्कूलों के 10500 विद्यार्थियों पर मात्र 265 शिक्षक हैं। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने प्रदेश के कच्चे कर्मचारियों को भी धोखा दिया है। कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने को लेकर कांग्रेस सरकार ने एक उपयुक्त नीति बनाई थी। जबकि भाजपा ने कौशल निगम के नाम पर सिर्फ युवाओं को धोखा दिया है। अब यह बात हाई कोर्ट में भी साबित हो गई है, जहां कोर्ट ने बाकायदा कहां है कि कच्चे कर्मचारियों को 2011 की पॉलिसी के तहत पक्का किया जाए। वहीं दूसरी तरफ हाई कोर्ट ने कौशल रोजगार निगम को पूरी तरह अवैध करार दिया है और इसके सीईओ पर ₹50000 का जुर्माना लगाया है।बीजेपी ने चुनाव में वोट लेने के लिए कौशल कर्मियों को झूठ बोला और उन्हें पक्का करने का वादा किया। जबकि चुनाव खत्म होते ही उन कर्मियों को नौकरी से निकलना शुरू कर दिया।भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी ने अभी तक अपने किसी चुनावी वादे को पूरा नहीं किया। बीजेपी बताएं कि क्या महिलाओं को 2100 रुपये मिलने लगे? किसानों को धान का 3100 रेट मिला? चुनाव में सत्ताधारी पार्टी ने किसानों को धान का ₹3100 रेट देने का वादा किया था। लेकिन सच्चाई यह है कि सरकार बनने पर बीजेपी ने किसानों को एमएसपी तक नहीं दी। उन्हें ₹200 से 400 कम रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ी। ये सरकार बार-बार दावा करती है कि उसने पहली बार प्रदेश में भावांतर भरपाई योजना लागू की। जबकि ये योजना पहले मध्यप्रदेश में फ्लॉप साबित हो चुकी थी। उसके बाद हरियाणा के किसानों को यह झूंझना पकड़ाया गया, जिससे किसी भी किसान को लाभ नहीं हो रहा है। पीएम फसल बीमा योजना की पोल खुद केंद्र सरकार ने संसद में खोल दी है। केंद्र सरकार ने बताया है कि इस योजना के तहत बीमा दावों के भुगतान में 90% की भारी गिरावट हुई है। वर्ष 2022-23 में हरियाणा के किसानों को ₹2,496.89 करोड़ का भुगतान हुआ, लेकिन 2023-24 में सिर्फ ₹224.43 करोड़ ही मिला। फसल बीमा योजना किसानों के खून-पसीने की कमाई लूटकर निजी बीमा कंपनियों की तिजोरी भरो योजना साबित हो रही।

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