अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार बेहद गंभीर है। इस संबंध में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सर्दियों के मौसम में दिल्ली में पहली बार प्रदूषण का स्तर 400 के पार चला गया है, 14 अक्टूबर के बाद से दिल्ली में प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई.) पूअर और वेरी पूअर की कैटेगरी में बना हुआ था अचानक दो दिनों में प्रदूषण का स्तर वेरी पूअर से सिवियर कैटेगरी में चला गया है। इसी को देखते हुए आज ग्रीन वॉर रूम में पर्यावरण वैज्ञानिकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद गोपाल राय ने सभी संबंधित विभागों को ग्रेप-2 से संबंधित दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए। उन्होंने आगे कहा कि वैज्ञानिकों ने पिछले दो दिनों की जो रिपोर्ट रखी है उसके अनुसार पिछले दो दिनों में प्रदूषण के स्तर में बढ़ोत्तरी का मुख्य दो कारण हैं। पहला पहाड़ों पर बर्फबारी होने के कारण दिल्ली के तापमान में गिरावट दर्ज की गई है और जिसकी वजह से पूरे उत्तर भारत में सुबह और शाम को धुंध की स्थिति बनी हुई है। दूसरा हवा की जो गति है उसमें कमी आई है। इन दो वजहों से प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। गोपाल राय ने कहा कि हवा की जो गति है उसमें सुधार होने का अनुमान है जिस से प्रदूषण के स्तर में कमी होने का अनुमान है। कल सी.ए.क्यू.एम. ने मीटिंग की थी और उसमें उन्होंने निर्णय लिया की अभी दिल्ली में ग्रेप-3 नहीं लागू किया जाएगा। अभी दिल्ली में ग्रेप-2 लागू है और इसके तहत जो-2 प्रतिबंद्ध लागू है उसको सख्ती से लागू की जाएगी और आज इस संदर्भ में सभी विभागों को पुनः: निर्देश दिया गया हैं। ग्रेप-2 से संबंधित जो भी निर्णय और निर्देश जारी किए गए थे चाहें वह एंटी डस्ट के लिए हो,चाहे इंडस्ट्रियल प्रदूषण के संबंध में हो चाहे वाहन प्रदूषण के संबंध में हो, उसका सख्ती से पालन करवाया जाए। गोपाल राय ने कहा कि सरकार सभी परिस्थितियों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। हमारी कोशिश है कि ग्रेप-2 के जो प्रतिंबंध है उनको कड़ाई से पालन करवाकर दिल्ली के प्रदूषण को रोकने में सफल हों ,जिससे कि दिल्ली में ग्रेप-3 लागू करने की नौबत ही न आए। यदि आने वाले दिनों में मौसम की प्रतिकूलता के कारण जो प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है और दिल्ली का प्रदूषण सिवियर कैटेगरी में जाता है तो हमारी सरकार दिल्ली के लोगों की सांसों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने के लिए तैयार है। गोपाल राय ने कहा कि दो तीन तथ्यों को दिल्ली की जनता और देश की जनता के सामने रखना चाहता हूँ। सीएसई ने 12 अक्टूबर से 3 नवम्बर के बीच आईआईटीएम के डाटा का एनालसिस जारी किया है। इस एनालिसिस से यह पता चलता है कि वास्तव में दिल्ली में जो प्रदूषण है उसमें इस रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का योगदान 30.34 प्रतिशत, एनसीआर के जिलों का 34.97 प्रतिशत तथा एनसीआर से सटे जिलों का 27.94 प्रतिशत का योगदान है। दिल्ली सरकार दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए समर एक्शन प्लान और विंटर एक्शन प्लान बनाकर कर पुरजोर प्रयास कर रही है लेकिन अगर दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करना है तो केन्द्र सरकार को एनसीआर के राज्यों तथा एनसीआर से सटे राज्यों के साथ मिलकर एक संयुक्त एक्शन प्लान बनाना होगा और उसको कड़ाई के साथ लागू करना होगा और सबको अपने हिस्से के प्रदूषण को नियंत्रित करना पड़ेगा। गोपाल राय ने बताया कि जब 2022 में पंजाब में 14 अक्टूबर से 13 नवम्बर के बीच पराली जलाने की 45172 घटना हुई थी। हमारी पंजाब की सरकार ने इस पर काम करना शुरू किया तो 2023 में 14 अक्टूबर से 13 नवम्बर के बीच पराली जलाने की घटना 26127 पर आ गई और 2024 में 14 अक्टूबर से 13 नवम्बर के बीच पराली जलाने की केवल 7492 घटनाएं हुई है। अगर हम प्रतिशत में इस कमी को देखे तो यह 80 प्रतिशत होता है। यानी की हमारी सरकार के प्रयासों से यह पराली जलाने की घटना में पिछले 3 साल में 80 प्रतिशत की कमी आई है। यह डेटा केन्द्र सरकार का डेटा है। इसी डेटा के आधार पर हम देखें तो दिल्ली के सटे राज्य उ.प्र. में 2022 में पराली जलाने की 1271 घटना हुई थी जो बढ़कर 2024 में 2167 हो गई । उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोग जो हर साल प्रदूषण की मार को झेल रहे हैं उसके लिए केवल दिल्ली के लोग जिम्मेदार नहीं है। एनसीआर के राज्यों और उससे सटे राज्यों की भी उतनी ही जिम्मेदारी है। अत: यदि दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करना है तो चारों सरकारों उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान तथा केन्द्र सरकार को मिल कर कार्य करना होगा,तभी हम प्रदूषण को कंट्रोल कर सकते हैं।
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