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पंचकूला

6 महीनों के अथक प्रयासों से 10 साल बाद गुमशुदा जितेन्द्र चहल को मिला अपना खोया हुआ परिवार

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
पंचकूला:राज्य अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने पिछले 10 साल से महाराष्ट्र के गोंदिया से लापता 18 वर्षीय जितेन्द्र चहल को उसके परिजनों से मिलवाने में सफलता प्राप्त की है। वह 8 वर्ष की आयु में महाराष्ट्र के गोंदिया से लापता हो गया था। यह बच्चा वर्ष 2014 में लापता हुआ था जिसे आज पंचकूला में अपने परिवार से मिलवाया गया है। जितेन्द्र को अपने बीच पाकर परिजनों की खुशी का ठिकाना नही रहा और खुशी से बार-बार उनकी आंखें नम हो रही थी। इस बच्चे को स्टेट क्राइम ब्रांच की एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट पंचकूला की कड़ी मेहनत व संवेदनशीलता की वजह से तलाश किया गया है। इसके लिए पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने उन्हें अपनी शुभकामनाएं दी और भविष्य में भी इसी प्रकार मेहनत व लगन के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
क्या था मामला
राज्य अपराध शाखा की एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट में कार्यरत एएसआई राजेश कुमार ने हरियाणा से गुमशुदा बच्चों की तलाश में बाल गृह बिलासपुर छत्तीसगढ़ में संपर्क किया था। बाल गृह में कार्यरत एक व्यक्ति ने उन्हें बताया कि एक लड़का जिसका नाम जितेंद्र चंदेल है और वर्तमान आयु लगभग 18 वर्ष है। यहां पर लगभग आठ वर्ष से रह रहा है। उन्होंने निवेदन किया कि वे जितेन्द्र का परिवार तलाश करने में उनकी सहायता करें। इस मामले में गुमशुदा बच्चे की काउंसलिंग करते हुए उससे फोन पर बात की गई। उसने अपना नाम जितेंद्र चंदेल, पिता का नाम अर्जुन चंदेल, माता का नाम जीजाबाई, भाई का नाम राज बताया। उसने बताया कि वह अपने गांव माली से अपनी माता के साथ निकला था। इससे ज्यादा उसे कुछ याद नही था। एंटी ह्यूमन ट्रेफिकिंग यूनिट की टीम ने चंदेल जाति व माली गांव का पता लगाया। इस बारे में अलग-2 राज्यों में संपर्क किया गया और गुमशुदा बच्चे को लेकर जानकारी जुटाई गई। लगभग 6 महीने में बच्चे के परिवार को तलाश किया गया और इसकी जानकारी छत्तीसगढ़ के बाल गृह में दी गई। पता लगा कि यह बच्चा वहां से लापता हो गया है। जितेन्द्र के बारे में पता लगाने पर सूचना मिली कि वह अब पुणे में रह रहा है। जितेन्द्र के दोस्त के माध्यम से जितेन्द्र की पुणे में तलाश की गई और उसे उसके बिछड़े परिवार के मिलने के बारे में सूचना दी गई। जितेन्द्र चंदेल की जिला गोंदिया के गांव माली में रहने वाले उसके मामा राजेश से संपर्क करवाया गया। बताया गया कि जितेन्द्र की माता जीजीबाई की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। वर्ष 2014 में वह जितेन्द्र को लेकर कहीं चली गई थी जो आज तक नहीं मिली। बहुत तलाश करने पर भी जितेन्द्र और उसकी माता का पता नही लगाया जा सका। उन्हें दिनांक 26 जुलाई 2024 सूचना प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि इस बच्चे के असली गांव का नाम मदनपुर है और जिला मध्य प्रदेश के जिला बालाघाट का रहने वाला है। परिवार के लोगों ने बताया कि बच्चे के पिता की मृत्यु हो चुकी है और बच्चे की मम्मी और बच्चा दोनों इकट्ठे गुमशुदा हुए थे। आज मंगलवार को गुमशुदा जितेन्द्र चंदेल के मामा राजेश और परिवार के लोग पंचकूला पहुंचे। जितेन्द्र को देख वे एकाएक भावुक हो गए। उन्होंने इस मौके पर हरियाणा पुलिस का आभार व्यक्त किया।राज्य अपराध शाखा की अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ममता सिंह ने बताया कि सोशल मीडिया जैसे माध्यम दुनिया भर में गुमशुदा व्यक्तियों को खोजने का सशक्त माध्यम है। लापता व्यक्तियों का विवरण देने वाले ऐसे पोस्ट प्रसारित करने में हमें कुछ ही सेकंड लगेंगे। यह संदेश किसी गुमशुदा को उसके परिजनों से मिलाने में अहम योगदान दे सकता। उन्होंने आमजन से अपील करते हुए कहा कि वे इस प्रकार के लापता लोगों व बच्चों के बारे में जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर जरूर शेयर करें ताकि किसी भी ऐसे लापता बच्चों को जल्द से जल्द अपने परिवार से मिलवाया जा सके।

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