अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
पलवल:नगराधीश द्विजा ने बताया कि जिला में बाल कल्याण समिति की ओर से देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की नियमित रूप से काउंसलिंग की जाए। पोक्सो अधिनियम के तहत ऐसे जरूरतमंद बच्चों की शारीरिक,चिकित्सकीय, आर्थिक या कानूनी मदद भी की जाए। नगराधीश द्विजा ने यह निर्देश बाल कल्याण समिति की ओर से जिला में जरूरतमंद बच्चों को शारीरिक, चिकित्सकीय व आर्थिक या कानूनी सहायता प्रदान करने के संबंध में समिति में शामिल संबंधित अधिकारियों व सदस्यों की गत दिनों बैठक लेकर दिए। उन्होंने बताया कि रणवीर सिंह तथा सुनील कुमार को बाल कल्याण समिति पलवल में सदस्य बनाया गया है। बैठक में निर्धारित एजेंडा से संबंधित मुद्दों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। सीडब्ल्यूसी पलवल ने अवगत कराया कि वर्तमान में बाल कल्याण समिति में तीन सदस्य कार्यरत हैं।
बैठक में समिति ने अवगत कराया कि देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की नियमित रूप से काउंसलिंग की जा रही है। तीन वर्ष की आयु के सुमित नाम के एक बच्चे, जिसके पिता जेल में हैं, को गत 28 अप्रैल 2022 को फरीदाबाद में विशेष दत्तक ग्रहण एजेंसी में स्थानांतरित कर दिया गया है। कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बच्चे को उसके पिता को सौंप दिया जाएगा। समिति के सदस्यों नेे बताया कि यदि बच्चा अपने पिता के साथ जाने के लिए सहमत नहीं है तो उसे चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूशन भेजा जाएगा। नगराधीश द्विजा ने समिति को इस मामले में निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का दिशा-निर्देश दिए।
समिति ने बताया कि पिछली तिमाही के दौरान पोक्सो अधिनियम के तहत कुल 50 मामलों क्रमश: जुलाई माह में 17, अगस्त में 15 तथा सितंबर महीने में कुल 18 मामलों की पहचान की गई है। इन बच्चों की नियमित रूप से काउंसलिंग की जाती है कि उन्हें शारीरिक, चिकित्सकीय, आर्थिक या कानूनी मदद की जरूरत है या नहीं। बच्चे की सामाजिक जांच रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद समिति 20 हजार रुपए तक प्रति बच्चे की आर्थिक सहायता प्रदान करने की हकदार है। जिला बाल संरक्षण अधिकारी पलवल को पोक्सो अधिनियम से संबंधित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कर आगामी बैठक में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए। समिति ने बताया कि पिछली तिमाही में कुल 12 गुमशुदा मामलों की पहचान की गई है। पहचान के बाद विवरण गुमशुदा पोर्टल पर अपलोड कर दिया गया है और इसके पश्चात पुलिस विभाग को सूचित कर दिया गया है। समिति को इन मामलों के संबंध में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए। समिति ने बताया कि भिखारी और हाथ से मैला ढोने वाले बच्चों की पहचान करने के बाद उन बच्चों के बयान दर्ज किए जाते हैं। कुछ बच्चों ने अपने बयान में कहा कि उनके माता-पिता उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करते हैं। इस पर संज्ञान लेते हुए नगराधीश द्विजा ने समिति को निर्देश दिए कि उनके माता-पिता को इस संदर्भ में निर्देश दिए जाएं। उन्होंने जिला बाल संरक्षण अधिकारी पलवल को निर्देश दिए कि वे ऐसे बच्चों को जिला शिक्षा अधिकारी पलवल के समन्वय से विद्यालयों में प्रवेश दिलाने सुनिश्चित करें। नगराधीश द्विजा ने निर्देश दिए कि सभी संबंधित विभागों के अधिकारी एक-दूसरे के साथ आपसी तालमेल व समन्वय से अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करें।
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