संवाददाता : ‘अम्मा’ के बाद एआईएडीएमके की सर्वेसर्वा बनीं ‘चिनम्मा’ ने इस बात के पक्के इंतजाम कर लिए हैं कि उनके जेल में रहने के बाद भी पार्टी के कमान किसी बाहरी व्यक्ति के हाथ में न रहे। इसीलिए उन्होंने पार्टी में अपने फैमिली मेंबर्स की एंट्री करा दी है और उन्हें अहम जिम्मेदारियां सौंपी हैं। सोमवार को शशिकला जब विधायकों से मिलने के लिए कूवाठूर रिजॉर्ट जा रही थीं, उससे पहले उन्होंने पार्टी वर्कर्स को एम.जी. रामचंद्रन की मौत के बाद जयललिता के बारे में बताया।
उन्होंने कहा, ‘रामचंद्रन के शव को ले जा रहे वाहन से उनकी पत्नी जानकी के परिजनों ने जयललिता को धक्का दे दिया था। जेप्पियार ने उनकी कमर वार किया था। वह शारीरिक तौर पर मजबूत शख्स थे। उस वक्त मासूम बच्चे रहे दिनाकरन उनके पीछे खड़े थे, उन्होंने जेप्पियार के हाथ को पकड़ा और दांतों से चबा लिया। वह अपनी ताकत के अनुसार जो कर सकते थे, उन्होंने किया।’
बुधवार को बेंगलुरु ट्रायल कोर्ट के समक्ष सरेंडर के लिए जाने से पहले उन्होंने अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरन को पार्टी का डेप्युटी जनरल सेक्रटरी नियुक्त कर दिया था। दिनाकरन को अहम जिम्मेदारी दिए जाने का अर्थ यह निकाला जा रहा है कि आय से अधिक संपत्ति मामलों में सलाखों के पीछे रहने के बाद भी पार्टी पर पूरी पकड़ रखने के लिए उन्होंने यह दांव चला है। उन्होंने दिनाकरन के साथ ही एक और भतीजे एस. वेंकटेश को भी पार्टी में दोहारा एंट्री दिलाई है। दिनाकरन को जयललिता ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। जयललिता ने इन दोनों के अलावा शशिकला के पति एम.एन. नटराजन समेत 12 लोगों को दिसंबर, 2011 में पार्टी से बेदखल कर दिया था।
एआईएडीएमके में नए सत्ता केंद्र बने दिनाकरन की ताकत को उसी वक्त महसूस कर लिया गया था, जब 9 फरवरी को सीएम पद का दावा पेश करने राजभवन गईं शशिकला के साथ वह भी मौजूद थे। यही नहीं बुधवार को शशिकला के भरोसेमंद ई. पलनिसामी जब सरकार बनाने का दावा करने के लिए राजभवन गए, तब भी वह उनके साथ थे। दिनाकरन के एक पूर्व सहयोगी ने कहा, ‘वह एक अच्छे टीम लीडर हैं और पार्टी काडर के लिए स्वीकार्य चेहरा हैं, जो सबको साथ लेकर चल सकता है। पहले ही सीनियर नेताओं में इस बात की चर्चा थी कि दिनाकरन को महासचिव बनाया जाना चाहिए, जो नहीं हो सका।’