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हरियाणा

देश की आजादी के बाद पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने 1947 की विभाजन की इस पीड़ा को समझा।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़; हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त 2021 को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी ।  उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद  पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने 1947 की विभाजन की इस पीड़ा को समझा और इतिहास जानने  का मौका दिया। उन्होंने कहा कि इस दिवस के माध्यम से युवाओं को  इतिहास जानने का अवसर मिलेगा । उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को इतिहास से अवगत करवाया  जाना चाहिए ताकि दोबारा से पथ भ्रष्ट और देशद्रोही ताकतों को ऐसा  अवसर न मिले ।

उन्होंने कहा कि समाज में एकता सद्भावना, स्वाभिमान और भाई चारे की भावना बनी रहे और देश हित के लिए मर मिटने की बजाए जिंदा रहने की प्रेरणा ले  सके। उन्होंने कहा कि  हमें आपस में एकजुट रहकर विद्रोह की भावना को दूर करना है इसके लिए समाज को जागरूक करने के साथ-साथ एकजुटता के साथ रहने का भी संकल्प लेना है। मुख्यमंत्री ने नाटक का मंचन करने वाले कलाकारों की प्रशंसा करते हुए अपने स्वैच्छिक कोष से 5 लाख देने की घोषणा की। विभाजन विभीषिका के दृश्यों को  नाटक के रूप में देख कर मुख्यमंत्री भावुक हो गए और विभाजन के समय से जुड़े हुए चार व्यक्तियों का कुशलक्षेम पूछते हुए उन्हें शाल भेंट कर सम्मानित भी किया।

पंचकूला मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी का मुख्य उद्देश्य विकास के साथ साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना। इसीलिए प्राधिकरण ने भारत के बंटवारे की पीड़ा और भयावहता को दर्शाने के लिए  इस रंगमंच कार्यक्रम का आयोजन किया । इन्द्रधनुष ऑडिटोरियम, पंचकूला में आयोजित कार्यक्रम में नाट्य गृहम ग्रुप, चंडीगढ़ एवम भारतीय रंगमंच विभाग की अध्यक्ष व अभिनेता-निर्देशक, डॉ नवदीप कौर के निर्देशन में दिनेश नायर द्वारा रचित लाल लकीर का मंचन किया गया। इस कार्यक्रम में,विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता और सांसद नायब सिंह सैनी, पूर्व मंत्री कर्ण देव कंबोज, मुख्य सचिव संजीव कौशल , पंचकूला के मेयर कुलभूषण गोयल, उपायुक्त महावीर कौशिक, पुलिस उपायुक्त सुरेंद्र पाल सिंह की गरिमामई उपस्थिति रही। समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई।

लगभग डेढ़ घंटे के नाटक के दौरान बंटवारे के परिदृश्यों को बारीकी और संवेदनशीलता से दिखाया गया। इस नाटक द्वारा उन भयावह और अकथनीय संघर्षों को दर्शाया गया, जिन का लोगों ने उस दौरान सामना किया। ‘लाल लकीर’ नाटक अनुचित संघर्ष के हिंसक और भावनात्मक अंत को दर्शाता है। नाटक के सभी प्रतिभागियों को एप्रीसिएशन सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में न केवल कला के माध्यम से लोगों को एक साथ लाया, बल्कि हर वर्ष विभाजन विभीषिका दिवस मनाने का महत्व भी महसूस करवाया गया। ‘लाल लकीर’ नाटक का कथानक अविभाजित पंजाबी गांव में सेट किया गया है, जो हमारे भाइयों व बहनों द्वारा सही गई विभाजन की भयावहता को चित्रित करता है। यह नाटक भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए किए गए संघर्ष की गाथा का वर्णन करता है।

 नाटक का आधार यह है कि कैसे एक ऐसी भूमि पर रेखा खींची गई जहां कई धर्म के व्यक्ति एक साथ खुशहाल वातावरण में रहते थे और यह रेखा उस सद्भाव और शांति को तोड़ते हुए बनाई गई। जहां एक प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि से नाटक आगे बढ़ता है, वहीं एक ‘फकीर’ आने वाली कयामत की भविष्यवाणी करता है। 200 से अधिक वर्षों की अराजकता, अनिश्चितता और पीड़ा के बाद, भारत को अंततः अंग्रेज़ों के  शासन से 15 अगस्त 1947 के दिन आज़ादी प्राप्त हुई, परन्तु भारत का विभाजन दो अलग-अलग देशों में कर दिया गया। विभाजन के दौरान लोगों द्वारा झेली गई अनगिनत भयावहताओं और पीड़ाओं को 14 अगस्त 2022 को मनाए गए विभाजन विभिषिका दिवस के माध्यम से याद किया गया। पंचकूला मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी ने “लाल लकीर” नाटक के माध्यम से इस दौर का विस्तृत रूप में वर्णन कर, एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

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