नई दिल्ली / अजीत सिन्हा
श्रीमती अल्का लांबा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी पत्रकार साथियों को जय माता दी कहती हूं। आज नवरात्रि की शुरुआत है। आज से मां भगवती, देवी के हर रुप की आज से पूजा अर्चना शुरु होगी। देशवासियों को, आप सबको शुभकामनाएं देती हूं और देश के प्रधानमंत्री, नरेन्द्र मोदी की नवरात्रि के पहले दिन सुबह उठते-उठते जो भेंट मिली देश को, जो तोहफा मिला हम सबको, उसको लेकर आई हूं। रसोई गैस की कीमतों में प्रति सिलेंडर 15 रुपए की वृद्धि, इस तरह से नवरात्रि के पहले दिन का देश में त्योहारों की शुरुआत होती है। देश किस आर्थिक मंदी से गुजर रहा है – बेरोजगारी, महंगाई सबसे त्रस्त है। सोचा होगा कि नवरात्रि के पहले दिन से उनके कष्ट कटने शुरु हो जाएंगे, उन्हें राहत मिलेगी। देश के करोड़ों गरीब, मध्यम वर्गीय परिवारों पर, जो महंगाई, बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं, लेकिन देश के प्रधानमंत्री को, केन्द्र की मोदी सरकार, भाजपा सरकार को कतई भी इस बात का अहसास ही नहीं हो रहा है कि देश किस दौर से गुजर रहा है। मैं थोड़ा सा मीडिया का ध्यान इस अखबार पर भी ले जाना चाहती हूं ‘(अखबार दिखाते हुए) कच्चे तेल में उबाल से बढ़े हैं, पेट्रोल-डीजल के दाम’। मीडिया के साथियों से पूछना चाहती हूं, ये हैडलाइन तब क्यों नहीं बनी, जब इसी मोदी सरकार में कच्चे तेल की कीमतें 30-40 डॉलर प्रति बैरल की निचाई पर भी थी, तब क्यों नहीं सवाल पूछा कि कच्चे तेल की कीमतों में उबाल नहीं, बिल्कुल नीचे हैं। तब भी हमारे देश में पेट्रोल-डीजल के दाम ऊपर क्यों थे, ये सवाल क्यों नहीं मीडिया पूछता, मैं पूछना चाहती हूं?
मैं आपके सामने फिर वही आंकड़े रख रही हूं। 24 सितंबर, 2021 से अब तक बार- बार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं। पुरानी बात नहीं है, आज की बात कर रही हूं, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस (Petroleum Planning and Analysis) का 7 अक्टूबर का, अभी वेबसाइट खोलिए, 7 अक्टूबर सुबह-सुबह, जब मैं आपसे बात कर रही हूं। आज भारत की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 103 रुपए 24 पैसे और 10 दिन से हम देख रहे हैं, 27 सितंबर से 7 अक्टूबर तक लगातार दाम रोजाना बढ़ाए हैं। वहीं पर अगर आप डीजल को देखेंगे, तो 23 सितंबर से 7 अक्टूबर तक लगातार दाम बढ़े हैं और आज राजधानी दिल्ली में डीजल के दाम 91 रुपए 77 पैसा है। फिर आप सबसे निवेदन करुंगी हाथ जोड़कर, खोलिए वेबसाइट, पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल का, 7 अक्टूबर ने सुबह-सुबह उठते सबसे पहला काम ये किया है,ये मेरा नहीं भारत सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय की जानकारी है। मैं आपसे कहूंगी ईमानदारी से देशहित में एक बार ईमानदारी से अपने टीवी चैनल से कहिए, निष्पक्षता के साथ एक डिबेट करिए ना। बुलाइए कांग्रेस के, हमारे पूर्व जितने भी मंत्री रहे हैं हमारे, फाईनेंस मिनिस्टर रहे हैं और बैठाते हैं निर्मला सीतारमन जी को। हमारे पेट्रोलियम मिनिस्टर जो भी रहे हैं और आपके आज के, बैठाइए ना, श्वेत पत्र लेकर आइए, चर्चा खुलकर करते हैं, डिबेट करते हैं कि किसके समय पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें क्या थी औऱ देश में क्या कीमते हैं। करिए ना, हम चुनौती दे रहे हैं, हम तैयार हैं, हम पूछना चाहते हैं, आप तैयार क्यों नहीं हैं? आज कच्चे तेल की कीमत 80.75 डॉलर प्रति बैरल है, पर 2013 में 140 डॉलर प्रति बैरल था, तुलना करिए ना। आज क्या है 7 अक्टूबर, 2021 को, जो मैं आपसे बात कर रही हूं, 80.75 प्रति बैरल। अब कौन सा ज्यादा होता है, 140 ज्यादा होता है या 80 ज्यादा होता है? ये बताना बहुत कठिन तो नहीं है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें क्या थी।अब आ जाइए एलपीजी गैस सिलेंडर पर। एलपीजी गैस सिलेंडर की जो कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पड़ रही हैं, वो 664.27 यूएस डॉलर प्रति मीट्रिक टन है। कांग्रेस के समय में, ये चार्ट पेपर मेरे हाथ में है (चार्ट पेपर दिखाते हुए), नकार दीजिए इसको, ये आंकड़े झूठे हैं कह दीजिए। ये तो सरकारी वेबसाइट से आपके ही आंकड़े लेकर उसका प्रिंट आउट निकाल कर रख रही हूं कि अंदर हम कमरों में बैठकर बनाकर हाथ से नहीं लाए ये ग्राफिक। ये क्या कहता है? ये कहता है कि 2012 में इंटरनेशनल एफओबी प्राइस जो एलपीजी का था, 2012-13 में 885.2 था। 2013-14 में जब हमने सरकार छोड़ी थी, तो इंटरनेशनल एफओबी प्राइस जो था, वो 880.5 यूएस डॉलर था। आज कितना है, आपकी वेबसाइट बताती है 664 है। अब इनसे पूछिए 800 ज्यादा होता है या 600 ज्यादा होता है। जब 800 डॉलर था था, तब एलपीजी के इतने दाम नहीं थे। ये तो रिकॉर्ड ब्रेकिंग दाम हैं। इतिहास उठा कर देखेंगे तो कभी भी इस देश में आजादी के 70 सालों में 100 रुपए पार पेट्रोल नहीं किया है। एलपीजी गैस का सिलेंडर कुछ राज्यों में 1,000 रुपए पार कर रहा है।
सब्सिडी के नाम पर हर पेट्रोल पंप पर करोड़ों रुपए के विज्ञापन इस सरकार द्वारा लगाए गए, उज्जवला योजना, सब्सिडी राहत, अमीर लोगों का सब्सिडी छोडिए, आप छोड़ेंगे तो मैं गरीब लोगों को राहत दूंगा। अमीर लोगों ने सब्सिडी छोड़ी, मध्यम वर्गीय लोगों ने भी सब्सिडी छोड़ दी, क्योंकि देशभक्ति की बात हो रही थी। मध्यम वर्गीय भी मार झेल रहा था, मगर प्रधानमंत्री जी ने देशभक्ति की, राष्ट्रवाद की भावनाएं जगाकर सब्सिडी छोड़ने को कहा, छोड़ दी। लेकिन आज सब्सिडी का क्या है, फर्स्ट क्वार्टर में मात्र 108 करोड़ रुपए। 2021-22 के फर्स्ट क्वार्टर में सब्सिडी के माध्यम से लोगों के खातों में गरीब जनधन खाते खुलवाए थे, सब्सिडी आएगी, पैसा आएगा, कितना 108 करोड़। कहाँ जा रहा है पैसा?प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गए लखनऊ। एक तरफ हमारे किसानों को कुचला गया, उनकी हत्या की गई लखीमपुर खीरी में और वहीं प्रधानमंत्री लखनऊ जाकर होम वर्क देकर आते हैं। होमवर्क देकर आए कि पिछली बार 7 लाख दीए जलाए थे, इस बार 19 लाख दीए जलाने हैं। होम वर्क देकर जा रहा हूं और आप ऐसा करेंगे, तो भगवान श्री राम बहुत खुश होंगे। मैं बात से सहमत हूं, 19 लाख नहीं 29 लाख दीए जलने चाहिए, लेकिन प्रधानमंत्री जी को याद दिलाना चाहते हैं, ये 19 लाख, 18 लाख, 80 लाख, जितने भी होम वर्क देंगे, करने को सब तैयार हैं, पर ये दीए पानी से जलेंगे या तेल से जलेंगे, ये बता दीजिए? अगर इसे पानी से जलना है तो 134 करोड़ की आबादी 134 करोड़ दीए पानी से जला सकती है, लेकिन ये तेल से जलते हैं, ये घी से जलेंगे। उस तेल की कीमत क्या है सरसों के तेल की, एक लीटर 200 रुपए से ऊपर पहुंच चुका है। क्या ये भद्दा मजाक नहीं उड़ाया जा रहा है प्रधानमंत्री द्वारा इस गरीब, मध्यम वर्गीय लोगों का, जिनको आप होम वर्क देकर लखनऊ में हर चीज को एक इवेंट बनाकर दिल्ली लौट आते हैं। ये उनके जख्मों पर नमक रगड़ने जैसा नहीं है। जिनके घर के चूल्हे ठंडे हो गए, जो बेरोजगार हैं, जो महंगाई की मार झेल रहा है, उसका मजाक उड़ा रहे हैं और उन्हें कहकर आ जाते हैं, इस दीवाली में भगवान श्री राम को खुश करने। प्रधानमंत्री जी भगवान श्री राम को आप खुश कर सकते हैं, आप पेट्रोल-डीजल और एलपीजी गैस सिलेंडर के दाम कम करिए, जो आपने लगातार बढ़ाए हैं। जो सब्सिडी खातों में नहीं पहुंच रही, उसको पहुंचाइए। मैं आपको भरोसा दिलाती हूं, भगवान श्री राम ही नहीं आज नवरात्रि का पहला दिन है, 9 देवियों का पूजन होगा, जो 9 दिन आपने दाम बढ़ाए हैं, अगले 9 दिन में हर नवरात्रि में एक-एक दिन उस दाम को कम करेंगे, तो हमारी ये 9 देवियां भी आपसे बहुत प्रसन्न होंगी और देश पर जो कष्ट है, वो जरुर कटेगा। ये मेरा विश्वास है और इसलिए आज उसी आस्था और विश्वास के साथ नवरात्रि की जो पूजा है, तौर है, तरीके हैं, ये कष्ट टले, इसलिए आज हम अपनी आस्था कहें, हमारे त्योहार कहें, हमारे धार्मिक तौर तरीकों से अपनी बात को रखने का हम प्रयास कर रहे हैं।
मैं आप सभी साथियों को कहूंगी, ये पहली प्रेस वार्ता नहीं है। 18 अगस्त को यहीं पर बैठकर महंगाई पर बात की थी, लेकिन जब प्रेस वार्ता खत्म हुई, तो पता लगा कि फिर पेट्रोल के दाम, डीजल के दाम बढ़ गए हैं। इस प्रेस वार्ता से केन्द्र की मोदी सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ता है, मुझे ऐसा लगता है। फर्क पड़ता क्यों नहीं है, क्योंकि उसे पता है कि जितनी मर्जी हम प्रेस वार्ता कर लें, जितना मर्जी में हम दिल्ली, देश के, जनता के मुद्दों को उठा दें, माफी चाहूंगी, मीडिया में नहीं आएगा। मीडिया में अगर आएगा, तो ये आएगा कि कच्चे तेल की वजह से हो रहा है सबकुछ। ये, ये नहीं बता रहे हैं पूरी खबर में कि कच्चे तेल की कीमतों के बाद अगर आप बात करेंगे, कच्चे तेल के बाद जिसकी कीमत 80.57 प्रति डॉलर है, उसके मुताबिक देश में पेट्रोल की कीमत 41 रुपए है। बाकी सारा क्या है, 103 रुपए का पेट्रोल बिक रहा है, लेकिन एक्चुअल प्राइस जो है, वो 41 रुपए है, तो बाकी क्या है? ये टैक्स है। ये टैक्स है, ये नहीं बताया है इसमें। ये किसी अखबार में नहीं बताया हुआ। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत बढ़ गई इसलिए। जब कीमत घट गई, तब दाम घटाए, नहीं घटाए। क्यों नहीं घटाए, पूछने की हम हिम्मत नहीं दिखा पा रहे हैं। नहीं दिखा पा रहे हैं और आज भी नहीं दिखा पा रहे हैं कि टैक्स कितना है, कीमत बढ़ी। आज 80 रुपए बहुत ज्यादा है। 140 डॉलर प्रति बैरल ज्यादा नहीं था, 80 डॉलर ज्यादा है। 80 डॉलर अगर ज्यादा है तो उसमें 40 रुपए का पेट्रोल 103 का मिल रहा है, ये टैक्स है। आपने पिछले 7 साल में 24 लाख करोड़ कमाया है। हम बार-बार हर प्रेस वार्ता में, क्योंकि आंकड़े बदलते नहीं हैं, हालात भी नहीं बदल रहे हैं।
मैं आप पत्रकार साथियों से हाथ जोड़कर कहूंगी, दिल्ली में जब बैठते, तो ये सोचकर बैठते कि हम दिल्ली, देश के मीडिया से बात कर रहे हैं और ये बात हर राज्य के, हर राजधानी के, हर जिला तक विपक्ष की आवाज देश के लोगों के लिए उठ रही है, वो पहुंचेगी और वहाँ से सत्ता के कानों तक पहुंचेगी। लेकिन हम मजबूर हुए। कल मैं चंडीगढ़ में प्रेस वार्ता करके आई, उससे पहले शिमला, हिमाचल गई, अब मैं पंजाब जा रही हूं। हमारे राष्ट्रीय प्रवक्ता, देश की राजधानियों में, जिलों में प्रेस वार्ता करने को मजबूर हैं, क्यों- मजबूर शब्द इस्तेमाल कर रही हूं क्यों – क्योंकि हम सोचते हैं कि यहाँ से जो हमने बात दिल्ली और नोएडा के मीडिया से कर दी है, जो देश को यहाँ से कवर कर यहाँ से खबरें पहुंचेंगी कि हम लोगों के इस दर्द को समझ रहे हैं, हम उनके लिए लड़ रहे हैं। हम इस दिल्ली में बैठी, सोती सरकार को जगाने का काम कर रहे हैं, लेकिन वो खबर नीचे तक नहीं हैं
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