संवाददाता : प्राचीन एवं परपंरागत खेल कुश्ती के प्रति युवाओं को जोड़ने व इसके प्रति जूनून पैदा करने के लिए पेशे से शिक्षक व कुश्ती के प्रति अगाध प्रेम रखने वाले तेजपाल दलाल ने अपनी दूसरी नई किताब स्वाधीन भारत में कुश्ती गौरव लिखी है। यह किताब उभरते हुए युवा पहलवानों के लिए उचित मार्गदर्शन दे रही है। किताब को लेकर पहलवानों व कुश्ती प्रशंसकों में खूब क्रेज देखने को मिल रहा है। इस पुस्तक में कुश्ती का आजादी के बाद से लेकर अब तक का इतिहास संकलित किया हुआ है। लेखक तेजपाल दलाल व उनके पिता कैप्टन जगदेव ने पुस्तक की प्रति केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ के अलावा कुश्ती के प्रति फिल्म बनाने वाले अभिनेता आमिर खान को भी भेंट की है। किताब में कुश्ती खेल को लेकर हर बारीकी और स्वाधीनता से लेकर अब तक हुए कुश्ती के बड़े आयोजनों को समाहित किया हुआ है। इसमें देश के प्रमुख अखाड़ों की उपलब्धियां भी दिखाई गई है।
दलाल ने तेजी से बदलते तौर में मिट्टी की कुश्ती से दूर होती युवा पीढ़ी को जोड़े रखने का जिम्मा भी उठाया है ताकि इस खेल के प्रति युवाओं में पहले से भी ज्यादा और क्रेज बना रहे। दलाल ने कुश्ती के प्रति उनका बचपन से ही लगाव रहा है। उनके परिवार में कई पहलवान रहे हैं और उनके मार्ग दर्शन से ही उन्होंने भी अखाड़े में उतरकर दांव पेंच दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि उनके परदादा नायब रिसलदार चौधरी सरूप राम, दादा चौधरी मुख्तयार सिंह व पिता कैप्टन जगदेव सिंह भी ख्याति प्राप्त पहलवान रहे हैं। वे ही बचपन में कहीं मुझे कुश्ती दिखाने के लिए लेकर जाते थे और उनके मार्ग दर्शन से ही इस खेल के प्रति उनका लगाव काफी बढ़ा था। कुश्ती उनके लिए अब शौक नहीं जूनून बनकर रह गया है।
पेशे से गणित विषय के शिक्षक तेजपाल दलाल ने कहा कि उनका लक्ष्य कुश्ती खेल को लेकर संग्राहलय खोलने का है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ व अभिनेता आमिर खान ने कुश्ती लेखक तेजपाल दलाल के इस कार्य की खूब सराहना की और उनकी हरसंभव मदद का आश्वासन भी दिया। शिक्षक एवं लेखक तेजपाल दलाल ने बताया कि भारत के अलावा ईरान व यूनान के इतिहासकार मानते हैं कि कुश्ती उनके देश से प्रारंभ हुई है। इसके लिए वे वहां का दौरा भी करेंगे और साक्ष्य भी जुटाएंगे। जबकि उनके पास ऐेसे प्रमाण है जिनसे वे साबित करेंगे कि कुश्ती का जन्म भारत देश में ही हुआ है। बालीवुड फिल्मकार उनकी लिखी किताब से डायलाग व अन्य सामान लेकर फिल्मों में प्रयोग करते हैं। गामा पहलवान के जीवन पर बनी फिल्म व दंगल में भी उनसे मदद ली गई है।
पहलवानों से कर रहे मुलाकात
तेजपाल दलाल ने बताया कि कुश्ती व पहलवानों के बारे में नई पीढ़ी को दिलाने के लिए आज तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाए गए। कुश्ती खेल पर वे पिछले 17 वर्षों से रिसर्च कर रहे हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर, पंजाब हरियाणा, महाराष्ट्र, कर्नाटक व अन्य सूबों की रियायतों में जाकर नामी-गिरानी यानी चोटी के 170 पहलवानों से मुलाकात की है और उनसे जुड़े सामान को एकत्रित किया। इससे पहले वे एक किताब कुश्ती कला उद्भव एवं विकास लिखी है और दो किताबें और लिखने में लगे हुए हैं।