अरविन्द उत्तम की रिपोर्ट
नोएडा के सेक्टर-100 स्थित लोटस बुलेवार्ड सोसायटी में आवारा कुत्तों द्वारा किए गए हमले में घायल बच्चे की मौत होने के बाद सोसाइटी के बाहर आक्रोशित निवासियों ने सड़क पर जाम कर प्रदर्शन किया। लोग कुत्तों के आक्रामक रवैये से दहशत में है, वही डॉग लवर लोगों की इस बात से आहत हैं। माता पिता की लापरवाही से ये घटना हुई है। कुत्तों को खाना खिलाना कोई पाप नहीं है। इस बात को लेकर काफी हंगामा भी हुआ।
लोटस बुलेवार्ड सोसायटी में चल रहा ये बवाल सोसायटी के लोगों और डॉग लवर लोगों के बीच चल रहा है। सोसायटी के लोगों का आरोप है कि नोएडा अथॉरिटी कुत्ते की समस्या का हल नहीं किया है जब कि शिकायत लगातार की जा रही है लोगों का आरोप है छह महीने के भीतर ये कुत्ते के काटने की तीसरी घटना है। वही कुत्ते पालने वाले और कुत्तों को भगाने वाले लोगों के बीच इस मुद्दे पर खासा विरोध है। कुत्ता पालने वाले लोग खाना खिलाने को जायज ठहरा रहे हैं वे कहते है कि कुत्ते बेजुबान और मासूम होते है कुत्तों को खाना खिलाना कोई पाप नहीं है। उनका कहना है कि बच्चे की मौत कुत्ता काटने से नहीं बल्कि माता पिता ऐर कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से हुई है।
दरअसल सपना कुमारी नाम की महिला श्रमिक सोसायटी में नए बन रहे इस टावर के बाहर काम कर रही थी।
उसका 8 महीने का बच्चा यहीं पर सो रहा था। तभी तीन कुत्तों ने उसके ऊपर हमला कर दिया। बच्चे के चीखने की आवाज आई तब आसपास के लोगों ने बताया और पास के प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए गए लेकिन देर रात को उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद सोसायटी के सैकड़ों लोगों आक्रोशित होकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया और सड़क पर जाम कर दिया। उधर मामला तूल पकड़ते देख एसीपी नोएडा ज़ोन रज्नीश वर्मा और नोएडा अथारिटी के ओएसडी इंदू प्रकाश मौके पर पहुंचे तो सोसायटी के सैकड़ों लोगों ने उन्हे घेरे रखा नोएडा अथारिटी के ओएसडी इंदू प्रकाश ने चार कुत्तों के शेल्टर होम बनाने की बात कही है।
लेकिन जिस महिला श्रमिक ने अपने 8 महीने के मासूम बच्चा खो दिया। उसे दमोह भेज दिया गया है और उसकी आर्थिक मदद का कोई आश्वासन नहीं मिला है। इंदु प्रकाश का कहना है जांच होगी किसकी लापरवाही से मौत हुई है। जांच के बाद पता चलेगा। आवारा हो या पालतू हाल फिलहाल में कई कुत्तों के हमलों के डरावने वीडियो सामने आने के बावजूद इस समस्या का कोई हल नहीं निकलता दिख रहा है यही वजह है कि पालतू कुत्तों से लेकर आवारा कुत्तों को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है।
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