अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
मल्लिकार्जुन खरगे ने महाधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्व अध्यक्ष और सीपीपी चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी, प्रियंका गांधी जी, कांग्रेस स्टीयरिंग कमेटी के सदस्यगण, मेजबान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी, छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मोहन मरकाम जी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जी, हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षगण, कांग्रेस विधानमंडल के नेतागण, हमारे सांसद, विधायक, एमएलसी, साथियों और एआईसीसी के सम्मानित सदस्यगण और पीसीसी डेलिगेट्स, अग्रिम संगठनों और विभागों के नेतागण और साथियों, विशेष अतिथिगण और मेरे मीडिया के मित्रों, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के 85वें महाधिवेशन में मैं आप सबका दिल से स्वागत करता हूँ।
देश में सबसे पहले हमारी कांग्रेस पार्टी के जितने भी पीसीसी डेलीगेट्स हैं, उनका मैं धन्यवाद करता हूँ। आप सबने मुझे चुना, मुझमें विश्वास किया और देश की कांग्रेस का नेतृत्व करने का मौका दिया। कांग्रेसजनों का विश्वास ही मेरे जीवनभर की कमाई है। मैं यकीन दिलाता हूँ कि मैं अपनी आखिरी साँस तक कांग्रेस के मूल्यों की रक्षा करूंगा, और हम सब हर बलिदान देकर देश के सामने खड़ी हर भीषण चुनौती का भी सामना करेंगे। आपमें से काफी साथी मेरे जीवन की राह से परिचित हैं। यह केवल कांग्रेस में ही संभव है कि एक साधारण व्यक्ति, जो कभी ब्लॉक कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष हो, वो आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष निर्वाचित हो जाए। यह कांग्रेस के लिए और लोकतंत्र का सबसे बड़ा सबूत है, श्रीमती सोनिया गांधी जी, राहुल गांधी जी और मेरे पीसीसी डेलिगेट्स और हमारे वर्किंग कमेटी के सभी सदस्यों ने मुझे आशीर्वाद दिया। तो इसलिए आज ब्लॉक कांग्रेस कमेटी से एआईसीसी अध्यक्ष बनने का मुझे मौका मिला। साथियों, मैं आज बेहद भावुक भी हूँ क्योंकि मैं और आप सब, कांग्रेस पार्टी की उस गौरवशाली विरासत की नुमाईंदगी कर रहे हैं, जिसको महात्मा गांधी, पंडित जवाहर लाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, श्रीमती सरोजिनी नायडू, इंदिरा जी, राजीव जी ने अपने त्याग, बलिदान और समर्पण से सींचा है। मुझे विश्वास है कि उनका दिखाया हुआ मार्ग हम लगातार आगे बढ़ाते रहेंगे।
मैं आज राहुल गांधी जी को भी धन्यवाद देना चाहूंगा कि यह प्रेम और साधुवाद केवल कांग्रेसजनों की ओर से नहीं, बल्कि भविष्य की करोड़ों उम्मीदें लिए हर भारतवासी की ओर से भी है। देशभर में चारों ओर फैले नफरत के माहौल के बीच तथा देशवासियों की टूटती हुई उम्मीदों के बीच जब ऐसा लग रहा था कि अंधेरे की ताकतें कहीं सच पर हावी न हो जाएं, तो राहुल गांधी ने रोशनी की उम्मीद दिखाई और संघर्ष की एक नई मशाल उन्होंने जला डाली।‘भारत जोड़ो यात्रा’देश की उम्मीदों के उगते सूरज की नई सुबह का नाम है, जिसकी रोशनी कन्याकुमारी से कश्मीर तक फैल गई, और अब पूरे देश के हर कोने-कोने में… राहुल जी, आपने असंभव को संभव कर दिखाया। आपने खुद कष्ट सहकर, न आंधी की परवाह की, न बारिश की, न गर्मी की, न सर्दी की, न धूल के बवंडर की और न बर्फीले तूफान की, भारत का तिरंगा थामे करोड़ों लोग भारत जोड़ो यात्रा में आपके साथ चले भी और जुड़े भी और हमने एक बार फिर यह साबित कर दिखाया कि भारत की आत्मा में कांग्रेस है। भारत की पीड़ा कांग्रेस जानती है। हर देशवासी की तकलीफ के लिए हमारा दिल तड़पता है। खासकर राहुल गांधी जी, 3,570 किलोमीटर चलकर आपने और कांग्रेसजनों ने यह दिखा दिया कि बलिदान की परिपाटी का जज़्बा और देश की मिट्टी की खुशबू हमारे लहू के हर कतरे में आपको मिलेगी। ये राहुल जी का काम है, इसलिए मैं उनको धन्यवाद देता हूं, वो इसी ढंग से हमारा मार्गदर्शन करते रहें, जुड़ते रहें और सभी युवाओं को जो प्रोत्साहन मिला है, वो आगे भी दिखाई देगा।
दूसरी बात, आप सबको मैं याद दिलाना चाहता हूं कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आज से करीब 100 साल पहले 1924 में मेरे गृहराज्य कर्नाटक में बेलगाम महाधिवेशन में कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे। गांधी जी ने आजादी के लिए गांव, देहात से लेकर किसानों और मजदूरों को कांग्रेस के झंडे तले खड़ा किया। नई दिशा दी, बेलगाम में कांग्रेस का स्वरूप बदला और कांग्रेस संविधान में भी बड़ा बदलाव हुआ। गांधी जी ने कांग्रेस को भारत के किसानों, मजदूरों, गरीबों और वंचितों से जोड़ा। कांग्रेस की वर्किंग डीसेंट्रालइज़ हुई और कई काम हुए। यही से कांग्रेस एक जनआंदोलन के रूप में जनता के सामने आई और पूरा देश कांग्रेस के साथ खड़ा हुआ। बेलगाम में ही पहली बार कांग्रेस ने छुआ-छूत और जातीय भेदभाव के संघर्ष को अपने एजेंडे में आधिकारिक रूप से शामिल किया। ये विचार आगे चलकर भी वंचित वर्गों के लिए समान अधिकारों की संवैधानिक गारंटी का आधार बना। इसलिए मैं याद कर रहा हूं महात्मा गांधी जी को, क्योंकि एक ही बार वो कांग्रेस प्रेसीडेंट बने, वो भी कर्नाटक से बने और वहाँ छुआ-छूत मिटाने का रेजोल्यूशन पास करके सारे देश में उसका प्रचार करने का उन्होंने काम किया। इसलिए उनको मैं इस वक्त याद करता हूं।
75 वर्षों में आज देश सबसे कठिन चुनौतियों से गुजर रहा है। सत्ता में बैठे लोगों ने देश की जनता के अधिकारों और भारत के मूल्यों पर हमला बोल रखा है। इसीलिए आज एक नए आंदोलन के शुरुआत की जरूरत है। हर कांग्रेसजन को, हर देशवासी को आगे बढ़कर, उठकर, संकल्प लेकर ये कहना होगा किः-
सेवा, संघर्ष और बलिदान,
सबसे पहले हिंदुस्तान।
ये हमारा नारा होगा और देश को आज सेवा, संघर्ष और बलिदान की जरूरत है क्योंकि भारत अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रहा है। आज भाजपा अपनी सत्ता के स्वार्थ के लिए संसद से लेकर सभी संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादाओं के अधिकार को तोड़ रही है। भयंकर बेरोजगारी से युवाओं के भविष्य को अंधेरे में धकेला जा रहा है। कमरतोड़ महंगाई से जनता के घर का बजट बिगड़ गया है। नोटबंदी और गलत जीएसटी ने छोटे कारोबार, एमएसएमई को बर्बाद कर दिया है। फसल की कीमत ना देकर किसानों की आमदनी को खत्म कर दिया है। नफरत के माहौल ने देश के सामाजिक माहौल को बिगाड़ दिया है और यही नहीं ईडी, सीबीआई, इंकम टैक्स, सारी एजेंसियों द्वारा चुनी हुई सरकारों को गिराया जा रहा है और यहाँ पर मैं बोलना चाहूंगा इस प्लेनरी सेशन को रोकने के लिए यहाँ पर बीजेपी सरकार ने छापा मारा, रेड की, हमारे लोगों को अरेस्ट किया, लेकिन फिर भी हमारे मुख्यमंत्री और यहाँ के कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने डटकर मुकाबला करके इसको यशस्वी बनाया। यह कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ी ताकत है। ऐसे हमें लड़ना भी सीखना चाहिए, मुकाबला करना भी सीखना चाहिए। अगर रोते बैठोगे तो कुछ नहीं मिलने वाला…। लगता है कि देश का प्रजातंत्र ही तोड़ने का घिनौना षडयंत्र हो रहा है। तोड़ने की इस साजिश के खिलाफ हम सबको मिलकर “देश जोड़ने का आंदोलन’ चलाना है। यही कांग्रेस का कर्तव्य है।एक तरफ तोड़ने की संस्कृति, तो दूसरी तरफ आज की सरकार और उसके हुकमरानों द्वारा बनाई जा रही अमीर और गरीब के बीच की गहरी खाई, ऐसा लगता है कि जैसे देश की सरकार की नजर में दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों, किसानों व नौकरीपेशी, मध्यम वर्ग के लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।पहले तो नोटबंदी की, एतिहासिक बेवकूफी, छोटे और लघु उद्योगों पर तालाबंदी कर डाली और दो करोड़ से अधिक लोगों का रोजगार चला गया। गलत तरीके से बनाई और उससे भी गलत तरीके से लागू की जीएसटी ने छोटे-मोटे उद्योगों को और व्यापारियों का कामकाज चौपट कर दिया।कोरोना के दौरान केवल 4 घंटे के नोटिस पर रात के 12 बजे को देशबंदी ने करोडो़ं मजदूरों को दर बदर की ठोकरें खाने पर मजदूर कर दिया। ना दवा मिली, ना डॉक्टर, ना इंजेक्शन, ना ऑक्सीजन, यहाँ तक कि अंतिम संस्कार भी नसीब नहीं हुआ। एक तरफ 12 करोड़ लोगों का रोजगार चला गया, तो दूसरी और 23 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे धकेल दिए गए। गंगा मैया हजारों लाशों से भरी पड़ी थी और दिल्ली की सत्ता में बैठे लोग अपनी पीठ थपथपा रहे थे कि उन्होंने कोविड में बहुत काम किया।आज हालत ये है कि गरीब और मध्यम वर्ग एड़ियां रगड़ रहा है। महंगाई में बजट और घर दोनों तोड़ डाले हैं और मुट्ठी भर अमीर मित्रों की दौलत में इतनी बढ़ोतरी हुई कि ये दुनिया के दूसरे नंबर के बड़े अमीर बन बैठे। मैं पूछता हूं कि हमारा देश किस दोराहे पर आ खड़ा हुआ है, जहाँ अन्नदाता,किसान की प्रतिदिन की आय 27 रुपए है और प्रधानमंत्री के एक दोस्त की आय एक हजार करोड़ रुपए प्रतिदिन है। देश के 72 प्रतिशत यानी 3 चौथाई एमएसएमई एक फूटी कौड़ी भी नहीं कमा पाए और प्रधानमंत्री के एक दोस्त की संपत्ति 13 गुना यानि 1,300 प्रतिशत बढ़ जाए और मुझे समझ में नहीं आता कि रोज इश्तिहार में खुद को छपवाने वाले दिल्ली के प्रधानसेवक ये अपने मित्र की सेवा कर रहे हैं और ऊपर से एक-एक करके 70 साल में बनाई देश की हर संपत्ति को अपने मित्रों के हवाले कर रहे हैं। ये तो रेल, भेल (BHEL), सेल (SAIL), तेल, सब बेच रहे हैं। आकाश हो, धरती हो या पाताल हो, देश की सब चीजें बेची जा रही हैं। मेरे देश के करोड़ों लोगों को अब चिंता है कि अब हमारा एलआईसी और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भी बच पाएगा या नहीं या इसको भी वो बेच देंगे, ये आज एक बहुत बड़ा हमारे सामने सवाल है और ये सरकार सबकुछ हमने जो बनाया था, उसको एक-एक करके बेच रही है। आर्थिक खाई के बीच देश को सामाजिक भेदभाव की भयंकर खाई में धकेल दिया है। गरीबों, मजदूरों, दलितों, आदिवासी और पिछड़ों के अधिकारों को सरेआम सत्ता के बुलडोज़र से कुचला जा रहा है। देश के हालात कैसे हैं कि एक तरफ तो हर रोज 115 गरीब, मजदूर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं, तो दूसरी ओर दिल्ली की सत्ता में बैठे लोगों ने मनरेगा बजट 30 हजार करोड़ रुपए घटा दिया, जो बजट 69 हजार करोड़ रुपए था और 100 दिन काम देने का काम देने का था, इस बजट को आज 30 हजार करोड़ रुपए घटा दिया। तो ये गरीबों के प्रति उनका काम है। इसलिए इस सरकार को हमें चेतावनी देनी चाहिए, एक होकर लड़ना चाहिए, क्योंकि 100 दिन काम के लिए आज के मिनिमम वेजेस के तहत 1 लाख 75 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। देश के दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक वर्गों के हमारे साथी आज आत्मसम्मान और सुरक्षा की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर हैं। शायद इसलिए बार-बार हाथरस, उन्नाव, ऊना जैसी घटनाओं के घटने पर भी हुकमरानों की आत्मा परेशान नहीं होती। साल 2015 से आज तक दलितों पर अत्याचार 13 प्रतिशत बढ़े हैं। आदिवासियों पर अत्याचार 21 प्रतिशत बढ़ गए हैं और ये सब आंकड़े बंद कहीं किताबों में खो गए हैं। ना कोई सोचता, ना सुनता, ना कार्रवाई करता है। गरीबों को ताकत देने के भाषण तो बहुत देते हैं, वोट लेने के लिए पिछड़ों की बात ज्यादा करते हैं, पर ये भूल जाते हैं कि सैकड़ों पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, जो आप मित्रों को बेच रहे हैं, उसमें लाखों गरीबों के लिए रिजर्वेशन की नौकरी भी चली जा रही है और दूसरे, जो ओबीसी हैं, इकोनॉमिकल वीकर सेक्शन भी हैं, उनकी नौकरियां भी आज जा रही हैं। बातें तो करते हैं, पर एससी, एसटी, माइनॉरिटी प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप को सिरे से खत्म कर देते हैं। क्या अब देश की सरकार के पास इतना पैसा भी नहीं बचा कि वो गरीबों के बच्चों को क्लास 1 से क्लास 8 तक स्कॉलरशिप दे सके। अगर गरीब के लिए कुछ बचा भी हो, तो उस पर भी चुन-चुन कर हमला बोला जाता है। शायद इसलिए इस साल दिल्ली में बैठी सरकार ने फूड सिक्योरिटी का 90,000 करोड़ रुपए काट दिया। जो श्रीमती सोनिया गांधी जी, मनमोहन सिंह जी ने गरीब लोगों के लिए उनके पेट भरने के लिए कानून बनाया, उसमें इन्होंने आज 90,000 करोड़ की कटौती की है। आप ही सोचिए किस तरह ये सरकार चल रही है और इससे हमें लड़ना होगा। मैं कई बार सोचता हूं कि भाजपा की ये सरकार कितने गरीबों के मुँह से निवाला छीन लेगी और इनके धन्नासेठ मित्रों के पेट भर जाएंगे। मुझे ये कहने में कोई संकोच नहीं है कि दिल्ली की सरकार में बैठे लोगों का डीएनए ही गरीब विरोधी है। ऐसा मुझे महसूस होता है। इनके डीएनए में गरीबों के खिलाफ काम करने का है, इसलिए तो वो लोग ऐसा काम कर रहे हैं। एक तरफ देश की संस्थाओं, देश के लोगों, देश के गरीबों पर हमला, तो दूसरी ओर भारत मां की सरज़मीं पर चीन द्वारा इल्लीगल ऑक्युपेशन के सामने घुटने टेकी हुई भाजपा सरकार… हमारे राजनीतिक मतभेद चाहे कितने भी हों, हम भारत की सुरक्षा को लेकर एक हैं। हम भारत की सेनाओं के साथ खड़े हैं, पर एक ओर हमारी सेनाओं की बहादुरी है और दूसरी ओर सरकार की विफलता है। ये बार-बार यही कहते हैं कि कांग्रेस सेनाओं के खिलाफ है, देश के खिलाफ है। अरे देश को आजादी दिलाने के लिए, इस देश को बचाने के लिए हमने संविधान बनाया, उसकी सुरक्षा की और लोकतंत्र के लिए हम लड़ रहे हैं और आप लोकतंत्र को खत्म करने की बात कर रहे हैं। देश की एकता को खत्म करने की बात कर रहे हैं और चीन उधर घुस गया है… कुछ नहीं हुआ, ये हमारे प्रधानमंत्री बोल रहे हैं।इसी तरह फॉरेन मिनिस्टर भी बोल रहे हैं। वो तो यहाँ तक बोले, उनको क्या दुख है, दर्द है, मुझे मालूम नहीं। उन्होंने पिछला रिकॉर्ड भी निकाला, मैंने ऐसा किया, मैंने वैसा किया, मेरे बाद ऐसा करें। अरे आप एक मंत्री हैं, वो छोड़कर अपने निजी कारणों की वजह से ये कह रहे हैं कि कांग्रेस सरकार ने ये किया, मेरे पिता जी को प्रमोशन नहीं दिया या मेरे पिता जी को वहाँ से…. सरकार ये बातें नहीं कर सकती। आप सरकार में हैं, लेकिन ये लोग हर चीज को नया रंग देते हैं।मैं सीधा सवाल पूछता हूं चीन ने अप्रैल 2020 से आज तक हमारी सरज़मीं पर जबरन कब्जा किया, प्रधानमंत्री ने चीन को क्लीनचिट क्यों दी? प्रधानमंत्री तो कहते हैं कि कोई घुसा ही नहीं, तो उनके विदेश मंत्री कहते हैं कि हम चीन से लड़ नहीं सकते, क्योंकि वो हमसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मैं फिर एक बार कहता हूं कि प्रधानमंत्री तो कहते हैं कि कोई घुसा नहीं, तो उनके विदेश मंत्री कहते हैं कि हम चीन से लड़ नहीं सकते