नई दिल्ली / अजीत सिन्हा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आज केन्द्रीय कार्यालय में प्रेसवार्ता कर आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से सवाल किया कि भ्रष्टाचार के आरोप में पिछले दो महीने से हवालात में बंद मंत्री सत्येन्द्र जैन को आखिर कब बर्खास्त किया जायेगा? जबकि पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार होने पर टीएमसी के नम्बर टू के नेता और अपने सबसे करीबी मंत्री पार्थ चटर्जी को बर्खास्त कर दिया है। दिल्ली के एलजी को मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने पत्र लिखकर डिप्लोमा स्तर की पढ़ाई की फीस में भारी बढ़ोत्तरी की मांग की है। दूसरी ओर, अरविन्द केजरीवाल दिल्ली में एक पर एक फ्री शराब की बोतल उपलब्ध करा रहे हैं। दिल्ली के युवाओं को केजरीवाल शराबी तो बनायेंगे, किन्तु पढ़ाएंगे नहीं। बचपन में “थ्री मस्कीटियर्स” की कहानी पढ़ते थे अब न्यूज चैनलों पर “थ्री मस्कीटियर्स आफ करप्शन” शो देखने को मिल रहा है।
सबसे पुराना मस्कीटियर्स ऑफ करप्शन “एआईसीसी” यानी ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी है, जो अब ऑल इंडिया कॉनफ्रंटल कमिटी बन चुकी है जिनका जांच एजेंसी ईडी से निरंतर लड़ते रहना आदत सी बन गयी है। ईडी के सामने कांग्रेस के नेता चुप रहते हैं लेकिन सड़कों पर इनके नेता और कार्यकर्त्ता हिंसक प्रदर्शन करते हैं। यह है फर्स्ट मस्कीटियर्स आफ करप्शन। सेकंड मस्कीटियर्स ऑफ करप्शन में एक नया मॉडल पश्चिम बंगाल में टीएमसी मॉडल अर्थात टू मच करप्शन मॉडल के तहत दिखा, जो द माउन्ट ऑफ कैश मॉडल है। न्यूज चैनलों पर हर रोज नकदी का एक नया ढेर दिखायी देता है।
शिक्षक और स्कूली बच्चों के साथ पश्चिम बंगाल में घोखाघड़ी और घोटाला किया गया। एक के बाद एक सबूत सामने आ रहे हैं।
कोलकाता हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच का इस मामले में ऑर्डर था किन्तु पश्चिम बंगाल सरकार ने उस आदेश के आलोक में कोई कार्रवाई नहीं की। मीडिया में जब द माउन्ट ऑफ कैश दिखने लगा और भारतीय जनता पार्टी द्वारा निरंतर इस मुद्दे को उठाया गया तब जाकर पश्चिम बंगाल सरकार की नींद खुली और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने टीएमसी के नम्बर टू के पार्थ चटर्जी को उनके पद से हटाया।
सच्चाई यह है कि पश्चिम बंगाल में भ्रष्टाचार को संस्थागत बना दिया गया जहाँ हर संसथान में भ्रष्टाचार व्याप्त है। थर्ड मस्कीटियर्स ऑफ करप्शन आम आदमी पार्टी है। तीनों मस्कीटियर्स ऑफ करप्शन भरपूर भ्रष्टाचार करते हैं और विक्टिम कार्ड खेलते हैं। अपने दोष छिपाने के लिए कुत्सित प्रयास करते हैं। थर्ड मस्कीटियर्स ऑफ करप्शन यानी आम आदमी पार्टी के नेता अरविन्द केजरीवाल ने कहा था कि सत्येंन्द्र जैन की सारी फाइलें देख ली है जी, सत्येन्द्र जैन कट्टर ईमानदार हैं। जबकि दिल्ली हाईकोर्ट की डबल बेंच की
फाइंडिंग में यह बात सामने आया है कि सत्येन्द्र जैन एक कट्टर आपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है। दिल्ली हाईकोर्ट की फाइंडिंग और निर्देश की कॉपी के पैरा नम्बर 23 और पेज नम्बर 15 पर लिखा है-
सुशासन केवल अच्छे लोगों के हाथ में होता है। भले ही अदालत अच्छे या बुरे के फैसले में नहीं पड़ सकती, लेकिन यह निश्चित रूप से संवैधानिक पदाधिकारियों को हमारे संविधान के लोकाचार को संरक्षित करने और बढ़ावा देने की याद दिला सकती है. उपरोक्त कथन, भारत रत्न बाबा साहब भीमराव अंबेडकर को उद्धृत करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से जुड़े एक मामले में सुनवाई के दौरान कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि भारत के संविधान की अखंडता को बनाए रखने के लिए मंत्रिपरिषद की सामूहिक जिम्मेदारी है। इस बात पर मुख्यमंत्री को विचार करना है कि क्या कोई व्यक्ति जिसकी आपराधिक पृष्ठभूमि है या उन पर नैतिक पतन से जुड़े अपराधों का आरोप लगाया गया है, उन्हें नियुक्त किया जाना चाहिए या नहीं। उन्हें मंत्री के रूप में बने रहने की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि ऐसी धारणा है कि मुख्यमंत्री को ऐसे संवैधानिक सिद्धांतों से अच्छी सलाह और मार्गदर्शन मिलेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि यह अदालत पूरी तरह से डॉ भीमराव अंबेडकर की टिप्पणियों से सहमत है और उम्मीद करती है कि मुख्यमंत्री लोगों का नेतृत्व करने के लिए व्यक्तियों की नियुक्ति करते समय लोकतंत्र की नींव रखने वाले विश्वास को कायम रखेंगे। यह समझ से परे है कि जब अदालत इस तरह की कड़ी टिप्पणी कर रही है तो भ्रष्टाचार में संलिप्त दिख रहे ऐसे मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री क्यों डर रहे हैं? आखिर उनकी ऐसी क्या मजबूरी है कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई कड़ा कदम नहीं उठा पा रहे? हाईकोर्ट की इस टिप्पणी से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल जिसे कट्टर ईमानदार कहते रहे हैं, वह दरअसल वह कट्टर भ्रष्टाचारी और कट्टर अपराधिक पृष्ठभूमि वाला व्यक्ति है। क्या अरविन्द केजरीवाल आपकी बात को सही माना जाए या दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी को?
भारतीय जनता पार्टी जानना चाहती है कि आम आदमी पार्टी ने क्या झूठ नहीं बोला कि सीबीआई और ईडी ने सत्येन्द्र जैन को पहले ही क्लीन चिट दे दी? सत्येन्द्र जैन के खिलाफ जो चार्जशीट फाइल हुई वह आम आदमी पार्टी के बयान को पूरी तरह असत्य साबित कर दिया है। आम आदमी पार्टी के नेता जिस प्रकार सत्येन्द्र जैन का बचाव करते रहे हैं, ठीक इसी प्रकार अरविंद केजरीवाल जी आम आदमी पार्टी की सरकार के पूर्व मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर का भी बचाव मजबूती के साथ किया था. बाद में फर्जी डिग्री के एक मामले में साक्ष्य मिलने के बाद तोमर को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्लाह खान ने दिल्ली दंगे के आरोपी ताहीर हुसैन के पक्ष में उतर गए थे बाद में ताहीर हुसैन को जेल जाना पड़ा। आम आदमी पार्टी हमेशा खुद का उत्पीड़न किए जाने के आरोप लगाते रहती है इसलिए केजरीवाल को वह दस्तावेज जारी करने चाहिए जिनके आधार पर वह अपने मंत्री को क्लीन चीट देते रहे.पिछले दिनों भाजपा इसी मंच से सवाल उठाते हुए पूछा था कि दिल्ली के मोहल्ले मोहल्ले तक नशा पहुंचाना के लिए आखिर 144 करोड़ रुपये का मुनाफा शराब माफिया को दे दिया गया?। उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने नई शराब नीति के तहत शराब के ठेके खोले जाने पर कहा था कि हम शराब का समान वितरण करेंगे। लेकिन केजरीवाल शायद यह भूल गए कि उन्हें दिल्ली की जनता ने दिल्ली में पानी के समान वितरण, अच्छे स्कूल, अच्छा स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए चुना था लेकिन आज स्थिति यह है कि जो वायदें किए गए वह छोड़कर बाकी सभी भ्रष्टाचार करने वाले कामों को केजरीवाल कर रहे हैं। अरविन्द केजरीवाल जी कुछ दिनों से फेक न्यूज चला रहे थे कि हमे विदेश जाने नहीं दिया गया, सिंगापुर जाने नहीं दिया गया। वास्तव में, जनता की गाढ़ी कमाई से विदेश घूमने की लालसा थी या फिर मेयर स्तर के काफ्रेंस के लिए सिंगापुर जाना चाहते थे। सिंगापुर सरकार के विदेश मंत्रालय से पत्र आया है कि अरविन्द केजरीवाल जी ने डेडलाइन के बाद मेयर काफ्रेंस में जाने की सहमती के लिए पत्र भेजा था। अरविन्द केजरीवाल जी को तो गुस्सा इस बात का होना चाहिए था कि मुख्यमंत्री को मेयर स्तर के कांफ्रेस के लिए बुलाया जा रहा है। इसी तरह, 2019 में भी केजरीवाल डेनमार्क जाना चाहते थे, वह भी मेयर स्तर की कांफ्रेस थी। जब कोई व्यक्ति देश का प्रतिनिधि बनकर जाता है तो एक प्रोटोकॉल होता है।