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लंदन एजुकेशन वर्ल्ड फोरम-2022 में बजा केजरीवाल सरकार के शिक्षा मॉडल का डंका, उपमुख्यमंत्री

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली:अरविंद केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस का डंका सोमवार को एक बार फिर वैश्विक मंच पर गूँजा। जब उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने लंदन में आयोजित हो रहे एजुकेशन वर्ल्ड फोरम-2022 में दुनिया भर के 122 शिक्षा मंत्रियों और एक्सपर्ट्स के सामने दिल्ली की शिक्षा क्रांति के विषय में साझा किया। सिसोदिया ने अपने अभिभाषण में बताया कि कैसे केजरीवाल सरकार ने शिक्षा को प्राथमिकता बनाकर लोगों का सरकारी एजुकेशन सिस्टम के प्रति भरोसा बढ़ाया। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि “जब मैं शिक्षा के भविष्य की बात करता हूँ तो मेरा मतलब केवल उस छात्र के भविष्य के बारे में नहीं है जो स्कूल में पढ़ रहा है। शिक्षा  परिवारों, समाजों, राष्ट्रों के भविष्य के बारे में है। आज शिक्षा का मतलब सिर्फ लोगों को शिक्षित करना नहीं है। यह केवल उन लोगों को शिक्षित करने के बारे में नहीं है जो अशिक्षित और कम पढ़े-लिखे हैं, बल्कि यह उन लोगों को शिक्षित करने के बारे में भी है जिन्हें गलत पढ़ाया जा रहा है।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया  ने दिल्ली में शिक्षा में आए बदलावों के बारे में साझा करते हुए कहा कि 2015 में जब आम आदमी पार्टी सरकार में आई तब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत जर्जर थी और यहां बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी थी। तब पेरेंट्स मजबूरी में अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने भेजा करते थे लेकिन जिस किसी के पास भी थोड़े संसाधन थे वो पेरेंट्स अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में ही भेजते थे। हमने इस परिदृश्य को बदलने का काम किया। आज दिल्ली सरकार के स्कूल विश्वस्तरीय हो चुके है। दिल्ली सरकार के स्कूल शानदार बिल्डिंग्स, स्मार्ट क्लासरूम, बेहतरीन खेल सुविधाओं वाले मैदानों व अन्य सुविधाओं से लैस है।

दिल्ली सरकार के स्कूल प्राइवेट स्कूलों से भी शानदार हो चुके है। जिसकी बदौलत आज पेरेंट्स मजबूरी से नहीं बल्कि सम्मान के साथ अपने बच्चों को दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने भेजते है। और 2015 की तुलना में वर्तमान में दिल्ली सरकार के स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या में 21 फीसदी का इजाफा हुआ है।

उन्होंने बताया कि 2015 में सरकार में आते ही दिल्ली सरकार ने हर साल अपने कुल बजट का लगभग 25 फीसद शिक्षा को दिया है। अपने टीचर्स व स्कूल प्रमुखों को कैंब्रिज, सिंगापुर, फ़िनलैंड, आईआईएम आदि में ट्रेनिंग के लिए भेजा ताकि वहां शिक्षा में अपनाए जा रहे नवाचारों को सीख कर वे उन्हें अपने स्कूलों में अपना सके। स्कूल प्रमुखों को वित्तीय व प्रशासनिक शक्तियां बढ़ाई। इन सबकी बदौलत यहां 12वीं का रिजल्ट लगभग 100 फीसद है। हर साल सैकड़ों की संख्या में दिल्ली सरकार के स्कूलों के बच्चों को भारत के टॉप संस्थानों में एडमिशन मिल रहा है।

डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया  ने कहा कि दिल्ली का एजुकेशन मॉडल केवल शानदार स्कूल बिल्डिंग बनाने, रिजल्ट के बेहतर होने या टीचर्स को विदेशों में ट्रेनिंग देने तक ही सीमित नहीं है। शिक्षा का असल उद्देश्य एक-दूसरे का सम्मान करना, बेहतर इंसान बनना व देश समाज के लिए कार्य करना है। इस उद्देश्य के साथ दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की।दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मेन्टल -इमोशनल तौर पर बेहतर बनाने, उन्हें बेहतर इंसान बनाने, खुश रहना सिखाने के लिए हैप्पीनेस माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की और रोजाना कक्षा नर्सरी से 8वीं के 10 लाख से अधिक बच्चे स्कूल में अपने दिल की शुरुआत माइंडफुलनेस के साथ करते है।दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे नौकरी पाने की चाहत रखने के बजाय नौकरी देने वाले बने, रिस्क लेना सीख सके और उनमें ग्रोथ माइंडसेट का विकास हो सके इसके लिए एंटरप्रेन्योर शिप माइंडसेट करिकुलम की शुरुआत की गई। बच्चों में अपने देश के प्रति गर्व की भावना ही और वे बेहतर नागरिक बन सके इसके लिए देशभक्ति करिकुलम की शुरुआत की गई है।डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि डिग्नफाइड कक्षाओं, परिवेश, बेहतर प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा छात्रों के लिए शिक्षा को और अधिक रोचक बनाना, विभिन्न माइंडसेट करिकुलम शुरू करना से एक बड़ा बदलाव देखने को मिला। और ड्राप-आउट व अनुपस्थिति दर में कमी देखने को मिली। क्योंकि जब कोई छात्र स्कूल को एक दिलचस्प जगह पाता है, एक ऐसी जगह जहाँ वह रहना चाहता है, तभी हम स्कूलों में तभी हम स्कूलों में ड्राप-आउट  दर को कम कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि यदि राष्ट्र एक-दूसरे से सीखते हैं, तो हम एक आदर्श शिक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं। जो छात्रों को उनकी क्षमता का एहसास करने और जागरूक नागरिक बनने में मदद करती है, जिस पर दुनिया को वास्तव में गर्व हो सकता है।

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