अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज शनिवार को बिहार के मखाना अनुसंधान केंद्र,दरभंगा में मखाना एवं मत्स्यउत्पादकों और पद्मश्री किसान चाही के गाँव (सरैया, मुजफ्फरपुर) में लीची एवं महिला किसानों को संबोधित किया और किसानों का वंदन करते हुए उन्हें आगे बढ़ने का मंत्र दिया। इस अवसर पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल, बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एवं
बिहार के प्रभारी भूपेन्द्र यादव उपस्थित थे। दरभंगा में भाजपा सांसद श्री गोपालजी ठाकुर, विधायकसंजय सरावगी एवं जिला भाजपा अध्यक्ष जीवछ सहनी मंच पर मौजूद रहे तो पद्मश्री किसान चाची के गाँव (सरैया,मुजफ्फरपुर) में बिहार सरकार में मंत्री सुरेश शर्मा,मुजफ्फरपुर के सांसद अजय निषाद , विधायक अशोक सिंह और किसान चाची पद्मश्री राजकुमारी देवी जी उपस्थित रहीं। माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पद्मश्री किसान चाची के गाँव जाकर उनसे मुलाक़ात की और उनके अनुभवों से अवगत हुए।
नड्डा ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आने के बाद देश में आशा, बदलाव और परिवर्तन की किरण देखी है। प्रधानमंत्री जी ने देश की राजनीतिक कार्य संस्कृति को बदल कर रख दिया है। पहले कांग्रेस-राजद एंड कंपनी द्वारा गरीबों, दलितों और पिछड़ों के नाम पर राजनीति की जाती थी और उनका वोट हड़प कर उन्हें भुला दिया जाता था लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने सच्चे अर्थों में दलितों, गरीबों, शोषितों और वंचितों की चिंता की है और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए कई योजनाओं का सूत्रपात किया है। चाहे देश के 18,000 से अधिक गावों और ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंचाने की बात हो, 50 करोड़ से अधिक लोगों को पांच लाख रुपये सालाना स्वास्थ्य बीमा की आयुष्मान भारत योजना हो, जन-धन योजना, किसान सम्मान निधि योजना हो, फसल बीमा योजना हो या फिर उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री जी की हर योजना के केंद्र में देश के गाँव, गरीब और किसान ही हैं। पद्मश्री किसान चाची जी से मुलाक़ात का जिक्र करते हुए भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि जब नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तभी उन्होंने किसान चाची के बारे में सुना था और उन्हें गुजरात बुला कर सम्मानित किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने पुनः किसान चाची का सम्मान किया। माननीय प्रधानमंत्री जी का मानना है कि संपूर्णता के साथ किसान का विकास होना चाहिए। कृषि और कृषकों के कल्याण के लिए प्रधानमंत्री जी ने जहां एक ओर कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया है, वहीं उन्होंने किसानों के सम्मान के लिए भी कई कदम उठाये। समाज को नई राह दिलाने वाली पद्मश्री किसान चाची राजकुमारी देवी जी, कर्नाटक की आदिवसी महिला तुलसी गौड़ा जी और इंदौर की बुजुर्ग चिकित्सक ‘डॉक्टर दादी’ का सम्मान करके महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण प्रधानमंत्री जी ने प्रस्तुत किया।
नड्डा ने कहा कि भारत की तस्वीर बदलनी है तो बिहार की तस्वीर बदलनी होगी। आत्मनिर्भर भारत की कल्पना ‘आत्मनिर्भर बिहार के बगैर साकार नहीं हो सकती। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी जी ने तय किया है कि हम आत्मनिर्भर बिहार के सपने को चरितार्थ कर दिखाएँगे। किसानों ने बातचीत करते हुए माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि किसी भी उद्योग को सफलतापूर्वक चलाने के लिए पैसा, इन्फ्रास्ट्रक्चर, तकनीक और कुशल श्रमिकों को जरूरत होती है। प्रधानमंत्री जी ने इसी दिशा में पहल करते हुए 20 लाख करोड़ रुपये की निधि से ‘आत्मनिर्भर भारत' अभियान को शुरू किया है। इसके तहत जहां एक ओर एमएसएमई सेक्टर के लिए साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है तो वहीं दूसरी ओर कृषि के ढांचागत सुधार के लिए एक लाख करोड़ रुपये का आवंटन हुआ है। भाजपा कार्यकर्ताओं को किसान उत्पादक समूहों (FPOs) के लिए काम करना चाहिए और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि ये चीजें अब गाँवों में उपलब्ध होगी। मोदी सरकार ने किसानों के प्रोडक्ट को मार्किट से लिंक करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपये का निर्धारण किया गया है और कृषि उद्योगों के वैल्यू एडिशन के लिए अलग से 10 हजार रुपये रखे गए हैं। दरभंगा में मखाना उत्पादक किसानों और मत्स्य पालकों को संबोधित करते हुए माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि एक टन मखाने के उत्पादन पर पांच लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह से दो लाख टन मखाना उत्पादन पर 10 लाख लोगों को रोजगार मिल सकता है। हमें यह मालूम होना चाहिए कि देश का 80% से अधिक मखाने का उत्पादन बिहार में होता है और मखाना बिहार और मिथिला के इस क्षेत्र की तस्वीर बदल सकता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक अलग ही मत्स्य विभाग बना दिया है ताकि मत्स्य पालकों को सहूलियत हो। इसके लिए लगभग 20 हजार करोड़ रुपये रखे गए हैं। पैकेजिंग और टैगिंग से लेकर इसे लंबे समय तक कैसे प्रोक्योर किया जाय,इसकी व्यवस्था की जा रही है। हम चाहते हैं कि बिहार से मछली का निर्यात भी हो।