अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये पटना से हिमाचल तक अपने शिक्षकों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से आशीर्वाद प्राप्त किया एवं उनका हाल-चाल जाना। उन्होंने यहाँ तक पहुँचने के लिए अपने सभी गुरुजन का वंदन करते हुए उनके मार्गदर्शन को मील का पत्थर बताया। इस वीडियो वार्ता में माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष ने हिमाचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति नरेंद्र कुमार शारदा, शताक्षी राही, सेंट जेवियर कॉलेज, पटना से अपने शिक्षक के. एन. पांडेय, हिमाचल विश्वविद्यालय से प्रोफ़ेसर चमन गुप्ता, और सेंट जेवियर पटना से ही रेमी ओस्टा से बातचीत की और उनका कुशल-क्षेम पूछा। उन्होंने अपने पूज्य शिक्षकों को नमन करते हुए कहा कि आप गुरुवरों के ही त्याग और तपस्या के कारण आज वे अपने जीवन में इतना आगे बढ़ पाए हैं।
उन्होंने कहा कि वे अपने-आप को काफी भाग्यशाली मानते हैं कि आज भी उन्हें अपने गुरुओं का स्नेहिल आशीर्वाद मिल पा रहा है। उन्होंने एक-एक करके सभी शिक्षकों से बात की। नड्डा ने कहा कि आजादी के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सच्चे अर्थों में हिंदुस्तान की आत्मा के अनुसार नई शिक्षा नीति लागू की है। यह न केवल विद्यार्थियों को प्रतिस्पर्धा और जीवन में आगे बढ़ने का उचित प्लेटफॉर्म और माहौल मुहैया कराएगा, बल्कि शिक्षकों की गुणवत्ता को भी परिष्कृत करने में व्यापक भूमिका निभाएगा। इस शिक्षा नीति से भारत की तस्वीर बदलेगी और भारतवर्ष पुनः विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा। सभी गुरुजनों ने मुक्त कंठ से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में लाई गई नई शिक्षा नीति 2020 का समर्थन करते हुए
उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि पहली बार शिक्षा के क्षेत्र में इतने व्यापक रूप से सोचा गया है और भारत के अनुसार शिक्षा नीति तैयार की गई है। अपने शिक्षकों के प्रति असीम आस्था प्रकट करते हुए श्री नड्डा ने कहा कि हमारे देश में शिक्षा के क्षेत्र में जो क्रांति का उदय हुआ है उसमें शिक्षकों का विशेष योगदान है। गुरु-शिष्य परंपरा तो हमारी संस्कृति की पहचान है। हमारे देश में शिक्षक अर्थात गुरु को तो भगवान से भी बढ़ कर बताया गया है। आज के परिप्रेक्ष्य में शिक्षकों की जिम्मेदारी तो इतनी ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उन्हें अपने छात्रों के सामने ऐसा आदर्श बनकर प्रस्तुत होना होता है, जिसका अनुसरण करके छात्रों का शैक्षणिक विकास ही नहीं, अपितु नैतिक विकास भी सार्थकता की ओर पल्लवित हो।