संवाददाता : प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा अपने सहायक बैंकों के अधिग्रहण को मंजूरी प्रदान कर दी। इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ बिकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला तथा स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर शामिल हैं।
मंत्रिमंडल ने इसके साथ ही भारतीय स्टेट बैंक (सहायक बैंक) अधिनियम 1959 और हैदराबाद स्टेट बैंक अधिनियम 1956 को निरस्त करने के लिए संसद में एक विधेयक प्रस्तुत करने को स्वीकृति प्रदान कर दी। इस विलय से बड़ी बचत होगी जो अनुमानित तौर पर पहले साल में 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी। साथ ही इनके एक साथ आने से कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी होगी और लागत कम होगी। सहायक बैंकों के ग्राहक भारतीय स्टेट बैंक के वैश्विक नेटवर्क का लाभ ले सकेंगे। विलय से उच्च प्रबंधन को बढ़ावा मिलेगा और इससे मुद्रा के प्रवाह पर निगरानी व नियंत्रण रखा जा सकेगा। इन छह बैंकों के लिए अलग अलग निगरानी व्यवस्था करने के बजाय एक तंत्र के तहत उपर्युक्त गतिविधियों की निगरानी की जा सकेगी। भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955 के धारा 35 के तहत किया गया है। इससे किसी भी भौगोलिक क्षेत्र में सहायक बैंकों के सामने पेश आ रही दिक्कतें कम हो जाएंगी। साथ ही इससे आर्थिक और संचालन में कुशलता के मोर्चे पर सुधार होगा। इससे जोखिम प्रबंधन और एकीकृत ट्रेजरी परिचालन में भी सुधार होगा।
सरकारी बैंकों के एकत्रीकरण के जरिये भारतीय स्टेट बैंक के सहायक बैंकों का अधिग्रहण बैंक क्षेत्र को मजबूत बनाएगा। यह सरकार के इंद्रधनुष कार्ययोजना का अनुसरण है और संभावना है कि इससे कार्यकुशलता और लाभ के मामले में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार आएगा।