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दिल्ली यूनिवर्सिटी के कॉलेजों के ऑडिट में मिली बड़ी गड़बड़ी- डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
नई दिल्ली:उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों के अकॉउंटस् में भारी अनियमितता पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों को वेतन के लिए पर्याप्त धनराशि प्रदान की है, लेकिन ऐसा लगता है कि कॉलेजों ने शिक्षकों को वेतन देने के बजाय उस फंड का अन्यत्र उपयोग किया जा रहा है। मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिए अनुमानित वेतन 300 करोड़ रुपये है और दिल्ली सरकार ने सहायता के निर्धारित पैटर्न के तहत कॉलेजों को पर्याप्त धनराशि प्रदान कर दी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार काँलेज के शिक्षकों और छात्रों के साथ है। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा समय पर अनुदान देने के बावजूद शिक्षकों को उनका वेतन नहीं मिलना, हैरानी की बात है। कुछ शिक्षक मुझसे मिलने आए और वेतन भुगतान के बारे में अपनी चिंताओं को साझा किया। शिक्षकों ने बताया कि कॉलेज के फंड का उचित ऑडिट करना जरूरी है। संभव है कि वेतन फंड का दुरुपयोग गैर-वेतन मद में कर दिया गया हो।

सिसोदिया ने कहा कि फंड के उपयोग की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने इन कॉलेजों का एक विशेष ऑडिट शुरू कराया है। इसके लिए सीएजी से ऑडिटर्स मांगे गए। उन ऑडिटर्स ने इन कॉलेजों का ऑडिट शुरू किया है। सितंबर के पहले सप्ताह में छह कॉलेजों का ऑडिट किया गया। उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट में चिंताजनक तथ्य सामने आए हैं। डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बताया कि ऑडिटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, कॉलेजों ने स्टाफ को वेतन भुगतान करने के बजाय फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में बड़ी राशि जमा रखी है। केशव महाविद्यालय के पास फिक्स डिपोजिट के रूप में 10.52 करोड़ रुपये जमा है। अगर उनके पास इतना पैसा है, तो वे अपने शिक्षकों को वेतन क्यों नहीं दे रहे हैं? सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा केशव महाविद्यालय को वेतन अनुदान के बातौर वर्ष 2014-15 में 10.92 करोड़ रुपये दिया गया था। पिछले वर्ष सरकार ने 27.9 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। पांच साल के भीतर उनका वेतन अनुदान करीब तीन गुना हो गया है। इतनी राशि मिलने के बावजूद कॉलेज अपने शिक्षकों को वेतन नहीं दे रहे हैं। सिसोदिया ने कहा कि भगिनी निवेदिता कॉलेज के क्लोजिंग बैलेंस से पता चलता है कि उनके पास लगभग 2.5 करोड़ रुपये फिक्स डिपॉजिट है। वर्ष 2014-15 में भगिनी निवेदिता को दिया जाने वाला वेतन अनुदान करीब 8.4 करोड़ रुपये था। पिछले साल इसे बढ़ाकर 18 करोड़ रुपये कर दिया गया था। यह आश्चर्य की बात है कि इतनी सहायता मिलने के बावजूद कॉलेज द्वारा धन की कमी का दावा किया जा रहा है। 
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कई कॉलेजों द्वारा ऑडिटर्स की टीम के साथ सहयोग भी नहीं किया जा रहा है।

शहीद सुखदेव कॉलेज ऑफ बिजनेस स्टडीज ने ऑडिटर्स को अपनी ऑडिटेड बैलेंस शीट भी नहीं दी है। वर्ष 2018-19 की बैलेंस शीट में कॉलेज के पास लगभग 3.5 करोड़ रुपये थे। इसके अलावा फिक्स डिपॉजिट में उनके पास 10.45 करोड़ रुपये हैं। लगभग 14 करोड़ रुपए होने के बावजूद दिल्ली विश्व विद्यालय और कॉलेज प्रशासन अगर दिल्ली सरकार पर फंड नहीं देने का आरोप लगाए, तो यह हास्यास्पद है। सिसोदिया ने कहा कि लेखा परीक्षकों ने फंड के उपयोग संबंधी सच्चाई की गहराई से पड़ताल की है। इसलिए कॉलेज प्रशासन ने ऑडिटरों के साथ सहयोग करना बंद कर दिया है। यह भी पाया गया कि छात्रों द्वारा विभिन्न मद के तहत जमा की गई फीस का कोई ऑडिट नहीं किया गया है। विभिन्न कॉलेज प्रशासन छात्रों द्वारा एकत्रित राशि को अनुचित तरीके से खर्च कर रहे हैं। एक मामले में, कॉलेज प्रशासन ने नियत प्रक्रिया का पालन किए बिना 25 लाख रुपये की राशि दान कर दी। सिसोदिया ने कहा कि ये लोग अपने ही स्टाफ के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि ये लोग भाजपा की धुन पर नाच रहे हैं और पूरा डीयू प्रशासन भाजपा के पार्टी कार्यालय की तरह व्यवहार कर रहा है। उनका प्रयास केवल दिल्ली सरकार को दोषी ठहराने तक सीमित है। सहायता के पैटर्न के तहत यह स्पष्ट नियम है कि अनुदान का प्रावधान केवल शुद्ध घाटे के आधार पर किया जाएगा। वास्तव में, इन कॉलेजों में अतिरिक्त राशि है और फिर भी वे अपने शिक्षकों कर्मचारियों को उचित वेतन नहीं दे रहे हैं। यह आपराधिक है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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