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भाजपा अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने कांग्रेस पार्टी एवं सोनिया गाँधी पर हमला करते हुए 10 ज्वलंत प्रश्न पूछे।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट /नई दिल्ली 
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और कांग्रेस पार्टी एवं सोनिया गाँधी पर हमला करते हुए 10 ज्वलंत प्रश्न पूछे। नड्डा ने कहा कि कोविड-19 या चीन के साथ सीमा विवाद की आड़ में सोनिया गाँधी देश की 130 करोड़ जनता द्वारा कांग्रेस पार्टी से पूछे जा रहे मूल प्रश्नों से बचने का प्रयास न करें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश सुरक्षित भी है और मजबूत भी। हमारी आर्मी देश की की संप्रभुता और सरहदों की सुरक्षा करने में पूर्ण सक्षम है। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि देश की जनता जानना चाहती है कि कांग्रेस के शासन काल में क्या-क्या काले कारनामे हुए थे और देश की जनता से किस तरह विश्वासघात किया गया। दो दिन पहले मैंने ट्वीट करते हुए राजीव गाँधी फाउंडेशन पर सार्वजनिक रूप से कुछ प्रश्न पूछे थे।
आज यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रह चुके पी चिदंबरम, जो खुद आज-कल बेल पर चल रहे हैं, बता रहे हैं कि राजीव गाँधी फाउंडेशन चीनी दूतावास से लिया गया डोनेशन का पैसा लौटा देगा। यदि सोनिया-मनमोहन सरकार के वित्त मंत्री स्वयं यह कबूल कर रहे हैं तो यह एक तरह से स्वीकारोक्ति है कि राजीव गाँधी फाउंडेशन ने देश के अहित में अनैतिक तरीके से फंड लिए। इस परिवार का एक ही तरीका है – अथॉरिटी विदाउट रिस्पांसिबिलिटी। आरोप लगाकर भाग जाना और खुद के ऊपर लगे एक भी सवालों का जवाब न देना इस परिवार की आदत रही है। आज मैं सोनिया गाँधी से 10 प्रश्न पूछना चाहता हूँ जिसका जवाब देश की 130 करोड़ जनता कांग्रेस पार्टी से जानना चाहती है।
प्रश्न 1:
चीन जैसे देशों ने 2005 – 2009 के बीच हर साल राजीव गांधी फाउंडेशन को डोनेशन दिया। लक्जमबर्ग जैसे टैक्स हैवन्स ने राजीव गांधी फाउंडेशन को हर साल 2006 से 2009 के बीच दान दिया। एनजीओ और कंपनियों ने गूढ़ व्यावसायिक हितों के साथ आरजीएफ को दान दिया। मेरा सीधा प्रश्न यह है कि सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से पैसे क्यों लिए? यह किस बात की ओर इंगित करता है? व्यक्तिगत हित में विदेशी शक्तियों से धन स्वीकार करना राष्ट्रीय हित का बलिदान है। क्या व्यक्तिगत ट्रस्टों के लिए विदेशी शक्तियों से धन स्वीकार करके राष्ट्रीय हित के साथ खिलवाड़ करना करना शर्म की बात नहीं है?
प्रश्न 2:
पूर्वी एशिया एफटीए (फ्री ट्रेड अग्रीमेंट) के लिए क्या जल्दी थी, जिसमें चीन भी शामिल था? कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़कर 36.2बिलियन अमरीकी डॉलर कैसे हो गया? आखिर यूपीए सरकार ने ऐसा कैसे होने दिया? कांग्रेस ने भारत की आर्थिक स्थिति को कमजोर क्यों किया? क्या राजीव गांधी फाउंडेशन द्वारा चीनी धन को स्वीकार करने के एवज में ऐसा होने दिया गया?
आरसीईपी भारतीय किसानों, एमएसएमई क्षेत्र और कृषि के हित में नहीं है। इसमें शामिल होने से देश के किसानों और लघु एवं मध्यम उद्योगों का अहित होता, इसलिए राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) में शामिल न होने का निर्णय लिया और भारत को इससे बाहर निकाल कर लाये।
प्रश्न 3:
कांग्रेस पार्टी और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के बीच में वास्तव में संबंध क्या है? दोनों के बीच टैक्टिक अंडरस्टैंडिंग क्या है? हस्ताक्षरित और अहस्ताक्षरित एमओयू क्या है? देश जानना चाहता है।
प्रश्न 4:
राजीव गांधी फाउंडेशन ने चाइना एसोसिएशन फॉर इंटरनेशनलली फ्रेंडली कॉन्टेक्ट के साथ काम किया, जो चीन के केंद्रीय सैन्य आयोग का सिर्फ एक घटक है और विभिन्न देशों की नीतियों को प्रभावित करने के काम में लाया जाता है। चीन के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन फाउंडेशन से कांग्रेस पार्टी का क्या रिश्ता है? सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि राजीव गाँधी फाउंडेशन की सहायता से इस चीनी एजेंसी से भारत की नीतियाँ कितनी प्रभावित हुई और इसका कितना दखल बढ़ा?
प्रश्न 5:
पीएमएनआरएफ ने 2005 से 2008 तक राजीव गांधी फाउंडेशन को हर साल पैसा क्यों दिया? यूपीए सरकार ने राजीव गाँधी फाउंडेशन को दान देने के लिए वर्ष दर वर्ष गृह मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय जैसे केंद्रीय मंत्रालयों और SAIL, SBI, GAIL, ONGC जैसे सार्वजनिक उपक्रमों को क्यों मजबूर किया, उन पर क्यों दवाब बनाया गया ? क्यों श्रीमती सोनिया गांधी को अपने निजी लाभ के लिए लोगों की मेहनत से कमाए गए पैसों को निकालने में कोई शर्म नहीं आती?
प्रश्न 6:
गरीबों के नाम पर राजनीती करने वाली कांग्रेस पार्टी के राजीव गांधी फाउंडेशन ने सभी प्रमुख भारतीय कॉरपोरेट्स से भारी दान लिया और इसके बदले कांग्रेस की तत्कालीन यूपीए सरकार ने कॉरपोरेट्स को बड़े-बड़े अनुबंधों को पुरस्कृत किया। श्रीमती सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि क्विड प्रो क्वो के रूप में इतने सारे सौदे अनुबंध क्यों किये गए?
प्रश्न 7:
क्यों कांग्रेस के एक नेता की कंपनी पीएमएनआरएफ का ऑडिट कर रही थी? PMNRF ऑडिटर का नाम ठाकुर वैद्यनाथन एंड अय्यर कंपनी है जिसकी स्थापना रामेश्वर ठाकुर ने की थी, जो कांग्रेस के एक नेता थे। वे दो बार राज्य सभा सांसद रहे, फिर केंद्रीय वित्त मंत्री (MoS) रहे और चार राज्यों के राज्यपाल भी रहे। सभी मानदंडों के विरोधाभास में क्यों एक कांग्रेस नेता की कंपनी पीएमएनआरएफ का ऑडिट कर रही थी? पीएम नेशनल रिलीफ फंड में एक ट्रस्टी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष भी है। देश जानना चाहता है कि ऐसे लोगों ऑडिटर बनाकर क्या सरकार करना चाह रही थी?
प्रश्न 8:
राजीव गांधी फाउंडेशन, एक निजी चैरिटेबल ट्रस्ट के पास 100 करोड़ रुपये से अधिक का कोष (2019 तक) कैसे आया? राजीव गांधी फाउंडेशन को करोड़ों का जवाहर भवन बेमियादी लीज पर कैसे मिला? जब भारत अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा था, तब 1991 में अपने बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए थे। तब से इसे नियमित रूप से भारत सरकार के मंत्रालयों से दान मिलता रहा है, फिर भी राजीव गांधी फाउंडेशन को कैग द्वारा ऑडिट करने से छूट क्यों दी गई। क्यों इस फाउंडेशन को RTI के दायरे में नहीं लाया गया? भारत के लोग जानना चाहते हैं कि सीएजी ऑडिटिंग के लिए राजीव गांधी फाउंडेशन के अकाउंट्स ने मना क्यों किया? आखिर श्रीमती सोनिया गांधी को क्यों इसे छिपाना चाहती है? डॉ मनमोहन सिंह का इस मोनुमेंटल और संगठित लूट पर क्या कहना है?
प्रश्न 9:
राजीव गांधी फाउंडेशन न केवल घोटालों से पैसा लेता है, बल्कि अपने स्वयं के संगठनों को संदेहास्पद डोनेशन भी देता है। राजीव गांधी फाउंडेशन ने परिवार और ‘वर्ल्ड विजन' जैसे ईसाई मिशनरी संगठनों द्वारा नियंत्रित राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट को डोनेशन क्यों दिया?
प्रश्न 10:
कुछ महीने पहले, हमने मेहुल चोकसी पर कांग्रेस का शोर और रोना देखा था। कांग्रेस के राजकुमार ने देश के प्रधानमंत्री के लिए सबसे अप्रिय भाषा का भी इस्तेमाल किया। हालांकि, यह भी पता चला है कि मेहुल चोकसी भी राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए एक दाता था। सोनिया गांधी को इस बात का जवाब देना देना चाहिए – पहले तो मेहुल चोकसी से पैसे लो, फिर बैंक ऋण के माध्यम से उसकी मदद करो और अपने इस कृत्य के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री को दोषी ठहराओ। देश जानना चाहता है कि मेहुल चोकसी से राजीव गांधी फाउंडेशन का क्या संबंध है और यूपीए सरकार ने उसे लोन देने में किस-किस प्रकार से मदद की है?

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