अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज पार्टी के केंद्रीय कार्यालय में एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया और पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में हुई नृशंस हत्याकांड को लेकर राज्य की ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इन हत्यायों ने पूरे हिंदुस्तान को झकझोर दिया है. डॉ पात्रा ने कहा कि विगत दो दिनों से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले से जो ख़बरें व तश्वीरें आ रही हैं, उसने पूरे हिंदुस्तान के हर दिल को झकझोर कर रख दिया है. बीरभूम जिला में 8 लोगों- 6 महिलाएं एवं दो मासूम बच्चों को जिस प्रकार जिन्दा जला कर मार दिया गया, यह विषय महज पश्चिम बंगाल के लिए ही नहीं बल्कि पूरी मानवता एवं पूरे हिंदुस्तान के लिए चिंता की बात है. कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीरभूम जिले की घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और पूरा हिंदुस्तान भी इस घटना को लेकर चिंतित है.डॉ पात्रा ने ममता सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल में जो हत्याएं हुई हैं, बर्बरता और आगजनी हुई है, वह एक प्रकार की रिवेंज किलिंग है. राजनैतिक बदले से ओत-प्रोत एक राजनीतिक पार्टी के
लोगों ने महिलाओं और बच्चों को जिन्दा जला कर मार डाला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हो गया है कि महिलाओं और बच्चों को जलाने से पहले बर्बरता पूर्वक मारा-पीटा भी गया था. ये जो बंगाल फाइल्स है, बदले की राजनीति का, इसके कई पन्ने हैं।
ममता बनर्जी के कार्यकर्ताओं ने अब तक भाजपा के करीब 200 कार्यकर्ताओं को मौत के घाट उतारा है। पोलिटिकल मर्डर और रिवेंज किलिंग की जो बंगाल फाइल्स है, उस पर प्रत्येक हिन्दुस्तानी को गौर करने की आवश्यकता है. महिलाओं और मासूम बच्चों की नृशंस हत्या के बाद ममता बनर्जी के जिस प्रकार असंवेदनशील वक्तव्य आए हैं, उस आधार पर यदि उन्हें कहा जाए कि आप ममता बनर्जी नहीं बल्कि निर्मम बनर्जी है, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. डॉ पात्रा ने कहा विगत एक हफ्ते में 26 राजनीतिक हत्याएं पश्चिम बंगाल में हुई हैं। यह बेहद दुखद है कि मासूम लोगों की निर्मम हत्याओं को एक आंकड़ों के रुप में चर्चा कर रहे हैं जबकि ममता बनर्जी को इन्हें रोकना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बीरभूम जिले के जिस गाँव में ये निर्मम हत्याएं हुई हैं, वहां की स्थानीय महिलाएं कह रही थीं कि घटना के बाद पुलिस बिलकुल नदारद रही क्योंकि प्रशासन को निर्देश मिला था कि पुलिस को वहां पहुंचने नहीं देना है। एम्बुलेंस तक वहां नहीं पहुंचने दी गई। ये है पश्चिम बंगाल के अंदर की कानून व्यवस्था. सबसे दुखद है कि बंगाल के कुछ नेता इन निर्मम हत्याओं पर चादर ढंकने की कोशिश कर रहे हैं, वो कह रहे हैं कि शार्ट शर्किट हो गया है, सिलेंडर ब्लास्ट हो गया है। आज जब पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट सामने आई हैं उसमें साफ है कि महिलाओं और बच्चों को बर्बरतापूर्वक मारा-पीटा गया उसके बाद जिन्दा जला दिया गया। आज वो नेता कहां हैं, जो कह रहे थे शॉट सर्किट हुआ था? इतना ही नहीं, कल ममता जी बांग्ला भाषा में बोल रही थीं, बंगाल में किसी को खांसी भी आती है, तो भाजपा वाले कोर्ट जाकर गुहार करने लगते हैं.
ममता, 8 लोगों को जिस प्रकार बर्बरतापूर्वक जिन्दा जला कर मार डाल गया, क्या ये खांसी या जुकाम के बराबर है? ममता बनर्जी की असंवेदनशीलता की यह पराकाष्ठा है, उन्हें इस पर माफ़ी मांगनी चाहिए. ममता जी ने कल यह भी कहा कि यह बंगाल है, यूपी नहीं. ममता जी ने बिल्कुल सही कहा है, बंगाल में जिस प्रकार की राजनीतिक हत्याएं हो रही हैं, वह उत्तर प्रदेश में सोचा भी नहीं जा सकता. उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत हुई है, ममता बताएं कि क्या किसी कार्यकर्ता की हत्या हुई? किन विपक्षियों के ऊपर हमने हमले करवाए? एक भी नहीं, क्योंकि भाजपा लोकतंत्र में विश्वास करती है. दूसरी ओर, 2021 के पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या इसलिए कर दी गई क्योंकि उक्त चुनाव में टीएमसी जीती थी. एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल के कानून- प्रशासन पर बिल्कुल सही कहा था- Law of Ruler in Bengal not Rule of Law डॉ पात्रा ने इस घटना के बाद ममता बनर्जी के बीरभूम दौरे को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि ममता बनर्जी के दौरे से पहले टीएमसी नेताओं ने उनके स्वागत में वहां तोरण लगवाए हैं, बैनर और पोस्टर चिपकाये हैं, मानो ममता जी कोई जंग जीत कर आ रही हैं. ममता जी, आप बीरभूम शोक मनाने जा रही हैं या फिर जश्न मनाने? डॉ पात्रा ने ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि 100 हत्याएं करवाकर दीदी हज को चली। कोलकाता हाई कोर्ट ने भी बीरभूम घटना का संज्ञान लेते हुए ममता सरकार को हिदायत दी है कि चस्मदिद गवाहों की सुरक्षा के उपाय किये जाएं.
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