अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि भाजपा की केंद्र सरकार पराली के समाधान के लिए किसानों को सहयोग दे, गाली नहीं। दिल्ली और पंजाब की सरकार पराली जलने से रोकने के लिए किसानों को आर्थिक सहायता देने के लिए तैयार है। केंद्र की भाजपा सरकार ने इंकार कर दिया है। भाजपा पहले प्रदूषण बढ़वाती है फिर उस पर राजनीति करती है। दिल्ली सरकार प्रदूषण कम करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।दिल्ली और आसपास के जिलों में प्रदूषण का स्तर पिछले दो दिनों से बढ़ रहा है। बहादुर गढ़ में कल 1 नवम्बर को एक्यूआई का स्तर 400, फरीदाबाद में 403, मानेसर में 393, सोनीपत में 350, कैथल में 350 ग्रेटर नोएडा में 402, नोएडा में 398 और गाजियाबाद में 381 दर्ज किया गया। हवा की गति कुछ बढ़ी हुई है इसलिए दिल्ली का एक्यूआई 313 के स्तर पर बना हुआ है, जो वेरी पूअर की कैटगरी में आता है।दिल्ली में सीएक्यूआईएम के निर्देशानुसार निर्माण एवं विध्वंस के कार्य पर रोक है।
इस आदेश को सुचारू रूप से कार्यान्वयन के लिए 500 से ज्यादा टीमें निरीक्षण कर रही हैं। मैंने कल दो साईटों का निरीक्षण किया, जिसमे एक साइट पर काम बंद था। जबकि दूसरी साइट पर एलएंडटी द्वारा निर्माण का कार्य चल रहा था। वहां चोरी छुपे निर्माण का कार्य चल रहा था। साथ ही निर्माण के किसी भी नियम का पालन नहीं हो रहा था। एंटी स्मॉग गन वहां नहीं लगा हुआ था और ना ही को ढका गया था। मैंने कार्रवाई की और मुझे बाद में पता चला कि यहां बीजेपी का कार्यालय बन रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा के प्रवक्ताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सीएम अरंविद केजरीवाल की आलोचना की और कहा कि केजरीवाल पंजाब में पराली जलवाकर दिल्लीवासियों के सांसों के साथ खिलवाड़ कर रही है। यह बातें वह भाजपा कर रही है जो पटाखों पर बैन को हटवाने के लिए सुप्रीम कोट तक गई। जिसने पंजाब सरकार की इस मांग को ठुकरा दिया कि पंजाब के किसानों को अथिर्क मदद दी जाए। जिससे कि वे पराली न जलाएं। वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए अरविंद केजरीवाल द्वारा लागू होने वाले “रेड लाईट आन, गाड़ी आफ” अभियान को रोक दिया।
पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि पूरे देश में दिल्ली सरकार अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिए जितना काम कर रही उतना कोई भी राज्य सरकार नहीं कर रही है। हमने 24*7 बिजली देकरा जनरेटरों से होने वाले प्रदूषण का पूरी तरह से रोक दिया। दिल्ली में ई-व्हीकल पॉलिसी लाकर वाहन के प्रदूषण के स्थाई समाधन की तरफ कदम बढ़ाया है। वृक्षारोपण के माध्यम दिल्ली के ग्रीन बेल्ट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत कर दिया। ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी लाकर दिल्ली में विकास एवं पर्यावरण के संतुलन को बनाने का प्रयास कर रहे हैं। एक्यूएएम ने सभी राज्यों को आदेश दिया था लेकिन केवल दिल्ली ही ऐसा राज्य है जिन्होंने सभी औद्योगिक इकाईयों को पीएनजी पर कनवर्ट करवा दिया है। दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जिसने अपना विंटर एक्शन प्लान बनाकर एंटी डस्ट कैम्पन चला रहा है। दिल्ली पहला ऐसा राज्य है जिसने पराली को गलाने के लिए बायोडिकम्पोजर का छिड़काव कर रही है। दिल्ली में पटाखों पर बैन लगाया तथा लोगों को “दीये जलाओ पटाखे नहीं” अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के इतने प्रयासों के बावजूद दिल्ली में प्रदूषण इतना क्यों बढ़ गया है। इसी को समझने के लिए पिछले साल दिल्ली में 24 अक्टूबर से 8 नवम्बर के बीच दिल्ली में एक अध्ययन किया गया। सीएससी के इस अध्ययन में यह बात समाने आई की दिल्ली के प्रदूषण में दिल्ली के स्रोतों का योगदान मात्र 31 प्रतिशत (जिसमें 51 प्रतिशत वाहन प्रदूषण, 13 प्रतिशत धूल प्रदूषण और 12 प्रतिशत वेस्ट बर्निंग आदि का योगदान) है। जबकि 69 प्रतिशत दिल्ली से बाहर के स्रोतों का योगदान है। इस 69 प्रतिशत में 54.5 प्रतिशत एनसीआई के प्रदूषण के स्रोतों का योगदान है। दिल्ली सरकार केवल अपने 31 प्रतिशत प्रदूषण के स्रोतों को ही तो कम कर सकती है। वह इसके लिए भरपूर प्रयास कर रही है। किंतु दिल्ली से बाहर के प्रदूषण पर क्या कर सकते हैं। हमें केंद्र की भाजपा सरकार,उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार तथा हरियाणा की भाजपा सरकार का सहयोग चाहिए। आनंद विहार और विवेक विहार में एक्यूआई का लेवल बढ़ता है उसका मूल कारण उत्तर प्रदेश से आने वाली डीजल की बसें और वाहन हैं। हम विंटर एक्शन बनाकर प्रदूषण से निपटने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन न तो हरियाणा की सरकार और न ही उत्तर प्रदेश की सरकार कोई एक्शन बनाकर प्रयास कर रही है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, हरियाणा में पराली जलती है। पंजाब में पिछले कई सालों पराली जल रही है। पंजाब में धान की खेती बड़े पैमान पर होती है। वहां 7 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। ठंडी में प्रदूषण के स्तर के बढ़ने के मुख्य रूप से दो कारण हैं। पहला उस समय हवा की गति बहुत ही धीमी होती है और दूसरा कम तापमान के कारण प्रदूषण के कण संघनित हो जाते हैं। इसका समाधान राजनीति से नहीं हो सकता है। केंद्र की सरकार पंजाब सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेती तो पराली जलने की घटनाओं में कम से कम 50 प्रतिशत की कमी हो सकती थी। केन्द्र की भाजपा सरकार किसानों से नफरत करती है क्योंकि उन्होंने उनके खिलाफ किसान आंदोलन किया था। पंजाब की सरकार किसानों को 500 रू. की मदद देने को तैयार थी। दिल्ली सरकार ने भी फैसला किया कि वह भी 500 रू. की मदद प्रत्येक किसान को करेगी लेकिन केन्द्र की भाजपा सरकार ने सहयोग देने से मना कर दिया। इससे यह पता चलता है कि प्रदूषण को लेकर वह कितनी चिंतित है।
गोपाल राय ने कहा कि मैं दिल्ली के लोगों से अनुरोध करता हूँ कि हमें अपने हिस्से के प्रदूषण को कम करना है। मैं आपसे 5 काम करने के लिए प्रार्थना करता है। पहला कहीं भी निर्माण कार्य चल रहा है तो उसका फोटो ग्रीन दिल्ली ऐप भेजें। दूसरा कार एवं बाइक पूलिंग का इस्तेमाल करें। तीसरा संभव होने पर वर्क फार्म होम करें। चौथा लकड़ी या कोयले को न जलाएं और पांचवा आरडब्ल्यूए अपने सिक्योरिटी गार्डों को इलेक्ट्रिक हिटर उपलब्ध करवाए, ताकि उन्हें ठंड से बचने के लिए लकड़ी या कोयला जलाने के लिए मजबूर न होना पड़े।
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