अजीत सिन्हा/ नई दिल्ली
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ संबित पात्रा ने आज एक प्रेस वार्ता को वर्चुअली संबोधित किया और दिल्ली सरकार की घर-घर राशन योजना को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि केजरीवाल सरकार राशन योजना पर झूठ बोलकर दिल्ली की जनता को बरगलाने का प्रयास कर रही है। डॉ पात्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ‘घर-घर राशन’ पहुंचाने की योजना पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को उचित ठहराते हुए दावा किया कि केंद्र सरकार ने ऐसा कर एक बड़ा घोटाला होने से बचा लिया जो दिल्ली की जनता के लिए बहुत राहत का विषय है। उन्होंने कहा कि ‘घर-घर राशन’योजना के जरिए दिल्ली सरकार की मंशा गरीबों के नाम पर मिले राशन को डायवर्ट कर घोटाला करने की थी।
डॉ पात्रा ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल जी दुष्प्रचार कर दिल्ली की जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं कि केंद्र सरकार दिल्ली की गरीब जनता को उनके अधिकार से वंचित रख रहें हैं और घर-घर राशन रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं हैं। केंद्र सरकार द्वारा नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्य योजना द्वारा देश के अन्य राज्यों की तरह दिल्ली में भी जरूरत मंदों को राशन पहुंचाया जा रहा है। डॉ पात्रा ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिल्ली की करीब 72.78 लाख जनता को अभी तक नेशनल फूड सेक्यूरिटी एक्ट के अंतर्गत 37,400 मीट्रिक टन अनाज भेजा है जबकि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत मई और 5 जून तक 72,782 मीट्रिक टन अनाज भेजा है। लेकिन दिल्ली सरकार अभी तक मात्र 53,045 मीट्रिक टन अनाज ही उठा पाई है और इसका मात्र 68 प्रतिशत ही वो जनता को बांट पाई है। डॉ पात्रा ने केंद्र और दिल्ली सरकार के अनाज वितरण पर तुलनात्मक प्रकाश डालते हुए कहा कि नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के अंतर्गत गेहूं पर केजरीवाल सरकार दिल्ली की जनता को मात्र 2 रुपये प्रति किलो देते हैं जबकि केंद्र सरकार 23.73 रुपये प्रति किलो देती है जबकि गेंहू का बाजार दर 25.73 रुपया है। चावल पर केजरीवाल सरकार मात्र 3 रुपये प्रति किलो देती है जबकि केंद्र सरकार 33.79 रुपये प्रति किलो देती है । इससे स्पष्ट है कि अनाज पर अधिकांश अदायगी केंद्र सरकार करती है जबकि दिल्ली सरकार का इसमें योगदान बिल्कुल न्यूनतम है.नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट पूरे देश में एक समान नीति से कार्यान्वित है और कोई भी राज्य सरकार इसे न तो बाधित कर सकती है और न ही इसी स्कीम से कोई अन्य स्कीम निकाल कर उसे लागू कर सकती है. अरविंद केजरीवाल यदि इसके अतिरिक्त भी राशन बांटना चाहते हैं, तो इसके लिए वो राशन खरीद सकते हैं। जो नोटिफाइड रेट हैं, उस पर राशन खरीदा जा सकता है। इस पर किसी प्रकार की आपत्ति केंद्र सरकार को या किसी को नहीं होगी।
डॉ पात्रा ने कहा कि केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन राशन कार्ड का प्रावधान किया था, जिसे अन्य राज्य भीअपने स्तर पर इसे आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन दिल्ली की सरकार ने इस विषय पर आगे बढ़ने से मना कर दिया, जिस कारण हजारों मज़दूर आज राशन लेने से वंचित रह गये हैं जबकि इस प्रावधान पर दिल्ली सरकार बिना कोई पैसा खर्च किये आगे बढ़ सकती थी डॉ पात्र ने कहा कि देश की राजधानी दिल्ली में में राशन वितरण के लिए आधार कार्ड प्रमाणीकरण की कोई व्यवस्था नहीं है और न ही इलेक्ट्रॉनिक प्वाइंट ऑफ सेल (ई-पीओएस) कम्प्यूटरीकृत प्रणाली लागू है जबकि छोटे से छोटे राज्यों में भी दोनों व्यवस्था लागू है। डॉ पात्रा ने सवाल किया कि राशन उचित व्यक्ति तक पहुंच रहा है कि नहीं यह कैसे पता चलेगा? यह तो मालूम ही नहीं हो पायेगा कि राशन किसको दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दरअसल, केजरीवाल राशन को डायवर्ट कर बहुत बड़ा घोटाला करना चाहते थे। जिस व्यक्ति तक राशन पहुंचना चाहिए उस व्यक्ति तक न पहुँच कर न जाने किसके पास पहुंच जाता। न आधार कार्ड प्रमाणीकरण है और न ही ई-पीओएस व्यवस्था। यदि केंद्र सरकार ने इस योजना को हरी झंडी दे दी होती तो दिल्ली की जनता को आठ से दस गुना ज्यादा दर पर गेहूं और चावल मिलता।
डॉ पात्रा ने राशन की दुकानों को केजारीवाल द्वारा ‘सुपरस्प्रेडर’ बताने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि धरने पर बैठे तथाकथित किसान उन्हें सुपरस्प्रेडर नहीं लगते लेकिन दुकानदार उन्हें सुपरस्प्रेडर लगते हैं। डॉ पात्रा ने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दरअसल, अरविंद केजरीवाल जी के काम करने के तरीका का ABCDEF है जिसका मतलब है, A-Advertisement, B-Blame, C-Credit, D-Drama,E-Excuse और F-Failure. केजरीवाल जी को यह ड्रामा बंद कर देना चाहिए, क्योंकि दिल्ली की जनता सब जानती है। उन्होंने आरोप लगाया कि केजरीवाल जी विज्ञापन, दोषारोपण, श्रेय लेने, नाटक करने और बहाने बनाने की राजनीति करते हैं तथा इस वजह से कोरोना संकट के दौरान वह ऑक्सीजन, बिस्तर, वेंटिलेटर सहित अन्य जरूरी सामान दिल्ली की जनता तक पहुंचाने में पूरी तरह विफल रहे।
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