अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: आपको पूरी क्रोनोलॉजी समझनी होगी कि कैसे बेटी बचाओ का फर्जी नारा गढ़ने वाली सरकार का असली मकसद “अपराधी बचाओ” है। एक नाबालिग पहलवान लड़की ने बाहुबली बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण के खिलाफ POCSO की शिकायत दर्ज कराई, लेकिन अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने एफआईआर तब दर्ज की जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई। अपराधी को तत्काल अरेस्ट करने की जगह पुलिस, सरकार के मंत्री सब एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं उस बेटी को झूठा साबित करने के लिए। नियम के अनुसार POCSO की शिकायत पर आरोपी को तुरंत हिरासत में लिया जाता है। लेकिन बृजभूषण शरण सिंह सरेआम घूम रहा था, दबाव बना रहा था, मीडिया को इंटरव्यू दे रहा था, ओलंपिक मेडल की कीमत 15 रुपए बता रहा था, गुड टच-बैड टच पर ज्ञान दे रहा था, लोकसभा चुनाव लड़ने की दावेदारी ठोंक रहा था।
सोचिए, 10 मई को नाबालिग बच्ची ने शिकायत दर्ज कराई। गत 5 जून को खबर आई कि बच्ची ने केस वापिस ले लिया है। जिस दिन नाबालिग पहलवान बेटी का बयान बदलवाया गया, उसी दिन साफ़ हो गया था कि पूरा तंत्र बाहुबली बृज भूषण को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। और आज दिल्ली पुलिस के 550 पन्नों की चार्जशीट से ये बात साबित भी हो गई। आख़िर कैसे कोई बेटी इस निर्लज्ज सरकार के अहंकार के आगे टिक सकती है?जिस तरीके से इस मामले में दिल्ली पुलिस ने काम किया है क्या अब कोई भी परिवार किसी अपराधी, बाहुबली के ख़िलाफ़ इंसाफ़ माँगने की हिम्मत जुटा पाएगा?नाबालिग के केस में एफआईआर होने के 1 महीने बाद तक गिरफ़्तारी क्यूँ नहीं की गई?क्या इसी न्यू इंडिया का प्रचार हमारे प्रधानमंत्री और उनकी सरकार कर रही है जहां बहन-बेटियों को इंसाफ दिलाना नामुमकिन हो गया है?हमें विश्वास है कि देश की न्यायपालिका मामले का संज्ञान लेगी और पहलवान बेटियों को इंसाफ दिलाएगी।
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