Athrav – Online News Portal
दिल्ली नई दिल्ली राजनीतिक राष्ट्रीय वीडियो

उधार लो औऱ आगे बढ़ो, उधारी पर धंधा चमकाओ, अपने पैसों से धंधा नहीं, एशिया के सबसे अमीर आदमी बन जाओ -कांग्रेस

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता प्रो. गौरव वल्लभ ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा-पीएम मोदी एंड कंपनी का एक मंत्र है- बॉरो एंड कॉन्कर (Borrow and Conquer)। साथियों , हम में से कई लोग कभी-कभी बिजनेस करने का सोचते है, कई लोग सोचते हैं औऱ सबसे बड़ी अड़चन आती है, पूंजी की, क्योंकि हम लोग मध्यम आय वर्गीय या निम्न आय वर्गीय परिवारों से संबंध रखते हैं, तो पूँजी नहीं होती तो हमारे पास एक अच्छा आईडिया होने के बावजूद भी हम उस बिजनेस को शुरु नहीं कर पाते हैं, पर मोदी जी का एक मंत्र है, अपने दोस्तों के लिए। वो स्कीम आपके लिए, मेरे लिए, 140 करोड़ देशवासियों के लिए नहीं है। वो सिर्फ 2-3 लोगों के लिए है- उधार लो औऱ आगे बढ़ो। उधारी पर धंधा चमकाओ, अपने पैसों से धंधा नहीं, एशिया के सबसे अमीर आदमी बन जाओ, अपने पैसों से नहीं, उधारी पर। आज की प्रेस वार्ता उसी पर केंद्रित है।

साथियों, पहले मैं मोदी जी के मित्र पर आऊँ, उससे पहले उधारी का काम जो भारत सरकार ने किया, उसका एक आंकड़ा आपके सामने रखता हूँ औऱ जब ये आंकड़ा मैंने भारत सरकार के बजट में देखा, तो तीन बार मैंने उसे पढ़ा, तो मुझे लगा कहीं न कहीं कोई गलती है, पर उसमें कोई गलती नहीं थी। 2014 में हिंदुस्तान की सरकार पर उधारी थी, 55.9 लाख करोड़ रुपए की और 2023 में सरकार पर उधारी, बजट में लिखा है सरकार ने कि वित्तीय वर्ष 2023 में उधारी, 55.9 लाख करोड़ से बढ़कर 152.17 लाख करोड़ हो जाएगी, अर्थात् 2014 में हर हिंदुस्तानी पर सरकार के लिए कर्ज के कारण कर्जा था, 43,124 रुपए, Rs. 43,124 was per capita debt on each one of us in 2014 and as per Government of India, in 2023 It is expected to increase per capita debt from Rs 43,124 to Rs 1,09,000. 43,124 रुपए प्रति हिंदुस्तानी पर जो 2013-14 में कर्ज था, वो वित्तीय वर्ष 2023 में बढ़कर 1,09,000 रुपए हो जाएगा। मतलब पिछले 8 सालों में मोदी जी के कुप्रबंधन के कारण प्रति हिंदुस्तानी पर कर्ज 152 प्रतिशत बढ़ गया है।

43,124 से 1,09,000 रुपए, ऐसा कर्ज हमारे ऊपर है, जो हमने नहीं लिया, हमारे बावत सरकार ने ले लिया, उस कारण हमारे ऊपर आ गया है। 152 प्रतिशत इस कर्ज में बढ़ोतरी हुई है। ये तो है सरकार का मॉडल। अब सरकार का मॉडल है तो उनके यार भी ये मॉडल काम में लेंगे। अब उन्होंने क्या मॉडल काम में लिया है, उसके बारे मे न्यूयार्क की क्रेडिट रिसर्च फर्म, क्रेडिट साइट ने अपना एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश की है, उसके अनुसार सरकार के जो, हम दो, हमारे दो के नंबर -1 व्यक्ति, उनके ऊपर 2,30,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। अडानी ग्रुप के ऊपर कुल कर्ज, 2,30,000 करोड़ रुपए का है। अब सवाल ये उठता है कि कौन ये कर्ज अडानी ग्रुप को दिलवा रहा है, उसका ब्यौरा भी लाया हूँ कि स्टेट बैंक का कितना है औऱ दूसरे प्राईवेट बैंकों का कितना है, विदेशी बैंको का कितना है, सारी बातें करेंगे। तो क्रेडिट रिसर्च फर्म, क्रेडिट साइट के अनुसार ग्रॉस डैट अडानी ग्रुप के ऊपर 2.3 ट्रिलियन है। 2.3 ट्रिलियन रुपए मतलब, 2,30,000 करोड़ रुपए हो गया औऱ ये रिपोर्ट आगे क्या कहती है औऱ बहुत महत्वपूर्ण बात इस रिपोर्ट ने कही है, वो कहती है कि अडानी ग्रुप overly-leveraged है। मतलब कर्ज में दबा हुआ है, फिर भी नया कर्ज मिलता जा रहा है। वो रिपोर्ट आगे ये कहती है कि अडानी ग्रुप को नए और अनरिलेटेड बिजनेसेज़ में जाने से बचना चाहिए, ये बड़ी रिस्क है उसके ऊपर। अनरिलेटेड बिजनेस अब तो आप देख लीजिए, धरती, आकाश, पाताल, वायु, अग्नि, पांचों में कोई भी बिजनेस है हिंदुस्तान में, उसके अंदर अडानी ग्रुप है, और क्यों है, वो आप और मैं और देश के सभी लोग जानते हैं।

अब ये कहते हैं कि अडानी ग्रुप अपनी जेब से कैपिटल नहीं लगा रहा, ये रिपोर्ट कह रही है, ये हमारा आंकड़ा नहीं है, ये हम नहीं कह रहे कि अडानी ग्रुप कर्ज में दबा हुआ है, ये रिपोर्ट कह रही है कि अडानी ग्रुप अनरिलेटेड बिजनेस कर रहा है, जिसका उसको कोई अनुभव नहीं है। ये रिपोर्ट कह रही है कि अडानी अपनी पर्सनल इक्विटी कैपिटल, अपने ग्रुप्स में इंजेक्ट नहीं कर रहा। आगे ये रिपोर्ट कहती है और इस रिपोर्ट के हवाले से मैं पूरी बात कर रहा हूँ कि 2020 से 2022 के बीच अडानी ग्रुप ने 48 हजार करोड़ रुपए का कर्जा लिया, डेढ़ साल के अंदर। अप्रैल 2020 से जून 2022 के मध्य, दो साल के अंदर 48 हजार करोड़ का कर्जा लिया, जिसमें से मात्र स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से 18,770 करोड़ रुपए का कर्जा लिया। रिपोर्ट कह रही है कि कर्ज में दब रहा है, रिपोर्ट कह रही है कि नए और जिन बिजनेसेज का अनुभव नहीं है, उसमें ग्रुप जा रहा है, रिपोर्ट कह रही है कि बिजनेस में ग्रुप को अपनी स्वयं की कैपिटल लगाने की जरुरत है, पर स्टेट बैंक ने उसी दौरान 18,770 करोड़ रुपए का कर्जा 2020 से 2022 के मध्य दिया। अर्थात् 2020 से 2022 के मध्य जो अडानी ग्रुप ने कर्जा लिया, उसका 40 प्रतिशत कर्जा तो सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने दिया और बाकी 14 ग्लोबल प्राईवेट बैंक्स ने दुनिया के सारे बड़े 14 बैंको ने मिलकर, जिसमें जापान के बैंक, अमेरिका के बैंक, सिंगापुर के बैंक, ऑस्ट्रेलिया के बैंक, स्विटजरलैंड के बैंको ने, सबने मिलकर 60 प्रतिशत दिया, पर हमारे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने, अकेले ने उसे 40 प्रतिशत दे दिया। अभी ये बात खत्म नहीं हुई, अब ये कह रहे हैं, ये रिपोर्ट कह रही है कि इसके कारण भारतीय बैंकों के ऊपर भयंकर रिस्क है। बड़ी रिस्क है, बैंकों के ऊपर इस कर्जे के कारण औऱ इस रिपोर्ट के अनुसार अडानी एंटरप्राईज और अडानी ग्रीन एनर्जी ने जिनके ऊपर 94,400 करोड़ रुपए का कर्ज है, आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वह अपना जो ब्याज का खर्चा है, जो उनका टैक्स के बिफोर अर्निंग है, उस ब्याज का मात्र डेढ़ गुना टैक्स के बिफोर की अर्निंग के रूप में कमाते हैं।

फिर ये रिपोर्ट आगे कहती है कि आने वाले समय में इनके नए बिजनेसेज में प्रॉफिट नहीं होगा। ये मैं नहीं कह रहा, ये रिपोर्ट कह रही है औऱ जब प्रॉफिट नहीं होगा, तो या तो बैंको को इनको और कर्ज देना पड़ेगा, या बैंको का कर्ज डूब जाएगा, आने वाले समय में क्योंकि ये नया-नया बिजनेस करते हैं। अब इस रिपोर्ट में आगे कहा जा रहा है कि इसके कारण अडानी ग्रुप एक मैसिव डैट ट्रैप (कर्ज के गर्त में) के अंदर जा चुका है और इस रिपोर्ट के अंतिम पैराग्राफ में जो लाइन लिखी है,वो मैं अक्षरशः आपको पढ़कर सुनाता हूँ। Gautam Adani also enjoys healthy relationship with ruling modi administration. ये As it is verbatim सुना रहा हूँ, आपको। Mr. Adani and Indian Prime Minister Mr. Narendra Modi know each other well, going back to the later’s days as the Chief Minister of the Gujarat state. ये इस रिपोर्ट में लिखा गया है।

पूरा 2,30,000 करोड़ का कर्जा है। पिछले दो सालों में आपने दो मेजर कर्जा लिया, उसमें से 40 प्रतिशत सिर्फ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से लिया। आप नए बिजनेस में जा रहे हो, जिसके कारण इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले समय में उन बिजनेसेज में उतनी प्रॉफिटेबिलिटी नहीं रहेगी, तो बैंको से और कर्जा लेने की जरुरत पड़ेगी, या बैंकों को आप कर्जा या ब्याज चुकाने में असमर्थ हो जाओगे। ध्यान रहे, याद रहे कि 23 जून, 2022 को मैंने एक और प्रेस वार्ता की थी, आपको याद होगा, जब श्री लंका के प्रेसीडेंट के ऊपर मोदी जी का प्रेशर गया था कि वह रिन्यूअल एनर्जी पावर के प्रोजेक्ट हैं, वो अडानी को अलॉट करें। ये हमने नहीं कहा, ये श्री लंका के स्टेट ऑन्ड सीलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के चेयरमैन ने ये बात कही है, अभी तक उसके बारे में, किस तरह उस इशू को खत्म किया गया, चेयरमैन साहब के ऊपर दबाव डाला गया कि नहीं दबाव डाला गया, उन्होंने अपने शब्द वापस लिए।

गौरतलब है कि 2014 में जैसे ही मोदी जी सरकार में आए तो एसबीआई ने अडानी ग्रुप को एक बिलियन डॉलर कर्ज देने का इन्प्रिंसीपल एग्रीमेंट बनाया और उसको वापस लेना पड़ा था, After constant protest, एसबीआई ने उस एमओयू को स्क्रैप किया, फिर 2020 में एसबीआई ने अडानी के कार्मिशियल कोल प्रोजैक्ट, जो ऑस्ट्रेलिया में है, उसको 5 हजार करोड़ का लोन देने की फिर पेशकश की, पर इंवेस्टर्स का प्रेशर आया तो वो लोन भी स्टक हुआ, अभी इसमें क्या अपडेट है, उसके बाद किसी को कुछ नहीं पता है और जो लेटेस्ट गिमिक हुई है, जो लेटेस्ट गिमिक की है इन्होंने, वो है 29.19 प्रतिशत एक टीवी चैनल में…, क्योंकि अडानी तो सब जगह है, धारावाहिक से लेकर न्यूज तक, कोल से लेकर हवाई जहाजों तक, हवाई अड्डों की निगरानी से लेकर पोर्ट तक, मतलब आप सोचिए, आपके दिमाग में बिजनेस सोचिए उसमें आपको मिलेगा, अडानी और वो पिछले 8 साल में किस तरह प्रोस्पर कर रहा है और वो भी हमारे पैसों से, बैंक के पैसों से, जो कि हमारा पैसा है। अब इस मीडिया हाउस के हवाले से मैं खबर दे रहा हूँ कि बिना कंसेंट के, बिना बातचीत के, बिना फाउंडर के इंफोर्मेशन और अप्रूवल के 29.19 प्रतिशत स्टेक अडानी ग्रुप ने लीडिंग टीवी न्यूज चैनल में खरीदने की बात की और यहीं नहीं रुके, बोले 26 प्रतिशत और ओपन ऑफर्स से लेंगे। अब इस बावत हमारे तीन सवाल हैं, सरकार से-

पहला, वह कौन है सरकार में व्यक्ति जो बैकों के ऊपर दबाव डालता है, अडानी ग्रुप को कर्जा देने के लिए, क्योंकि कर्ज पर कर्ज बढ़ा जा रहा है। कैपिटल अपनी तरफ से अडानी ग्रुप लगा नहीं रहा है। कर्जे पर, बिजनेस पर बिजनेस किए जा रहा है, एक्वीजिशन पर एक्वीजिशन किए जा रहा है, वो कौन व्यक्ति है, जिसने एसबीआई को या अन्य बैंकों को अडानी ग्रुप को लोन देने का दबाव डाला? हम पूछना चाहते हैं, इसके कारण जो भारत की अर्थव्यवस्था पर जो ह्यूज रिस्क आया है, 2,30,000 करोड़ का ऋण है, total debt is 2.2 trillion, अगर हम मौजूदा यूएस डॉलर इंडियन रुपी की रेट लें, तो 2,30,000 करोड़ रुपया हो जाएगा। तो वो कौन लोग हैं, जो स्टेट बैंक पर दबाव डालते हैं, अडानी ग्रुप को कर्ज देने के लिए?

दूसरा, अभी जब अडानी ग्रुप के द्वारा एक मीडिया हाउस का होस्टाइल टेक ओवर करने का जो प्रयास किया जा रहा है और ले लिया, प्रयास क्या किया जा रहा है, ले लिया, सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया औऱ वित्त मंत्रालय क्यों खामोश है? क्यों वो इसकी जांच नहीं करवाता कि ये होस्टाइल टेक ओवर कैसे हुआ? कौन-कौन से सेबी के जो नोटिफिकेशन्स और सेबी के जो सर्कुलर्स है, उनका उल्लंघन हुआ है? वो क्यों मूकदर्शक बनकर बैठा हुआ है?

तीसरा कि जब एक फर्म, 2,30,000 करोड़ का कर्ज लेकर देश में काम कर रही हो, अगर वो फर्म डिफॉल्ट करती है, तो अर्थव्यवस्था पर जो दुष्प्रभाव उस डिफॉल्ट के कारण पड़ेगा, उसके लिए मोदी जी और वित्त मंत्रालय में निर्मला सीतारमण जी ने क्या तैयारी करके रखी है?

Related posts

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 86 उम्मीदवारों के लिस्ट जारी किए हैं- पढ़े

Ajit Sinha

अयोध्या स्थित भव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद आयोजित पहली भव्य दीपोत्सव -2024 में सीएम योगी ने की शिरकत -वीडियो देखें

Ajit Sinha

फरीदाबाद: एक कंपनी ऑक्सीजन सिलिंडर ब्लास्ट होने के कारण दो लड़कों की मौत-देखें वीडियो

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x