अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
श्रीमती सोनिया गांधी ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, आपकी अनुमति से मैं एक जरुरी मामले पर बोलना चाहती हूं,जो हमारे देश के सामूहिक भविष्य को प्रभावित करता है। महामारी शुरु होने के बाद से हमारे बच्चों को, जो हमारा भविष्य हैं, उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। देश की सभी संस्थाओं में से स्कूल ही सबसे पहले बंद हुए थे और सबसे आखिर में खुले हैं। जब स्कूल बंद हुए थे तो मिड-डे-मील की व्यवस्था भी रुक गई थी। ये तो राष्ट्रीय फूड सिक्योरिटी एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश थे जिनके कारण लोगों को सूखा राशन दिया गया, लेकिन बच्चों के लिए सूखा राशन, पके हुए पौष्टिक भोजन का कोई विकल्प नहीं है।
ये सच है कि हमारे बच्चों के परिवारों की आजीविका को बहुत बुरे संकट का सामना करना पड़ा है। ऐसा संकट जिसका सामना बीते वर्षों में कभी नहीं हुआ था। लेकिन अब जैसे-जैसे बच्चे स्कूलों में वापस आ रहे हैं, उन्हें और भी बेहतर पोषण की आवश्यकता है। यही नहीं, मिड-डे-मील से उन बच्चों को वापस स्कूल लाने में भी मदद मिलेगी, जो इस महामारी के दौरान स्कूल छोड़ चुके हैं।
अध्यक्ष जी, नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे 2019-21 के अनुसार हाल के वर्षों में 5 वर्ष से कम आयु के वो बच्चे, जो बेहद कमजोर हैं, उनका प्रतिशत 2015-16 की तुलना में बढ़ा है। ये चिंताजनक है और इसे रोकने के लिए सरकार को हर संभव प्रयास करना चाहिए। इसलिए अध्यक्ष जी, मैं आपके माध्यम से केन्द्र सरकार से आग्रह करती हूं कि आईसीडीएस (ICDS) कार्यक्रम के तहत गरम और पका हुआ भोजन फिर से शुरु किया जाए और मिड–डे–मील को भी तुरंत शुरु किया जाना चाहिए। पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करने के वाजिब प्रावधान किए जाने चाहिए और साथ ही आंगनबाडियों के माध्यम से गरम, पका हुआ भोजन तीन साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी उपलब्ध होना चाहिए और इसके लिए कम्यूनिटी किचन शुरु करने का प्रावधान करना चाहिए। तो अध्यक्ष जी, मैं उम्मीद करती हूं कि इसे जल्दी से जल्दी लागू किया जाएगा।
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