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ब्रेकिंग न्यूज़: कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर किया पलटवार।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: कांग्रेस प्रवक्ता श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि अभी दो मिनट पहले ही देश के गृहमंत्री, अमित शाह जी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेपी नड्डा ने एक प्रेस वार्ता की। 44 मिनट लंबी इस प्रेस वार्ता का उद्देश्य क्या था, मकसद क्या था, क्यों की गई, ये मेरी समझ से बाहर है, लेकिन पिछले 56 दिन, जबसे आचार संहिता लागू हुई, चुनावों का अनाउंसमेंट हुआ, जो 56 इंच की छाती की बात करते थे और 5,600 झूठ बोले, उनको शायद इस प्रेस वार्ता की जरुरत नहीं पड़ती, लेकिन इसकी जरुरत शायद इसलिए पड़ी, क्योंकि बौखलाहट साफ नजर आ रही है। एक अंग्रेजी में शब्द होता है, last ditch effort, कुछ तो करके, कुछ तो वोट आ जाएं, लेकिन वोट आने वाले नहीं हैं।

मैं मूलत: दो-तीन चीजों पर ही टिप्पणी करना चाहूंगी, कांग्रेस पार्टी के प्लेटफार्म से क्योंकि उत्तर प्रदेश के बारे में बहुत सारी बातें बोली गई और गृहमंत्री ने स्वयं अपने मुँह से ये बातें बोली इसलिए मेरा सीधा सवाल उनसे ये है कि जब वो उत्तर प्रदेश के लॉ एंड ऑर्डर पर योगी जी का गुणगान करते हैं, योगी जी की जय-जयकार करते हैं, तो वो क्या कहेंगे आशा सिंह जी की आंख में आंख डालकर, जिसके पति को मारने का, जिसकी बेटी के साथ बलात्कार करने का काम इन्हीं के विधायक ने किया था और वो आरोपी नहीं, दोषी पाया गया? वो क्या कहेंगे पूनम पांडे को, हमारी उस प्रत्याशी को जो आशा बहू थी और जब वो मानदेय की मांग करने गई, तो उसको जूतों से कुचला गया? वो क्या कहेंगे सदफ जाफर को जो एक स्वतंत्र देश में अपनी आवाज उठाती हैं एक नीति के खिलाफ और उसको जेल में बंद कर दिया जाता है? पर सबसे ज्यादा अमित शाह जी, हम आपसे एक ही बात पूछना चाहते हैं, आप क्या कहेंगे उन किसान परिवारों को, लखीमपुर के जिनका हत्यारा, जिसने नरसंहार किया, आज वो आजाद आसमान के नीचे घूम रहा है और उसके पिता को आप गृह राज्यमंत्री बनाकर अपनी बगल में, गोदी में बैठाकर चुनावी सभाएं करते हैं? तो लॉ एंड ऑर्डर की उत्तर प्रदेश में बात करने से पहले आप इन मूल सवालों का जवाब जरुर दे दीजिए।

दूसरा, नड्डा जी ने भी कहा और उस बात को अमित शाह जी ने भी कहा कि हमने ये डेवलपमेंट पर चुनाव लड़ा है, हमने विकास की मुद्दे की बात है। इतना ही विकास था तो आपको अमेरिका की सड़कें, पश्चिम बंगाल के पुल, आंध्र के बांध और चीन के हवाई अड्डे ना दिखाने पड़ते। अगर इतना ही विकास किया होता तो स्तरहीन ओछी भाषा का प्रयोग चुने हुए मुख्यमंत्रियों और प्रधानमंत्री जी को इसमें करना पड़ा, ना करना पड़ता और सबसे बड़ी बात तो ये है आपने कहा कि तुष्टिकरण हम नहीं करते हैं। आपसे ज्यादा तुष्टिकरण दूसरा कोई नहीं करता है। अमित शाह जी ने कहा किसी छुटपुट आदमी ने काशी-मथुरा की बात की होगी। जी नहीं, डिप्टी चीफ मिनिस्टर, उप मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, केशव प्रसाद मौर्य, अमित शाह जी के बहुत चहेते उन्होंने ये बात की थी। तो या तो वो छुटपुट व्यक्ति हैं या अमित शाह जी को समझ में आ गया कि गर्मी का, चर्बी का, 80-20 का, अब्ब जान का, कब्रिस्तान का इनका क्या मतलब था इस चुनाव में। ये चुनाव गर्मी-चर्बी नहीं, जैसे कि मेरी नेता कहती हैं, ये चुनाव मूलत: भर्ती पर था, आपने उसकी बात नहीं की।

आपने कहा हमने बहुत विकास कर लिया उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश का अंतिम चरण बाकी है, 70 लाख नौकरियाँ आप लोगों ने कही थी। आपने उसमें से कितनी नौकरियां बनाई, बस यही बता दीजिए, बाकी सब बातें जुबानी जमा खर्च है। तो कहीं पर झूठ बोलना और ये सोच कर निकल जाना कि दुनिया इस प्रेस वार्ता के माध्यम से कन्विंस हो जाएगी, गलत है क्योंकि पांचों राज्यों के चुनावों के मुद्दे तीन ही थे – बेरोजगारी, कमर तोड़ महंगाई और किसानों का शोषण और उन सब पर आपका स्कोर निल बटे सन्नाटा है, क्योंकि बेरोजगारी का ये आलम है कि आप रोजगार के बारे में बात नहीं करते हैं और महंगाई का ये आलम है कि आदमी ये डर रहा है कि आज पेट्रोल भरवाऊँ या सात तारीख को भराऊँ या 10 तारीख को भराऊँ क्योंकि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दामों में तो लगने वाली आग है और आप इधर-उधर, येन- केन-प्रकारेण करके कहीं और ब्लेम करना चाहेंगे।

अंत में हम सिर्फ इतना कहना चाहते हैं कि दो-तीन बार एक शब्द का प्रयोग किया गया। वो शब्द था ‘रिस्पोंसिव कैंपेन’। हमने बड़े वैज्ञानिक तरह से कैंपेन चलाया। अमित शाह जी, जेपी नड्डा जी आपको इस देश ने बहुमत ये सोच कर दिया था कि आप एक रिस्पॉन्सिव गवर्मेंट चलाएंगे, रिस्पॉन्सिव कैंपेन चलाना आपकी पार्टी का काम है। रिस्पॉन्सिव कैंपेन का क्या ढोल तमाशा बजा रहे हैं आप। आपको चलानी रिस्पॉन्सिव गवर्मेंट थी, जो आपने नहीं चलाई और आपकी थेथरई और बेशर्मी इस हद की थी कि जब आपसे यूक्रेन पर सवाल पूछा गया और आपने कहा कि हाँ, इसका सकारात्मक प्रभाव और असर पड़ेगा चुनावों पर। वो बच्चे जो फंसे हुए हैं, जिनकी चीत्कार और जिनके आंसू देखकर आज भी रोंगटे खड़े हो रहे हैं, वो बच्चे बर्फ गला कर पानी पीने को मजबूर हैं, वो बच्चे जो किलोमीटर दर किलोमीटर 6-6 लीटर पानी अपनी पीठ पर लाद कर चल रहे हैं, जो युद्ध जोन में फंसे थे, आपने उनको निकालने का काम बिल्कुल नहीं किया। वो अपने आप रिस्क लेकर युद्ध जोन से निकल कर आस-पास के बॉर्डर तक पहुंचे, वहाँ से आपके विमान उनको वापस ला रहे हैं, वो टिकट खरीद कर भी आ सकते थे और यही नहीं, आपने उन बच्चों से जबरन नारे लगवाने का काम किया, उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने भारत माता का नारा लगाया, लेकिन मोदी जी का जयकारा नहीं लगाया। आपकी मंत्री वहाँ जाकर तीन भाषाओं में बोलती हैं, बच्चों ने तालियां नहीं बजाई। आपकी दूसरी मंत्री हाथ जोड़कर खड़ी रहती हैं, बच्चों ने उधर देखना लाज़मी नहीं समझा। आपके मंत्री को रोमानिया के मंत्री ने खरी-खोटी सुनाई, वहाँ जाकर झूठ बोलने के लिए और जिन बच्चों से कहा गया, जो पहले टॉयलेट साफ करेगा, वो हिंदुस्तान पहले जाएगा। आपको लगता है ये सकारात्मक प्रभाव दिखाएगा? इसको राजनीति से जोड़कर बात करना ही तो आपकी सबसे बड़ी कमजोरी है और आपकी सबसे बड़ी मजबूरी है।हम लोग ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, कुछ गरीब परिवारों का यहाँ पर जिक्र हुआ था। इस देश में 15 करोड़ गरीब परिवार, मैं परिवारों की बात कर रही हूं, लोगों की नहीं। 15 करोड़ गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनकी आय आधी हो गई। आपने उनको झुनझुना दिया फ्री राशन का। वो आपकी बदौलत नहीं है, वो आप अपने घर से लाकर नहीं दे रहे हैं। वो देना आपका धर्म है, आपका कर्तव्य है, नीति है फूड सुरक्षा अधिनियम के तहत। अंत में मैं इतना कहूंगी मैं शुक्रगुजार हूं उत्तर प्रदेश की उस स्वाभिमानी जनता की और प्रियंका गांधी जी के जज्बे की और साहस की, जिन्होंने मोदी जी को आड़े हाथों लिया, जब उन्होंने एक वृद्ध महिला को अपने नमक खाने की दुहाई देकर वोट मांगने की गंदी और घिनौनी राजनीति की और अंत में मोदी जी को नाक रगड़ कर माफी मांगनी पड़ी और ये कहना पड़ा नमक जनता ने नहीं, उन्होंने जनता का नमक खाया है। ये उत्तर प्रदेश के स्वाभिमान की जीत है और कांग्रेस पार्टी की नीतियों की और हमारे नेताओं की, विशेषतौर से प्रियंका जी की जीत है, जिन्होंने लगातार हिम्मत बांध कर पूछने की जरुरत समझी मोदी जी से कि आखिर आपने ऐसा कहा कैसे? मुझे ऐसा लगता है कि ये जो प्रेस वार्ता हुई है और इससे पहले जो योगी जी ने की, ये सब जुबानी जमाखर्च है, जो हम लोगों ने पूरे कैंपेन के दौरान देखा। जनता ने इनके सांसदों को, इनके विधायकों को गांव में घुसने की अनुमति नहीं दी है, तो सूपड़ा साफ होने वाला है और ये एक तूफान से पहले की जो शोर मचाने की कोशिश होती है सन्नाटे में, उसी की एक साजिश लगती है, क्योंकि 56 दिनों में ऐसी कोई बात नहीं की गई, ऐसे कोई काम नहीं किए गए, जिससे चुनाव थोड़े बहुत भी इनके फेवर में पांचों राज्यों में जाता हुआ दिखे। एक प्रश्न के उत्तर में श्रीमती सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि क्योंकि उन्होंने इस बात का उल्लेख किया और आपने इस बात का जिक्र किया अगर प्रधानमंत्री जी ने एक्सटेंसिव कैंपेन की और ये पांचो राज्यों का चुनाव उनके चेहरे पर लड़ा जा रहा था, तो जब भाजपा पांचो राज्यों में बुरी तरह से शिकस्त पाएगी, तो क्या भाजपा के नेता गृहमंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा जी अगली प्रेस कांफ्रेंस अपने ऑफिस में करके ये मानेंगे कि ये उनकी नहीं, मोदी जी की हार है, क्योंकि जिन नीतियों का वो जिक्र करते हैं, उन्हीं नीतियों के चलते इस देश में लोग बेरोजगार हैं। उन्हीं नीतियों का परिणाम है कि पेट्रोल सौ के पार है और रसोई गैस हजार पर है और लोगों में टकटकी लगी हुई है कि आज नहीं तो कल पेट्रोल-डीजल की कीमतों में जबरदस्त आग लगने वाली है। उन्हीं नीतियों का अंजाम है कि लखीमपुर में नरसंहार के बाद वो मंत्री बना रहता है, अजय मिश्र टेनी और उसके लड़के को बेल मिल जाती है, किसान लेकिन अभी भी गिरफ्तार है। इन्हीं नीतियों का परिणाम है कि 15 करोड़ परिवारों की आय आधी हो गई और इनके 2,4 पूंजीपति मित्रों की आय 23 लाख करोड़ से बढ़कर 53 लाख करोड़ पर पहुंच गई। कौन सी नीतियों की बात करते हैं? क्या ये उन नीतियों की बात करते हैं, जिसमें ये झुनझुना देते हैं, 5 किलो राशन का? ये खाद्य सुरक्षा बिल है, आपको करना ही पड़ेगा, इसलिए सरकारें चुनी जाती हैं। जो नमक आपने दिया और मैं यहाँ पर बैठकर अकेले बात नहीं करती हूँ, मैं गांव-देहात में रहती हूँ, वहाँ से घूमकर आती हूँ। ढाई महीने बाद आई हूं, वहां पर लोग कहते हैं कि नमक की जगह, रेत और बालू दी जा रही है। जिस झुनझुने को आपने चुनाव तक रखा है, वो आपका कर्तव्य है, करना। तो अगर प्रधानमंत्री मोदी जी के नाम पर ये चुनाव लड़ा गया है, तो फिर तो हार भी उन्ही की होनी चाहिए।

Sd/-

Secretary

Communication Deptt.

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