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ब्रेकिंग न्यूज़: मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, वर्ष 2022 का यह बजट सिर्फ अमीरों के लिए है, इसमें गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है।

नई दिल्ली: राज्यसभा के एलओपी मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा के उपनेता आनंद शर्मा ने आज संसद भवन में मीडिया को संबोधित किया।
अजीत सिन्हा / नई दिल्ली
मल्लिकार्जुन खरगे ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2022 का यह बजट सिर्फ अमीरों के लिए है, इसमें गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है। जो चीजें पहले उन्होंने कही थी, फिर इसको दोबारा रिपीट किया है। खासकर मैं आपको बताऊंगा कि गरीबों के जो कार्यक्रम पहले थे हाउसिंग का, उन्होंने ये कहा था कि चार करोड़ मकान हम 2022 तक बनाएंगे। तो कल की तो रिपोर्ट में और आज की रिपोर्ट में भी यही है कि सिर्फ 2 करोड़ मकान वो बना चुके हैं। फिर उन्होंने वायदा किया हैं कि 80 लाख मकान बनाएंगे। तो ये जो वायदे उनके हैं, ये वायदे सब एक के बाद एक झूठ होते जा रहे हैं।

मैं और भी ये कहूंगा कि फिस्कल डेफिसिट के बारे में भी जो उन्होंने कहा है, वो अभी भी बहुत ज्यादा ही है और जब ज्यादा रहती है फिस्कल डेफिसिट, नेचुरली उतना ही कर्जा भी बढ़ता है और उसके बाद में उनकी जो योजना है, जो डिनेशनलाइज करने की, डिसइनवेस्टमेंट करने की, वो योजनाओं में भी जो फायदेमंद है एलआईसी जैसे, जो ऐसे संस्थानों को भी अगर वो डिनेशनलाइज करके प्राइवेटाइजेशन करें, तो एक तो एश्योर्ड जॉब चले जाएंगे और दूसरी तरफ गरीबों को मिलने वाला, जो रिजर्वेशन है, ये शिड्यूल्ड कास्ट के लिए हो, शिड्यूल्ड ट्राइब के लिए हो, बैकवर्ड क्लास के लिए हो और दूसरे वर्गों के गरीबों को मिलने वाला आरक्षण और नौकरी इसमें नहीं मिलेगी। तो ये भी जो उन्होंने कहा है कि आहिस्ता-आहिस्ता डिसइनवेस्टमेंट करने का, ये भी गलत है। जीडीपी ग्रोथ इस बार जो बता रहे हैं 9 प्रतिशत तक आएगी, ये कह रहे हैं, लेकिन पहले तो -7.3 प्रतिशत थी। तो वो सब अगर देखा जाए, तो उसमें कोई ज्यादा फर्क नहीं दिख रहा है और आगे बढ़ने की भी उसमें कोई चांसेस नहीं है।

एक और बात मैं कहना चाहता हूं कि सैलरीड पिपुल को डायरेक्ट टैक्स स्लैब में राहत नहीं दी गई, लेकिन जो कॉर्पोरेट टैक्स उन्होंने घटाया, ये क्यों? तो इसलिए मैं बोल रहा था कि ये अमीरों का बजट है और उन्होंने एक कोट भी किया, मैं सुन रहा था महाभारत का एक कोट उन्होंने सुनाया था – कि मैं समझता हूं कि महाभारत में ये द्रोणाचार्य और अर्जुन का बजट है, एकलव्य का नहीं है। तो मैं यही कहूंगा कि गरीब का बजट ये नहीं है और इस बजट से किसी को फायदा होने वाला नहीं है, जो पिछली चीजें थी, उनको रिपीट कर रहे हैं। यहाँ तक कि क्रिप्टो करंसी का भी उन्होंने जिक्र किया, जिसके बारे में कोई कानून नहीं, कुछ नहीं, सलाह नहीं, मशविरा नहीं। ऐसी बहुत सी चीजें उन्होंने की, वक्त आने पर वो बताएंगे। लेकिन आज मैं इतना ही बताऊंगा कि ये बजट गरीबों के लिए कुछ भी नहीं है, सिर्फ अपने दोस्त अमीर लोगों को फायदा करने के लिए, डिसइन वेस्टमेंट करने के लिए और इतने बड़े नियरली 40 लाख करोड़ में अगर आप ठीक ढंग से लोगों की मदद नहीं करेंगे, तो ये बहुमत है, हम कुछ भी करेंगे, तो चलेगा। ये जो एटिट्यूड है, ये देश के लिए गलत है।

Anand Sharma said- As the Leader of Opposition has already given the reaction. There were much expectations from this budget, especially for job creation, relief to the middle class and the poor, that has not happened, so the budget, I will term it as disappointing, high sounding words. It is high on optics, but low in outcomes. There is no relief when it comes to the government employees or the income tax payers. There is no road map for job creation, India’s economy continues to be struggling.By giving the number of GDP growth, you cannot take away the painful fact that in 2022 on 31st of March, we will be exactly where, if the government claims a correct, where we were two years ago, so they have been two lost year. There is nothing which is there for the informal sector, which is a driving engine for growth and employs 90 per cent of India’s work force. So, I will say, for the youth, for the poor, for the employees, there is not much.The disinvestment which Kharge Ji was referring to LIC, it compromises the social security of our citizens. It is people’s money. It is a big guarantee as far as social security is concerned, which will be diluted, we are opposed to that, but, the other disinvestment targets, which the government had set in the last budget, just to give you the number, there is a shortfall of 92 per cent. That is the shortfall of last year’s budget, disinvestment target. When it comes to the manufacturing, there is a gap of 24 per cent and in case of GDP, if you look at the reality; the gap is as big as 12 per cent. So these are the things, which will have to look into the details, or the finance bill, then only will be able to comment more on it and I am sure that our colleagues will be doing that.

Sd/-

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