अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
नई दिल्ली: रणदीप सिंह सुरजेवाला ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दोस्तों, आज एक महत्वपूर्ण विषय को लेकर हम आपके बीच उपस्थित हैं। पूरा देश देख रहा है, भगवान श्री राम के मंदिर का शिलान्यास, उसकी शुरुआत, भूमि पूजन की कार्यवाही कल 5 अगस्त, 2020 को अयोध्या में होगी। भगवान श्री राम के मंदिर निर्माण को लेकर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, उत्तर प्रदेश की प्रभारी, श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा द्वारा एक विशेष वक्तव्य, एक विशेष बयान जारी किया जा रहा है, मैं आपको वो बयान पढ़कर बता रहा हूँ।
“दुनिया और भारतीय उपमहाद्वीप की संस्कृति में रामायण की गहरी और अमिट छाप है। भगवान राम, माता सीता और रामायण की गाथा हजारों वर्षों से हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक स्मृतियों में प्रकाशपुंज की तरह आलोकित है। भारतीय मनीषा रामायण के प्रसंगों से धर्म, नीति, कर्तव्यपरायणता, त्याग, उदात्तता, प्रेम, पराक्रम और सेवा की प्रेरणा पाती रही है। उत्तर से दक्षिण, पूरब से पश्चिम तक रामकथा अनेक रूपों में स्वयं को अभिव्यक्त करती चली आ रही है। श्रीहरि के अनगिनत रूपों की तरह ही रामकथा हरिकथा अनंता है।” युग-युगांतर से भगवान राम का चरित्र भारतीय भूभाग में मानवता को जोड़ने का सूत्र रहा है। भगवान राम आश्रय हैं और त्याग भी। राम सबरी के हैं, सुग्रीव के भी। राम वाल्मीकि के हैं और भास के भी। राम कंबन के हैं और एषुत्तच्छन के भी। राम कबीर के हैं, तुलसीदास के हैं, रैदास के हैं। सबके दाता राम हैं। गांधी के रघुपति राघव राजा राम सबको सम्मति देने वाले हैं। वारिस अली शाह कहते हैं जो रब है वही राम है।
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राम को ‘निर्बल का बल’ कहते हैं। तो महाप्राण निराला ‘वह एक और मन रहा राम का जो न थका’ की कालजयी पंक्तियों से भगवान राम को ‘शक्ति की मौलिक कल्पना’ कहते हैं। राम साहस हैं, राम संगम हैं, राम संयम हैं, राम सहयोगी हैं। राम सबके हैं। भगवान राम सबका कल्याण चाहते हैं। इसीलिए वे मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। आगामी 5 अगस्त, 2020 को रामलला के मंदिर के भूमिपूजन का कार्यक्रम रखा गया है। भगवान राम की कृपा से यह कार्यक्रम उनके संदेश को प्रसारित करने वाला राष्ट्रीय एकता, बंधुत्व और सांस्कृतिक समागम का कार्यक्रम बने।
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एक प्रश्न पर कि राजस्थान में जो बागी विधायक हैं, क्या उनके लिए दरवाजे बंद हो चुके हैं या कांग्रेस के प्रयास जारी है,सुरजेवाला ने कहा कि ये कल भी हमने जवाब दिया और कहा कि सबसे पहले वो वार्तालाप करें और उसके करने के लिए पहली शर्त है कि भारतीय जनता पार्टी की आवभगत, मेहमान नवाजी छोड़ें, मनोहरलाल खट्टर जी की हरियाणा में तो आए दिन, मासूम बच्चों की हत्या हो रही है,उसके लिए तो पुलिस उपलब्ध नहीं, गैंगरेप हो रहे हैं, बलात्कार हो रहे हैं, लोगों को गुड़गांव में सरेराह पीटा जा रहा है, उसके लिए तो पुलिस उपलब्ध नहीं, परंतु इन 19 विधायकों की सुरक्षा के लिए सैंकड़ों, एक हजार के करीब, पुलिसकर्मी, जो लगाए गए हैं, भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पार्टी के नाराज विधायकों को जो सुरक्षा दे रही है, उसके क्या मायने हैं? इसलिए पहले भाजपा की आवभगत छोड़ें, पहले भारतीय जनता पार्टी से मित्रता तोड़ें, पहले भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़ें, पहले भाजपा की मेहमाननवाजी छोडें, पहले भाजपा की पुलिस का सुरक्षा चक्र तोड़ें, वापस अपने घर वापसी करें, वार्तालाप तब हो पाएगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के शिलान्यास के मौके पर भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को न बुलाने को लेकर भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने सवाल उठाया है, इस पर आपका क्या कहना है, सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा के सदस्य, एक दूसरे के बारे में क्या कह रहे हैं, ये वो जानें। मुझे लगता है कि भगवान श्री राम और सीता माता की जो व्याख्या, भगवान श्री राम के आदर्शों और मर्यादाओं की जो व्याख्या, श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा जी ने आज अपने इस स्पष्ट वक्तव्य में की है, इसके बाद परस्पर कोई अगर छींटाकशी करता है, तो ये वो जानें क्योंकि राम तो सबके हैं। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में सुरजेवाला ने कहा कि मैं आज राम मंदिर के निर्माण के बिल्कुल ठीक 24 घंटे पहले राजनीतिक टिप्पणी तो नहीं करूँगा, पर एक बात अवश्य कहूँगा राजनीति का धर्म होना चाहिए, धर्म की राजनीति नहीं, यही राम की मर्यादा है। एक अन्य प्रश्न पर कि महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की भी भागीदारी है, सुशांत सिंह की मौत को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि महाराष्ट्र में जितने भी बड़े अधिकारी वहाँ गए, उन सबको ज़बरदस्ती क्वारंटाइन किया जा रहा है,महाराष्ट्र सरकार जांच में सहयोग नहीं कर रही,सुरजेवाला ने कहा कि इस देश का संविधान और कानून यह कहता है कि प्रदेश के अंदर कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की है। महाराष्ट्र में कानून की अनुपालन की जिम्मेवारी महाराष्ट्र की सांझी सरकार की है, जिसके मुखिया उद्धव ठाकरे साहब हैं। नीतीश कुमार जी को संविधान दोबारा पढ़ना चाहिए। नीतीश कुमार जी या बिहार की सरकार जबरन पुलिस भेजकर परिधि के अंदर दखलंदाजी नहीं कर सकती। अगर एक प्रांत की पुलिस दूसरे प्रांत के अंदर जाकर जांच करेगी, तो फिर अराजकता फैल जाएगी। याद करिए राजस्थान का उदाहरण देखिए,राजस्थान की एसओजी जब गई, तो राजस्थान ने हरियाणा पुलिस से कॉन्टैक्ट किया। जिम्मेवारी है कि वो प्रदेश की पुलिस से कॉन्टैक्ट करे, उनका सहयोग लें, ये नहीं कि कानून और संविधान की धज्जियाँ उड़ा दें, ये अलग बात है क्योंकि भाजपा दुर्भावना से
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