गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह बीते कुछ समय से पश्चिम बंगाल सरकार और खासकर ममता बनर्जी पर तीखे हमले कर रहे हैं. कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि ममता दीदी को डर था कि अगर हमारी यात्रा राज्य में निकलती है तो उनकी सरकार की अंतिम यात्रा निकल जाएगी. रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा था कि यह चुनाव पार्टियों के बीच का चुनाव है. यह बंगाल की संस्कृति को समाप्त करने वाली टीएमसी को हराने का चुनाव है. यह बंगाल की जनता को निर्णय लेना है कि संस्कृति को बचाने वाली बीजेपी को लाएंगे या उनकी संस्कृति को खत्म करने वाली टीएमसी को. सुभाष चंद्र को भुलाने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन पीएम मोदी सुभाष बाबू के जीवन, देशभक्ति और उनके बंगाल को अमर करने के लिए अंडमान के टापू का नाम सुभाष जी के नाम पर रखने का फैसला किया है.साथ ही उन्होंने कहा था कि देश के आजाद होने के बाद पश्चिम बंगाल हर जगह देश का नेतृत्व करता था. कला, संस्कृति और हर क्षेत्र में बंगालियों का नाम था. एक लंबे के समय कम्युनिस्ट शासन और ममता दीदी के शोषण के बाद आज बंगाल जहां है,
उसकी कल्पना आप नहीं कर सकते. एक समय बंगाल का औद्योगिक उत्पादन दर 27 फीसदी था जो आज 3.3 फीसदी रह गया है. बंगाल को टीएमसी ने कंगाल बना दिया. पहले 100 में 32 रोजगार बंगाल देता था, आज यह आंकड़ा महज चार का है. कम्युनिस्ट तो बुरे थे ही, बंगाल की जनता ने इन्हें निकालने के लिए परिवर्तन किया और टीएमसी को लाया. लेकिन आज जनता कहती है की टीएमसी से तो कम्युनिस्ट अच्छे थे. हर पांचवा व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे जी रहा है.’इसके अलावा शाह ने कहा था कि बंगाल में टीएमसी की सरकार ने लोकतंत्र को समाप्त कर दिया है. हम बंगाल में रथ यात्रा निकालने वाले थे लेकिन हमें राज्य सरकार ने रोक दिया. उन्हें लगा कि यह यात्रा उनके लिए अंतिम यात्रा न हो जाए. कोई बात नहीं दीदी हम ज्यादा मेहनत करेंगे लेकिन इस बार आपको बंगाल से हटाकर रहने वाले हैं. मैं आपको बताता हूं कि पंचायत चुनाव हुए थे, उस दौरान बड़ी संख्या में हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. आपको कहता हूं और टीएमसी को भी कहता हूं कि पंचायत चुनाव वाली गलती लोकसभा चुनाव में मत करना. वर्ना हम ईंट से ईंट बजा देंगे. यह चुनाव बंगाल सरकार के अंडर नहीं होने वाला है. यह चुनाव आयोग के अंडर होगा, यहां पैरामिलिट्री होगी.’