अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: अपराध की तह तक पहुँचने के लिए हरियाणा पुलिस हाई टेक हो रही है। कई मामलों में लावारिस मृतक शरीर मिलने पर सबूतों के अभाव में अक्सर पुलिस अपराध को ट्रेस नहीं कर पाती थी लेकिन विगत वर्षों में अपराधों की रोकथाम के साथ गंभीर अपराधों में प्रदेश पुलिस अच्छा काम कर रही है।हरियाणा स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के निदेशक ओ पी सिंह ने बताया कि लगातार बड़ी वारदातों को उजागर करने में पुलिस को सफलता मिली है। नेफिस (नेशनल ऑटोमैटिक फिंगर प्रिंट आईडेंटिफिकेशन) के माध्यम से अब फिंगर प्रिंट से बड़ी वारदातें ट्रेस हो रही है। पिछले माह ही हरियाणा पुलिस ने करीबन 3 अज्ञात शवों की पहचान नेफिस के माध्यम से उजागर की है। इसे और बेहतर करने के लिए हमने टीम को ऐसे क्राइम सीन पर ऐहतियात बरतने के निर्देश दिए। हम प्रयास कर रहे है कि हमारी पुलिस भी बेहतर काम करें और अच्छी पुलिसिंग कर पीड़ितों को न्याय दिलाने में अपनी भूमिका अदा करे इसके लिए प्रयास जारी हैं।
कई केस के खुलासों में नेफिस ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका, इस वर्ष तक किये 2089 केस ट्रेस।
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो निदेशक ने बताया कि पिछले वर्ष करीब 1247 केस में नेफिस की सहायता से केस ट्रेस करने में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को सफलता मिली है जिसमें प्रदेश के 933 केस व अन्य राज्यों के 314 केस थे। वहीं इस वर्ष जनवरी महीने में ही तकरीबन कुल 842 केस, जिनमें 647 प्रदेश के थे और 195 अन्य राज्यों के केस ट्रेस करने में सफलता मिली है। आगे जानकारी देते हुए बताया कि यमुनानगर के एक केस में शिकायतकर्ता ने स्थानीय पुलिस को शिकायत दी थी कि उसकी दुकान में उसके चचेरे भाई का शव मिला है और दुकान से गहनों की चोरी हुई है।
उक्त केस में फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की सहायता से मौका वारदात से प्रिंट लिए गए जिन्हें कोर्ट ने आगामी मिलान के लिए स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो को भेजा। कार्रवाई करते हुए जब रिकॉर्ड मैच किया गया तो आरोपी के फिंगर प्रिंट से सही मिलान हो गया जिसके कारण आरोपी सलाखों के पीछे पहुंच गया। ऐसे ही जिला नारनौल के अन्य केस में एक अज्ञात शव के पास से फिंगर प्रिंट लिए गए जिसके मैच होने पर अनुसन्धान अधिकारी द्वारा आरोपी को पकड़ा गया और केस को सुलझाने में सफलता हासिल की।
अपराधियों के फिंगरप्रिंट से लेकर उसकी रेटिना समेत डीएनए तक जानकारी नेफिस पर है उपलब्ध
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अब अपराधियों को पकड़ना नामुमकिन नहीं रहेगा। इसके अलावा अज्ञात शव, जो कि अक्सर पहचान उजागर ना होने लावारिस घोषित हो जाते थे, उनकी पहचान करने में भी नेफिस मददगार साबित हो रहा है। हरियाणा पुलिस के साथ साथ देश भर की पुलिस भी अब भारत के हर कोने में अपराध करने वाले क्रिमिनल्स का डिजिटल डेटा तैयार कर रही है। आमजन के आधार कार्ड की भांति अब अपराधियों की भी डिजिटल कुंडली बनाई जा रही है।
इसके बनने से देश के किसी भी कोने की पुलिस कंप्यूटर पर एक क्लिक करते ही क्रिमिनल की पूरी हिस्ट्री जान जाएगी। अपराधियों के फिंगरप्रिंट से लेकर उसकी रेटिना, आंखों की पुतलियां समेत डीएनए से जुड़ी जानकारी जुटा रही है और इसे नेफिस में अपलोड किया जा रहा है। पहले थानों में अपराधियों और आरोपियों की आपराधिक रिकॉर्ड कागजों में होते थे। लेकिन, अब यह सभी रिकॉर्ड न सिर्फ ऑनलाइन होंगे, बल्कि हाइटेक भी होंगे व एक क्लिक पर अपराधियों की कुंडली निकल जाएगी।
क्या कहता है नेफिस से जुड़ा नया कानून, सभी थाने कर रहे है रिकॉर्ड स्कैन।
अपराधियों की पहचान के लिए केंद्र सरकार ने नया कानून नेशनल ऑटोमेटेड फिंगरप्रिंट आइडेंटीफिकेशन सिस्टम (नेफिस) बनाया है जो 19 सितंबर, 2022 से देश भर में लागू हो गया है। पहले कई लोग पुलिस की जांच में अपनी निजता के उल्लंघन का हवाला देकर सैंपल देने से मना कर देते थे। लेकिन, अब केंद्र सरकार ने इसे कानून बना दिया है। इसलिए अब कोई इसका हवाला देकर डीएनए सैंपल देने से मना नहीं कर सकता। अब पुलिस को यह अधिकार दिया गया है कि वो संबंधित व्यक्ति को डॉक्टर के पास ले जाकर जांच करा सकेगा। पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इस सिस्टम में अपराधियों के फिंगरप्रिंट, आंखों की पुतली, अपराधियों का डाटा अपलोड किया जा रहा है। रेटिना पेयर का प्रिंट लिया जा रहा है। अपराधियों की डीएनए रिपोर्ट भी इसमें अपडेट रहेगा। उसे स्कैन कर रखा जाएगा।
हर अपराधी का होगा यूनिक कोड, नेशनल सर्वर में डेटा हो रहा है उपलब्ध
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रत्येक अपराधी का अलग यूनिक कोड रहेगा। स्कैन करने के बाद नेशनल सर्वर में डेटा पूरी जानकारी के साथ अपलोड किया जा रहा है। नेफिस किसी अपराध के लिए गिरफ्तार किए गए प्रत्येक व्यक्ति को एक विशिष्ट 10-अंकीय राष्ट्रीय फिंगरप्रिंट संख्या (एनएफएन) प्रदान करता है। इस विशिष्ट आईडी का उपयोग व्यक्ति के जीवन भर के लिए किया जाएगा, और विभिन्न एफआईआर के तहत दर्ज विभिन्न अपराधों को एक ही एनएफएन से जोड़ा जाएगा। फिंगरप्रिंट डेटा के रिकॉर्ड को डिजिटाइज करने के साथ-साथ फिंगरप्रिंट के संग्रह, भंडारण और मिलान को स्वचालित करके, छ।थ्प्ै प्रत्येक गिरफ्तार व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक विशिष्ट पहचानकर्ता प्रदान करेगा। इसे सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) डेटाबेस में शामिल किया जाएगा क्योंकि दोनों बैकएंड पर जुड़े हुए हैं।
स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो ने संभाली ट्रेनिंग की जिम्मेदारी, प्रदेश में रजिस्टर्ड है 121 यूजर।
पुलिस प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि नेफिस को नई दिल्ली में सेंट्रल फिंगरप्रिंट ब्यूरो में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा विकसित किया गया है। प्रदेश में जिलों में तैनात पुलिस के लिए सॉफ्टवेयर पर रजिस्ट्रेशन और ट्रेनिंग की जिम्मेदारी स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो पर है। पिछले वर्ष एनसीआरबी में स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा प्रदेश के जिलों में नियुक्त स्टाफ का रजिस्ट्रेशन करवाया गया और 18 कर्मचारियों को ट्रेनिंग प्रदान की गई। भविष्य में ऐसे ही ट्रेनिंग सेशन संचालित करने की प्लानिंग की गई है। वर्तमान में प्रदेश के न्यायालयों में हरियाणा पुलिस के तकरीबन 121 कर्मचारी, अपराधियों के रिकॉर्ड को पोर्टल में अपडेट करने की जिम्मेदारी निभा रहे है।