अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
गुरुग्राम:जल शक्ति अभियान की केंद्रीय नोडल अधिकारी एवं रक्षा मंत्रालय में निदेशक रिद्धिमा वशिष्ठ ने जल शक्ति अभियान के तहत जिला में जल संरक्षण की दिशा में किए गए कार्यो की समीक्षा कर, गांव टिकली में अमृत सरोवर का निरीक्षण भी किया। इस अवसर पर उनके केंद्रीय भूजल बोर्ड की साइंटिस्ट शुभ्रा सतपथी भी मौजूद रही। केंद्रीय नोडल अधिकारी रिद्धिमा वशिष्ठ ने लघु सचिवालय स्थित कॉन्फ्रेंस हॉल में जिला में जल संरक्षण की दिशा में कार्यरत विभागीय अधिकारियों संग बैठक कर गतिविधियों का प्रकार व उनके लक्ष्य के संबंध में उपलब्धियां की विस्तृत जानकारी ली। नोडल अधिकारी ने जिला में जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन पारंपरिक जल निकायों का जीर्णोद्धार व उनका पुनः उपयोग और पुनर्भरण, वाटरशेड विकास, गहन वनरोपण, प्रशिक्षण कार्यक्रम/किसान मेला से जुड़ी गतिविधियों व जेएसए 2024 के लिए निर्धारित लक्ष्यों की समीक्षा कर, उन्होंने वर्षा जल संचयन से जुड़ी संरचनाओं की स्थापना को बढ़ाने के लिए शहरी अधिकारियों के साथ-साथ ग्रामीण एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे पानी का मुख्य स्रोत वर्षा जल है और इसलिए हमारे जल स्रोतों को अधिकतम मात्रा में वर्षा से प्राप्त जल को जमा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बारिश जहां भी और जब भी गिरे, उसे इकट्ठा करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।
उन्होंने कहा किजल शक्ति अभियान: कैच द रेन अभियान जल स्रोतों की सफाई, वर्षा जल संचयन संरचनाओं के रखरखाव आदि के माध्यम से जल भंडारण बढ़ाने की चुनौती से निपटने के लिए तैयार होने का एक प्रभावी विकल्प हो सकता है। नोडल अधिकारी ने कहा कि अभियान की सफलता मुख्य रूप से जिले के अधिकारियों को अभियान के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए उत्साहित और प्रेरित किए जाने पर निर्भर करती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अभियान को लागू करने के लिए स्थानीय नागरिक समाज संगठनों और जिला अधिकारियों को एक साझा मंच पर लाने की भी आवश्यकता है।वर्षा जल संचयन संरचना, रिचार्ज पिट की प्रगति का निरीक्षण करने के लिए गांव टिकली स्थित अमृत सरोवर का दौरा भी किया। इस अवसर पर उन्होंने ग्रामीणों को कहा कि जल प्रकृति की अनमोल देन है, लिहाजा जल संरक्षण हमारी नैतिक जिम्मेदारी बनती है। लोगों को जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन आंदोलन बनाकर सभी को सचेत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि पानी के बिना भविष्य में मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने ग्रामीणों का आह्वान किया कि जल संरक्षण के लिए प्रत्येक गांव में पारंपरिक तालाबों एवं जोहड़ों का नवीनीकरण एवं रखरखाव अत्यंत जरूरी है। इसके अलावा वाटरशैड विकासित करके भी हम जल संरक्षित कर सकते हैं। किसान अपने खेतों में शोख गड्ढे बनाकर भी वर्षा के पानी को एकत्रित कर बाद में उसे अपनी खेती की सिंचाई के लिए उपयोग कर सकते हैं। बैठक में जिला परिषद के सीईओ जगनिवास, डीआरओ नरेश जुयल, पंचायती राज से कार्यकारी अभियंता अजय शर्मा सहित बागवानी, कृषि, शिक्षा, वन, राजस्व, सिंचाई विभाग के पदाधिकारी उपस्थित रहे।
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