अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत श्रम विभाग के अंबाला के सहायक निदेशक व हिसार के क्लर्क को दस-दस हजार का जुर्माना लगाया है। इस संबंध में जानकारी देते हुए हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में हरियाणा सरकार ने राज्य के अंतिम व्यक्ति के विकास हेतु भरसक प्रयास किया है। इसी के तहत 2014 में लागू किया गया हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम , सरकार की महत्वाकांक्षी सेवाओं को समयबद्ध एवं संतोषजनक तरीके से जनता तक पहुंचाने में कारगर हथियार साबित हो रहा हैै । उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के तहत 43 विभागों व संस्थाओं की 622 सेवाएं इसके अंतर्गत अधिसूचित हैं, जो कि जीवन के विभिन्न चरणों में समाज के सभी वर्गों से ताल्लुक रखती हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के विभिन्न जिलों से आयोग के पास पत्र या ई – मेल द्वारा अधिसूचित सेवाओं से संबंधित जो भी शिकायतें आती हैं , उसका तत्परता से संज्ञान लिया जाता है । कभी मामला महेंद्रगढ़ के कुलदीप सिंह के बिजली के बिल का तो कभी कुरुक्षेत्र की श्रीमती सीमा के घर के पास के नाले की सफाई का होता है। उन्होंने बताया कि इसी क्रम में हाल ही में संजय कुमार ने जिला फतेहाबाद से अपनी शिकायत आयोग को भेजी। शिकायतकर्ता ने भवन तथा अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता, औजारों के लिए अनुदान एवं साइकिल योजना, के लिए आवेदन दिया था। परंतु बोर्ड द्वारा शिकायतकर्ता को यह सेवा अधिसूचित समय सीमा में नहीं दी गई।
इस मामले का संज्ञान लेते हुए आयोग ने तत्कालीन श्रम आयुक्त, मनीराम शर्मा को नोटिस जारी किया और आयोग के समक्ष सुनवाई के लिए बुलवाया गया। सुनवाई के दौरान संजय कुमार द्वारा बोर्ड को दिये गये सभी आवेदनों की विस्तृत समीक्षा की गई।
इस दौरान यह भी पाया गया कि शिकायतकर्ता का एक आवेदन 90 दिनों तक हिसार के क्लर्क अजय के पास बिना किसी कार्यवाही के पड़ा रहा। शिकायतकर्ता के दूसरे आवेदन पर पाया गया कि क्लर्क अजय ने गलत आपत्ति लगाते हुए, आवेदक के आवेदन को अस्वीकार करने का प्रस्ताव अम्बाला के अपर निदेशक, सुनील नन्दा को भेज दिया। अपर निदेशक ने भी बिना नियमों को देखे और बिल्कुल लापरवाह रवैया दिखाते हुए क्लर्क के बेबुनीयाद प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इस लापरवाही और नियमों का सम्मान न करने पर आयोग ने इन दोनों को नोटिस दिया। इन्हें अपनी सफाई देने व सुनवाई के लिए भी बुलाया गया। सुनवाई के दौरान भी दोनों ही कर्मचारियों के पास उनके द्वारा की गई कोताही और अधिसूचित सेवा को देने में लापरवाही का कोई संतोषपूर्वक तर्क नहीं था। सभी परिस्थितियों पर विचार करके आयोग इस फैसले पर पहुंचा है कि अधिसूचित सेवाओं के वितरण में इस प्रकार की लापरवाही सहन नहीं की जाएगी और अजय और सुनील नन्दा पर दस-दस हजार का जुर्माना लगाया है। आयोग ने सहायक निदेशक व क्लर्क को समयबद्ध और नियमानुसार अधिसूचित सेवा प्रदान करने का अच्छा सबक सिखाया है।
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