अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:निकाय चुनाव में कांग्रेस के मैदान से बाहर हो जाने के कारण अचानक प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बन गए। दो दिन पहले तक भाजपा और जजपा अलग-अलग चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुकी थी, लेकिन अब बदली हुई परिस्थितियों में दोनों पार्टियों ने नगर परिषद के चुनाव मिलकर लड़ने का फैसला लिया है। गुरुवार को हरियाणा निवास पर दोनों पार्टियों के नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया।
भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रदेश प्रभारी विनोद तावड़े, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़, महामंत्री वेदपाल एडवोकेट व मोहन लाल बड़ौली तथा जेजेपी की तरफ से प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह और प्रदेश प्रधान महासचिव दिग्विजय चौटाला बैठक में पहुंचे। दोनों दलों के नेताओं के बीच गहन मंथन हुआ। जिसमें दोनों तरफ से ही यह बात रखी गई कि जब मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ही मैदान में नहीं है, तो चुनाव में लड़ाई ही नहीं बची।
इसलिए 18 नगर परिषदों के चेयरमैन पदों पर भाजपा और जजपा को मिल कर ही लड़ना चाहिए। सभी नेताओं ने इस पर सहमति जताई और फिर टिकटों के बंटवारे पर चर्चा हुई। जिसमें चार सीटें जजपा को देने पर सहमति बनी। बैठक में जो फैसला हुआ उसके अनुसार नरवाना, टोहाना, डबवाली और नूंह नगर परिषद पर जेजेपी का उम्मीदवार होगा। जबकि 14 नगर परिषदों में चेयरमैन पद पर भाजपा का उम्मीदवार होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस निकाय चुनाव के मैदान से बिना लड़े ही बाहर हो गई है। ऐसे में बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा और जजपा ने भी मिलकर लड़ने का फैसला लिया है। अब तय है कि सभी 18 सीटें पर भाजपा-जजपा गठबंधन विजयी होगा।
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