अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली को त्वरित करने के लिए और योजनाओं का लाभ सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटे बिना जनसाधारण को मिले, इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम आरंभ किया है, जो कारगर सिद्ध हो रहा है। अभी हाल ही में भारी बारिश व बाढ़ के कारण जान गंवाने वाले 35 लोगों के परिवारों को आर्थिक सहायता के तौर पर राज्य सरकार ने 4-4 लाख रुपये की राहत राशि प्रदान की है। इतनी जल्दी इस प्रकार से राहत राशि को पहुंचाना केवल ऑनलाइन प्रक्रिया के कारण ही संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री आज उनके निवास संत कबीर कुटीर पर फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व प्रबुद्ध व्यक्तियों के साथ बैठक कर रहे थे। उन्होंने सभी से विधानसभावार सरकारी योजनाओं के संबंध में फीडबैक और सुझाव लिए।
मनोहर लाल ने कहा कि कांग्रेस के नेता कहते हैं कि यह सरकार पोर्टल की सरकार है,इस बात को हम गर्व के साथ स्वीकार करते हैं कि हमारी सरकार ने 100 से अधिक पोर्टल बनाये हैं, जिसके चलते लोग चंडीगढ़ आए बिना ही अपने घर से मोबाइल, लैपटॉप व नागरिक सेवा केंद्रों से अपना कार्य ऑन लाइन करते हैं। पहले चंडीगढ़ आने में पैसा तो खर्च होता ही, साथ ही समय की बर्बादी भी होती थी। कई बार तो अधिकारियों से मिले बिना ही लोगों को वापिस जाना पड़ता था। लोग चंडीगढ़ मुख्यालय के अधिकारियों से मिलना महाभारत समझते थे। परंतु हमने लोगों की परेशानी को समझा और व्यवस्था परिवर्तन कर सिस्टम को बदलने का काम किया है। आज लोग अपनी बात सीधे सरकार तक बड़ी आसानी से पहुंचा रहे हैं।उन्होंने कहा कि अप्रैल, 2023 से आरंभ किए गए इस विशेष संवाद कार्यक्रम में अब तक 7 लोकसभा क्षेत्रों की 63 विधानसभाओं के जनप्रतिनिधि, प्रबुद्ध व्यक्ति और विभिन्न प्रशासनिक सचिव एक साथ बैठकर सरकारी योजनाओं व विकास कार्यों के बारे चर्चा कर चुके हैं। इसके अलावा, जनप्रतिनिधियों व प्रबुद्ध व्यक्तियों द्वारा अब तक मुख्यमंत्री को प्रतिवेदन, सुझाव के रूप में 14 हजार से अधिक कागजात मिले हैं, जिनका उन्होंने स्वयं अध्ययन किया है और अब हर चीज का रिकॉर्ड रखा गया है।उन्होंने उपस्थित लोगों से पूछा कि आप प्राथमिकता आधार पर किए जाने वाले काम बताएं, उन पर कार्य सरकार की प्राथमिकता भी रहेगी और जनप्रतिनिधि व प्रबुद्ध व्यक्ति भी सहयोग करें। उन्होंने कहा कि किसी भी परियोजना की घोषणा करने से पूर्व जनप्रतिनिधि स्थानीय जिला प्रशासन से परियोजनाओं की व्यवहार्यता के बारे अवश्य जानकारी लें, ताकि वह परियोजना समयबद्ध पूरी को सके। कई बार परियोजनाओं के लिए जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती, जिसके कारण परियोजना के क्रियान्वयन में देरी होती है, इसलिए जनप्रतिनिधि व्यवहार्यता के साथ-साथ भू-मालिकों, किसानों से बातचीत कर ई-भूमि पोर्टल पर जमीन की उपलब्धता भी सुनिश्चित करवाएं।मुख्यमंत्री के इस कार्यक्रम की व्यवस्था इस प्रकार की है कि एक लोकसभा क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र पड़ते हैं और जनप्रतिनिधि व प्रबुद्ध व्यक्तियों तथा वरिष्ठ अधिकारियों को 9 ग्रुपों में बांटा गया था, ताकि हर ग्रुप 2-3 योजनाओं पर विस्तार से चर्चा कर सके। जब मुख्यमंत्री ने उपस्थित लोगों से इस प्रकार अधिकारियों के साथ हुई बैठक के अनुभवों के बारे में पूछा तो एक व्यक्ति ने कहा कि आपने अपने तजुर्बे के आधार पर यह व्यवस्था की है, जो काफी सराहनीय है। जनसाधारण तो कभी सोच भी नहीं सकता कि चंडीगढ़ में इतने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सीधे बैठ कर चर्चा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी बैठकें हर महीने तो संभव नहीं, लेकिन साल में 2 बार अवश्य आयोजित करवाने पर विचार किया जाएगा। बैठक में परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा, विधायक श्रीमती सीमा त्रिखा, दीपक मंगला, प्रवीन डागर, राजेश नागर, सुधीर सिंगला, जगदीश नैय्यर, हरको बैंक के चेयरमैन हुकम सिंह भाटी, पूर्व मंत्री विपुल गोयल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ जी अनुपमा, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव एके सिंह, बिजली निगमों के चेयरमैन पीके दास, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार बी.बी भारती, ओएसडी जवाहर यादव, भूपेश्वर दयाल व सुधांशु गौतम सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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