अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़:मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों के चलते आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत जिला नूंह की डेल्टा रैंकिंग 30वे पायदान से दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और कृषि और जल संसाधन आदि में बड़े पैमाने पर सुधार कर लोगों को लाभ देना है।उपायुक्त ने बताया कि आकांक्षी जिला को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा पिछले महीने संबंधित विभागों की बैठक लेते हुए उन्हें आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए थे। मुख्यमंत्री के प्रयासों के चलते प्रदेश का ज़िला नूह दूसरे स्थान पर पहुचा है ।उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों के अन्य पैरामीटर पर भी जिला की रैंकिंग को बेहतर करने के लिए निरंतर प्रयास जारी हैं। उन्होंने बताया कि कृषि एवं जल संसाधन में जिला की रैंकिंग प्रथम स्थान पर रही है । इसका स्कोर 26.2 से बढ़कर 30.7 हुआ है।
इसी प्रकार, स्वास्थ्य एवं पोषण में जिला की रैंकिंग दूसरे स्थान पर रही है जिसका स्कोर 64.9 से बढ़कर 71.3 हुआ है। इसी प्रकार , अन्य विभागों की रैंकिंग में भी निरंतर सुधार के चलते जिला दूसरे स्थान पर पहुंचा है।जिला उपायुक्त ने कहा कि नीति आयोग द्वारा देशभर के 112 आकांक्षी जिलों की सूची बनाई गई थी, जिसमें लगभग 87 पैरामीटर तय किए गए थे। इनमें ड्रॉपआउट, संस्थागत डिलीवरी, सिंचाई, कृषि, सेहत सहित अन्य विभागों के बहुत से काम थे। इन सभी में सुधार करने की जरूरत थी। नूह जिला लगातार अपनी रैंकिंग में सुधार कर रहा है। जिले के संबंधित विभागों के अधिकारी व कर्मचारी जिले को पिछड़े जिलों की सूची से बाहर निकालने में भरपूर मेहनत कर रहे हैं। आज जिला के नागरिकों की जागरूकता व प्रशासनिक अधिकारियों की मेहनत का ही नतीजा है कि नूंह जिला पूरे देश में आकांक्षी जिलों की डेल्टा रैंकिंग में दूसरे स्थान पर आया है जिसके लिए उपायुक्त ने टीम के सदस्यों को बधाई दी। आकांक्षी जिला कार्यक्रम अपने नागरिकों के जीवन स्तर को बढ़ाने और ‘सबका साथ सबका विकास’ के दृष्टिकोण के तहत सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने के सरकार के प्रयास का एक हिस्सा है।उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिला कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा और कृषि और जल संसाधन आदि में बड़े पैमाने पर सुधार कर लोगों को इनका लाभ देना है।उन्होंने कहा कि सरकार अपने नागरिकों के जीवन-स्तर को सुधारने और सभी के लिए समावेशी विकास सुनिश्चित करने अर्थात् ‘‘सबका साथ सबका विकास’’ के लिए प्रतिबद्ध है। उनकी क्षमता का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए यह कार्यक्रम फलती-फूलती अर्थव्यवस्था में पूर्ण रूप से भाग लेने के संबंध में लोगों की क्षमता को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करता है। स्वास्थ्य एवं पोषण, शिक्षा, कृषि एवं जल संसाधन, वित्तीय समावेशन एवं कौशल विकास तथा बुनियादी अवसंरचना इस कार्यक्रम के विशिष्ट क्षेत्र हैं।
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