अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: साइबर फॉरेंसिक लैब (सीएफएल) पंचकूला की टीम ने 14 साल की नाबालिग लड़की को ब्लैकमेल करने वाले 9 अपराधियों को सजा दिलवाने में सफलता हासिल की है। इस मामले में साईबर फोरेंसिंक लैब की टीम ने दिन रात काम करते हुए आरोपितों को सलाखों के पीछे पहुँचाया।
क्या था मामला-
14 साल की नाबालिग लड़की का एक लडके से हैंगआउट ऐप पर संपर्क हुआ और दोनो में बातचीत शुरु हुई। लडकी नाबालिग थी और समझ परिपक्व न होने के कारण उसकी बातो में आ गई और अपनी फोटो व निजी वीडियो उसके साथ शेयर कर दी। उसका फायदा उठाकर उसने लड़की को ब्लैकमेल करना शुरु कर दिया और उसे शारीरिक संबंधो के लिए मजबूर करने लगा। उसने लडकी का मोबाइल नंबर भी आगे काफी लड़को के साथ शेयर कर दिया।
ये सभी लोग मिलकर बच्ची को तंग करते रहे। जब बात हद से आगे बढ़ गई तो उसने अपने माता-पिता को इसके बारे में बताया। इस मामले में एफआईआर दर्ज करते हुए इसकी जांच शुरु की गई। सब कुछ ऑनलाइन ही हुआ था। पुलिस के लिए यह काफी चुनौतीपूर्ण था कि कैसे आरोपितों को ढुंढा जाए और गिरफ्तार किया जाए। पीड़ित लडकी ने कहा कि उसने आज तक किसी को देखा नही,केवल बात की है। इस मामले में अंवेक्षण अधिकारी (आईओ) इंस्पेक्टर सुनील कुमार (तत्कालीन एसएचओ, सदर सोनीपत) ने सराहनीय काम किया व आरोपितों को गिरफ्तार किया और उनके मोबाइल डिवाइस कब्जे में लेकर सीएफएल पंचकूला भेजे। साइबर फोरेंसिक लैब ने मामले को सुलझाने के पूरे प्रयास किए। मोबाइल डिवाइस में सारा डाटा डिलीट किया हुआ था, इसके बावजूद सारा डेटा दिन रात मेहनत करके रिट्रीव किया गया। चूंकि मामले में कोई पीडब्ल्यू नही था। सीएफएल की कारवाई व गवाही ही महत्वपूर्ण थी। सीएफएल के विशेषज्ञों ने कोर्ट में एविडेंस दिया जो 32 घंटे तक चला और प्रत्येक साक्ष्य को प्रमाणित किया। आरोपितों के खिलाफ आरोप साबित हुए और उन्हें न्यायालय द्वारा अलग-2 धाराओं में सजा सुनाई गई है।
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