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चंडीगढ़ ब्रेकिंग: ब्याज, मुआवजे और कानूनी खर्चों के साथ आवंटी को पैसा किया जाए वापिस – हरेरा कोर्ट

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चण्डीगढ़: हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (हरेरा) गुरुग्राम ने एक पीड़ित आवंटी के पक्ष में आदेश पारित करते हुए रामप्रस्थ डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को निर्देश दिया कि वो आवंटी को पूरा पैसा वापस करे।प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि आदेश में यह भी कहा गया है कि मूलधन को ब्याज के साथ वापस करे। आवंटी मुआवजा का भी हकदार है और साथ ही साथ आवंटी को कोर्ट के दौरान जो कानूनी सहायता बतौर खर्च हुए वो पैसे भी मिलने चाहिए।        

उन्होंने बताया कि पीड़ित आवंटी और रामप्रस्था बिल्डर के बीच जुलाई 2011 में एक बिल्डर बायर एग्रीमेंट (बीबीए) निष्पादित किया गया था। एग्रीमेंट इस बात का हुआ था कि आवंटी ने जो एक यूनिट रामप्रस्थ के एक प्रोजेक्ट में जुलाई 2011 में बुक किया था वो यूनिट रामप्रस्थ को जुलाई 2014 में आवंटी को सुपुर्द करना था मगर ऐसा नहीं हुआ। चूंकि पीड़ित आवंटी को कब्जा देने में रामप्रस्था विफल रहा। हरियाणा रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) नियम, 2017 के तहत यह दोनों पक्षों के बीच निष्पादित नियमों और शर्तों का उल्लंघन है।        

प्रवक्ता ने बताया कि ब्याज राशि, जैसा कि आदेश में कहा गया है, की गणना प्रत्येक भुगतान की तिथि से हरियाणा नियम, 2017 के नियम 16 में प्रदान की गई समय सीमा के भीतर राशि की वापसी की वास्तविक तिथि तक की जानी है। राहत के संदर्भ में, आवंटी भी लागत और मुआवजे का दावा करने का हकदार होगा, जैसा कि उचित समझा गया, आदेश का उल्लेख किया।        

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में यह माना है कि एक आवंटी धारा 12, 14, 18 और धारा 19 के तहत मुआवजे और मुकदमेबाजी के आरोपों का दावा करने का हकदार है, जो कि धारा 71 के अनुसार न्याय निर्णायक अधिकारी (एओ) द्वारा तय किया जाना है  । मुआवजे की राशि और मुकदमेबाजी खर्च का फैसला एओ द्वारा किया जाएगा। इसलिए, मुआवजे का दावा करने के लिए शिकायतकर्ता अधिनियम की धारा 71 के साथ पठित धारा 31 और नियम 29 के तहत एओ के समक्ष एक अलग शिकायत दर्ज कर सकता है।        

शिकायतकर्ता ने दिसंबर, 2019 में प्राधिकरण के पास एक शिकायत दर्ज कराई थी कि वह प्रोजेक्ट से अपना पैसा वापस लेना चाहता है और प्रमोटर द्वारा यूनिट के संबंध में प्राप्त राशि को ब्याज के साथ वापस करने की मांग करता है, क्योंकि प्रमोटर अनुबंध के अनुसार कब्जा देने में असमर्थ है। समझौते की शर्तें-जुलाई 2014 कब्जे की देय तिथि थी, जबकि तीन साल पहले जुलाई 2011 में पार्टियों के बीच बुकिंग निष्पादित की गई थी।

तदनुसार, प्रमोटर परियोजना से वापस लेने के इच्छुक आवंटी के लिए उत्तरदायी है, बिना किसी अन्य उपाय के पूर्वाग्रह के, यूनिट के संबंध में उसके द्वारा प्राप्त राशि को ब्याज के साथ निर्धारित दर पर वापस करने के लिए, जैसा कि निर्धारित किया जा सकता है। शिकायतकर्ता ने सेक्टर 37सी, गुरुग्राम में प्रोजेक्ट एसकेवाईजेड में यूनिट बुक की थी।

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