Athrav – Online News Portal
राजनीतिक हरियाणा

चंडीगढ़ ब्रेकिंग: सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने संसद में पूछा सवाल, बाढसा एम्स-2 में मंजूरशुदा 10 संस्थान कब होंगे तैयार।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने संसद में जब एम्स फेज़ 2 के तहत राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा स्थापित होने वाले 10 अन्य राष्ट्रीय संस्थानों के कार्य की स्थिति का ब्योरा माँगा और पूछा कि इस परियोजना के पूरा होने की समय सीमा क्या है, तो 28 मार्च को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने अपने उत्तर में बताया कि आज की तारीख में झज्जर में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के अलावा कोई और परियोजना नहीं है। इस पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि एक तरफ केंद्र की बीजेपी सरकार हरियाणा के साथ भेदभाव की राजनीति कर रही है वहीं, दूसरी ओर प्रदेश में इतनी कमजोर सरकार है कि वो केंद्र से कोई नया प्रोजेक्ट लाना तो दूर, हरियाणा के मंजूरशुदा प्रोजेक्ट बचाने के लिये आवाज़ भी नहीं उठा पा रही है। इससे पहले रेल कोच फैक्ट्री, इंटरनेशनल एयरपोर्ट हरियाणा से दूसरे राज्यों में चले गये लेकिन प्रदेश की कमजोर सरकार हरियाणा के हितों की रक्षा के लिये कोई विरोध नहीं कर पाई।

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि UPA शासनकाल में मंजूरशुदा परियोजनाएं एक-एक करके हरियाणा से जा रही हैं लेकिन हरियाणा की कमजोर सरकार कोई आवाज़ नहीं उठा रही, बस गूंगे की तरह देख रही है। उन्होंने कहा कि क्या केंद्र हरियाणा को इस बात की सजा दे रहा है कि उसने 10 की 10 लोकसभा सीट भाजपा को जिताकर दी। क्या हरियाणा का यही कसूर है? उन्होंने हरियाणा सरकार से सवाल किया कि वो कब बोलेगी? जब सब कुछ चला जाएगा तब! दीपेन्द्र हुडा ने कहा कि जब तक बाढसा एम्स-2 के सभी मंजूरशुदा संस्थान बनकर तैयार नहीं हो जाते वो चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस परियोजना से अंतर्रात्मा से जुड़े हुए हैं। क्योंकि उन्होंने UPA सरकार के समय अथक प्रयास से इस पूरी स्वास्थ्य परियोजना की परिकल्पना करके उसे मंजूर कराया, बजट दिलवाया। एम्स-2 ओपीडी और NCI का काम कराया। उनके लिये महम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और सोनीपत रेल कोच फैक्ट्री की तरह ही ये प्रोजेक्ट भी राजनीतिक जीवन के सबसे महत्त्वाकांक्षी प्रोजेक्ट हैं। सांसद दीपेन्द्र ने इस बात की पीड़ा व्यक्त करी कि यूपीए सरकार के समय काफी मेहनत से मंजूर कराये गये बचे हुए 10 अन्य संस्थानों के काम में पिछले 9 साल में एक इंच भी प्रगति नहीं हुई। 

दीपेन्द्र हुड्डा ने बताया कि एम्स-2 बाढ़सा परिसर में उन्होंने कुल 11 संस्थान मंजूर कराये थे। यदि ये सारे संस्थान बनते तो इससे हरियाणा व आस पास के करोड़ों लोगों को न केवल बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं मिलती, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिलता। एम्स-2 बाढ़सा परिसर में हज़ारों करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले संस्थानों में 710 बेड वाले राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (NCI) के अलावा ये संस्थान प्रमुख थे और सभी UPA सरकार के दौरान मंजूर हुए थे
1-नेशनल कार्डियोवैस्कुलर सेंटर – 600 बेड
2-नेशनल सेंटर फॉर चाइल्ड हेल्थ – 500 बेड
3-नेशनल ट्रांस्प्लांटेशन सेंटर – 500 बेड
4-जनरल पर्पस हॉस्पिटल – 500 बेड
5-डाइजेस्टिव डिजीज सेंटर – 500 बेड
6-नेशनल इंस्टिट्यूट फॉर जिरियाटिक्स – 200 बेड
7-सेंटर फॉर ब्लड डिसार्डर – 120 बेड
8-कॉम्प्रिहेंसिव रिहैबिलिटेशन सेंटर
9-सेंटर फॉर लेबोरेटरी मेडिसिन
10-नेशनल सेंटर फॉर नर्सिंग एजुकेशन एंड रिसर्च
कांग्रेस सांसद ने एम्स-2 परियोजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि उन्होंने काफी प्रयासों के बाद इस बड़े प्रोजेक्ट को हरियाणा के खाते में जुड़वाया था। प्रदेश का बच्चा-बच्चा जानता है कि दिल्ली वाले एम्स से भी बड़े एम्स-2 को 300 एकड़ में बनाने की परिकल्पना की गयी तो सबसे पहले फरवरी 2009 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अंबुमणि रामदौस जी ने एम्स-2 को बाढ़सा में बनाने की सहमति दी। 2012 में तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद जी ने एम्स-2 ओपीडी के उद्घाटन के साथ ही घोषणा की कि यहां एशिया ही नहीं, पूरे विश्व का सबसे बड़ा स्वास्थ्य परिसर बनेगा। उन्होंने आगे कहा कि जब कैंसर संस्थान की योजना धरातल पर आयी तो उस समय बहुत से मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री इसे अपने राज्य में ले जाना चाहते थे; मगर उनके अथक प्रयासों से जुलाई 2013 में योजना आयोग से राष्ट्रीय कैंसर संस्थान को मंजूरी मिली। 26 दिसम्बर, 2013 को भारत सरकार की कैबिनेट ने 2035 करोड़ रुपया मंजूर करके परियोजना को मंजूरी दी। इसके बाद रिकार्ड एक हफ्ते के अंदर 3 जनवरी, 2014 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसका शिलान्यास करके इसके काम की शुरुआत की।उन्होंने कहा कि हरियाणा की कमजोर सरकार बीते 9 साल में डिफेंस यूनिवर्सिटी, मेट्रो प्रोजेक्ट, आरआरटीएस प्रोजेक्ट जैसी बड़ी परियोजनाओं पर एक कदम आगे नहीं बढ़ सकी। जितना काम हम कराकर गये थे वो जस का तस पड़ा हुआ है। वहीं 8 साल पहले 4 जुलाई, 2015 को बावल में मुख्यमंत्री ने मनेठी एम्स की घोषणा की थी, लेकिन 8 साल बाद भी इसका काम शुरू तक नहीं हुआ। जनता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रही है और आने वाले चुनावों में करारा जवाब देगी।

Related posts

चंडीगढ़: साल के अंतिम दिन जेल सुपरिटेंडेंट शमशेर दहिया हुआ सस्पेंड,चार्जशीट करने के आदेश।

Ajit Sinha

फरीदाबाद: सत्ता की लोभी कांग्रेस झूठ और फरेब की राजनीति से हथियाना चाहती है सत्ता : बड़ौली

Ajit Sinha

2019 के प्रथम 8 माह में सडक हादसों से होने वाली मृत्यु दर में आई 4.29 प्रतिशत की गिरावट: एडीजीपी 

Ajit Sinha
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments
error: Content is protected !!
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x