अजीत सिन्हा की रिपोर्ट
चंडीगढ़: मालूम था सबको, एक दिन बेवफा यार बदलेंगे, नाटक वहीं रहेगा, सिर्फ किरदार बदलेंगे। और तुम सीएम बदलते रहना, हम पूरी सरकार बदलेंगे। इस शेर के साथ आज विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी-जेजेपी पर टिप्पणी की। हुड्डा नए मुख्यमंत्री द्वारा पेश किए गए विश्वास मत प्रस्ताव पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार जनता का विश्वास पूरी तरह खो चुकी है, इसलिए उसे सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। बीजेपी को हरियाणा में राष्ट्रपति शासन लागू करवाकर विधानसभा चुनाव करवाने चाहिए।
हुड्डा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को हटाकर बीजेपी ने अपनी हार मान ली है। बीजेपी ने खुद माना है कि साढ़े 9 साल से हरियाणा में ऐसी सरकार चल रही थी, जिसके पास चुनाव में बताने के लिए कोई उपलब्धि नहीं है। इसलिए अब पार्टी को सरकार का स्वरूप बदलने और गठबंधन तोड़ने का प्रपंच रचना पड़ा। जबकि सच्चाई गठबंधन टूटने के अगले ही दिन जनता के सामने आ गई। क्योंकि यह देश के इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी पार्टी ने अपने विधायकों को सदन में गैरहाजिर रहने के लिए व्हिप जारी किया हो। जेजेपी ने ऐसा व्हिप जारी करके सीधे तौर पर बीजेपी सरकार के विश्वास प्रस्ताव का समर्थन किया। साफ है कि बीजेपी ही जेजेपी है। इसलिए जेजेपी आज भी बीजेपी के विरुद्ध वोट नहीं करना चाहती। गठबंधन तोड़ने का मकसद भी चुनाव में बीजेपी की मदद करना है। जेजेपी चुनावों में बीजेपी के हिसाब से टिकट आवंटन करेगी ताकि कांग्रेस को मिलने वाली सत्ता विरोधी वोटों को बांटा जा सके। लेकिन जनता के सामने जेजेपी की सच्चाई उजागर हो चुकी है। जनता 2019 की तरह बहकावे में नहीं आएगी। क्योंकि जेजेपी का विश्वासघात पहले ही उसके 5 साल बर्बाद कर चुका है। इसबार जनता उस विश्वासघात का बदला लेने की तैयारी में है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मौजूदा सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं-
1.क्या गठबंधन तोड़ने और मुख्यमंत्री बदलने से आंदोलन में शहीद हुए 750 किसान जिंदा हो जाएंगे?
2.क्या गठबंधन तोड़ने और मुख्यमंत्री बदलने से साढ़े 9 साल में पुलिस की गोली से मरे 100 लोग ज़िंदा हो जाएंगे?
3.क्या मुख्यमंत्री बदलने से बदमाशों की गोलियों के शिकार हुए लोगों की जिंदगी वापस मिल जाएगी?
4.क्या मुख्यमंत्री बदलने से हरियाणा के लोगों को उनके साढ़े 9 साल वापस मिल जाएंगे?
5.क्या मुख्यमंत्री बदलने से कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम मिल जाएगी?
6.क्या मुख्यमंत्री बदलने से घोटालों का सिलसिला थम जाएगा?
7.क्या मुख्यमंत्री बदलने से घोटालेबाजों को सजा मिलेगी?
8.क्या मुख्यमंत्री बदलने से जनता से लूटा गया सैंकड़ों करोड़ रुपया वापिस मिल जाएगा?
9.क्या मुख्यमंत्री बदलने से बेकाबू अपराध रुक जाएगा?
10.क्या मुख्यमंत्री बदलने से बेरोजगारी कम हो जाएगी?
11.क्या मुख्यमंत्री बदलने से बीजेपी जातिगत जनगणना पर राजी हो जाएगी?
12.क्या मुख्यमंत्री बदलने से आरक्षण विरोधी कौशल निगम खत्म हो जाएगा?
13.क्या मुख्यमंत्री बदलने से सरपंचों, कर्मचारी, कच्चे कर्मचारी, सफाईकर्मी, आशा वर्करों समेत हर वर्ग पर पड़ी लाठियां की मार छिप जाएगी?
हुड्डा ने पूछा कि अगर इन तमाम सवालों का जवाब ना में है तो बीजेपी-जेजेपी गठबंधन तोड़ने और मुख्यमंत्री बदलने का स्वांग क्यों रच रही हैं?
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