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चंडीगढ़ ब्रेकिंग:हरियाणा में स्टिल्ट प्लस चार मंजिल निर्माण को मिली अनुमति-पढ़े पूरी खबर।

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चंडीगढ़:हरियाणा के नगर एवं आयोजना और शहरी संपदा मंत्री जे पी दलाल ने आज घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेशभर में राज्य सरकार द्वारा अब स्टिल्ट प्लस चार मंजिल (एस+4) निर्माण को अनुमति दी गई है। पुरानी कॉलोनियों में भी शर्तों के साथ एस+4 के निर्माण को अनुमति दी गई है। सरकार के इस निर्णय से आम जनता को काफी फायदा होगा। जेपी दलाल आज यहां पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि स्टिल्ट+ 4 मंजिलों के निर्माण की अनुमति उन कॉलोनियों/सेक्टरों में स्थित आवासीय भूखंडों के लिए बिना किसी शर्त के दी जाएगी, जिनका लेआउट प्लान प्रति प्लॉट चार आवासीय इकाइयों के साथ अनुमोदित है। इसके अलावा, पहले से ही लाइसेंस प्राप्त दीन दयाल उपाध्याय जन आवास योजना कॉलोनियों में, जहां प्रति प्लॉट चार आवासीय इकाइयों के लिए सेवा योजना अनुमोदित/संशोधित हो, वहां भी एस+4 मंजिलों के निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
पुरानी कॉलोनियों व सेक्टरों में एस +4 निर्माण के लिए पड़ोसियों की लेनी पड़ेगी अनुमति
जेपी दलाल कहा कि ऐसी कॉलोनियों और सेक्टरों में, जहां लेआउट प्लान प्रति प्लॉट तीन आवासीय इकाइयों के साथ अनुमोदित है, लेकिन केवल ऐसे आवासीय भूखंडों, जिनके पास 10 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़क है, उनमें भी कुछ शर्तों के साथ स्टिल्ट+4 मंजिल के निर्माण की अनुमति होगी। उन्होंने बताया कि ऐसी कॉलोनियों में, जहां व्यक्ति अब एस+4 का निर्माण करना चाहता है, तो उस स्थिति में मालिक को पहले पड़ोसियों से सहमति प्राप्त करनी होगी। यदि पड़ोसी सहमति प्रदान नहीं करते हैं तो वह व्यक्ति साथ लगते मकान से सभी मंजिलों के लिए 1.8 मीटर की जगह (साइड सेटबैक) छोड़कर एस+4 का निर्माण कर सकता है। हालांकि सरकार ने यह प्रावधान किया है कि यदि पड़ोसी एस+4 के निर्माण के लिए अपनी सहमति नहीं देता है, तो वह स्वयं भी भविष्य में एस+4  का निर्माण करने के लिए अपात्र होगा। जेपी दलाल ने स्पष्ट किया कि यदि  प्लॉट पर पहले से 3 मंजिल व बेसमेंट बनाने की अनुमति है तथा अब स्टिल्ट+4 निर्माण की अनुमति ली गई है, तो बेसमेंट के निर्माण और कॉमन दीवार पर भार का डालने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, ऐसे मामलों में आसपास के प्लॉट मालिकों की आपसी सहमति से बेसमेंट के निर्माण और कॉमन दीवार पर भार डालने की अनुमति होगी। इसके अलावा, यदि बिल्डिंग प्लान के अनुमोदन और निर्माण के लिए आवासीय प्लॉटों की पूरी पंक्ति को एक बार में बनाया जाता है, तो कॉमन दीवार के निर्माण की अनुमति दी जाएगी। किसी भी स्थिति में 10 मीटर चौड़ाई और 250 वर्ग मीटर क्षेत्र से कम के प्लॉटों पर बेसमेंट के निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। जेपी दलाल ने बताया कि हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा जो प्लॉट इनबिल्ट परचेजएबल फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) के साथ नीलाम किए गए और पड़ोसियों की सहमति या लिए 1.8 मीटर की जगह (साइड सेटबैक) की शर्त पूरी करते हैं, उनके मालिक या तो एस+4 निर्माण कर सकते हैं अथवा परचेजएबल डेवलपमेंट राइट्स (पीडीआर) रिफंड की माँग कर सकते हैं। यदि प्लाट मालिक स्टील्ट+4 मंजिल नहीं बनाना चाहता और कम पी.डी.आर. का लाभ लेना चाहता है, तो वह रिफंड के आवेदन की तिथि से 8 प्रतिशत ब्याज सहित रिफंड लेने का पात्र है। इस मामले में रिफंड का आवेदन रिफंड के आदेश जारी होने की तिथि से 60 दिनों के भीतर किया जा सकता है। वहीं, यदि प्लाट 4 या 3 मंजिल निर्माण की अनुमति में नहीं आता है, तो आवंटी रिफंड के अनुरोध की तिथि से 8 प्रतिशत ब्याज सहित नीलामी की पूरी राशि वापिस पाने का पात्र होगा। इस मामले में भी रिफंड का आवेदन रिफंड के आदेश जारी होने की तिथि से 60 दिनों के भीतर किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि संबंधित एजेंसियों द्वारा एस+4 के अनुमोदन की एवज में 1178.95 करोड़ रुपये की राशि एकत्रित हुई, जिनमें नगर एवं ग्राम आयोजना द्वारा 689.8 करोड़ रुपये, एचएसवीपी द्वारा 466.3 करोड़ रुपये, एचएसआईआईडीसी द्वारा 2.62 करोड़ रुपये, शहरी स्थानीय निकाय विभाग द्वारा  20.23 करोड़ रुपये की राशि शामिल है। इस राशि का उपयोग सभी सेक्टरों/कॉलोनियों के आधारभूत संरचना में वृद्धि करने के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि विभाग एस+4 मामलों से संबंधित मुद्दों के निपटान और समय-समय पर एस+4 मंजिलों से संबंधित अनुमतियों सहित विभिन्न सूचनाओं को सार्वजनिक करने के लिए पोर्टल स्थापित करेगा। उन्होंने बताया कि स्टिल्ट क्षेत्र के कवर करने की पद्धति को समाप्त करने के लिए, भविष्य में बिल्डिंग प्लान को मंजूरी देते समय या कब्जा प्रमाण पत्र प्रदान करते समय, शर्त लगाई जाएगी कि यदि स्टिल्ट क्षेत्र में पूर्णतः या आंशिक रूप से कवर हुआ है तो बिल्डिंग प्लान की मंजूरी या कब्जा प्रमाण पत्र का अनुमोदन वापस लिया माना जाएगा। जे पी दलाल ने कहा कि ऐसे सभी मामलों के लिए जहां आज तक बिल्डिंग प्लान की मंजूरी के बिना एस+4 निर्माण किया गया है, उनके लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की गई हैं। इनके अनुसार ऐसे सभी व्यक्ति, जिन्होंने इस तरह का अनाधिकृत निर्माण किया है, वे कंपोजिशन ऑफ ऑफेंस के लिए सक्षम प्राधिकारी को आवेदन कर सकते हैं। अनधिकृत निर्माण के ऐसे सभी मामलों में, जहां निर्माण के समय, साथ लगते भूखंड स्वामियों द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई थी, तो कंपोजिशन ऑफ ऑफेंस के लिए आवेदन प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर अनुमति कंपोजिशन शुल्क की वसूली की जाएगी। हालांकि, जहां निर्माण के समय साथ लगते भूखंड स्वामियों द्वारा आपत्ति दर्ज की गई थी, तो शिकायतकर्ता से पारस्परिक समझौते / सहमति प्रस्तुत करने के लिए एक और अवसर दिया जाएगा। यदि आवेदक शिकायतकर्ता की सहमति प्रदान करने में असमर्थ रहता है, तो मामले का निर्णय स्पीकिंग ऑर्डर पारित करके किया जाएगा। ऐसे कंपोजिशन ऑफ ऑफेंस की अनुमति ‘बिल्डिंग प्लान की स्वीकृति के बिना किए गए निर्माण और हरियाणा बिल्डिंग कोड के प्रावधानों के अनुरूप निर्माण’ के लिए निर्धारित दर से 10 गुणा अधिक कंपोजिशन फीस वसूलने के बाद दी जा सकती है। जे पी दलाल ने बताया कि पहले 2.5 मंजिल के निर्माण के साथ एफएआर की अनुमति मिलती थी। उसके बाद यदि मालिक तीसरी या चौथी मंजिल बनाना चाहता है, तो उसे अतिरिक्त राशि का भुगतान कर एफएआर की मंजूरी लेनी पड़ती है। अब सरकार ने 250 वर्ग मीटर से अधिक और 350 वर्ग मीटर तक के प्लॉट के लिए निर्धारित दरों में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि की है।इस अवसर पर नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरूण कुमार गुप्ता, नगर एवं ग्राम आयोजना विभाग के निदेशक अमित खत्री सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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