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चंडीगढ़:‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’’ को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य है- राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय

अजीत सिन्हा की रिपोर्ट 
चण्डीगढ़: हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि ‘‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020’’ को लागू करने वाला हरियाणा पहला राज्य है। नई शिक्षा नीति के लागू होने से पूरे देश में एक नए युग की शुरूआत हुई है, जिससे भारत का नव-निर्माण होगा और युवाओं का भविष्य भी स्वर्णिम होगा। राज्यपाल आज राजभवन में हरियाणा विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कुलसचिव की एक दिवसीय कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर को सम्बोन्धित कर रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा के मुख्यमंत्री  मनोहर लाल एवं शिक्षा मंत्री कंवर पाल भी उपस्थित रहे।

राज्यपाल दत्तात्रेय ने कहा कि शिक्षा की क्रान्ति में हम सबको बढ़-चढ़ कर भाग लेना है और राष्ट्र हित में भारत के भविष्य को नई शिक्षा नीति के अनुरूप ढालने का सकारात्मक प्रयास करना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को देश में सफलतापूर्वक लागू करने में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस नीति के तहत विश्वविद्यालयों में वर्तमान की मांग के अनुसार नए रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि कई विश्वविद्यालय नए पाठ्यक्रमों की शुरूआत कर चुके हैं, यह बहुत सराहनीय कार्य है। दत्तात्रेय ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य समन्वय स्थापित करना और उनके द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा करना भी है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू करने और प्रदेश में इस नीति के सही क्रियान्वन करने के लिए केन्द्र व हरियाणा सरकार बधाई की पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इस नीति में मल्टीपल एंट्री और एग्जिट (बहु स्तरीय प्रवेश एवं निकासी) व्यवस्था लागू की गई है, जो कि छात्रों के लिए हितकर होगी। उन्होंने कहा कि इस नीति की यह भी विशेषता है कि इसमें वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधान कार्यों को ‘‘नैशनल रिसर्च फाउडेशन’’ बनाकर नियंत्रित किया जाएगा, जिससे शोद्यार्थियों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में सांकेतिक एवं चिन्हित भाषा का प्रयोग, एक भारत-श्रेष्ठ भारत तथा वन नेशन-वन डिजिटल प्लेटफार्म आदि कार्यक्रमों को भी पूरी तरह लागू किया गया है।

कार्यशाला में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं कुलसचिवों का आह्वान किया कि वे शिक्षा के आयाम को उच्चस्तर पर ले जाने का मुख्यध्येय बनाएं और उसे निर्धारित समयावधि में पूरा करें, ताकि इसका लाभ प्रदेश के हर युवा को मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में नई शिक्षा नीति के सारे प्रावधान 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पूरा करने में विश्वविद्यालयों को अहम योगदान रहेगा। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, उच्चतर शिक्षा के ग्रेड को कैसे उंचा उठाया जाए, इसके लिए विश्वविद्यालयों को पहल करनी होगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा राष्ट्रीय राजधानी के नजदीक होने से विदेशी छात्रों के आकर्षण का केन्द्र बन सकता है। जिस प्रकार गुरूग्राम की पहचान औद्योगिक नगरी और कुरूक्षेत्र की पहचान धर्मनगरी के रूप में पूरे विश्व में बनी हुई है, इसी प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश को विख्यात बनाना है।उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को पूर्व छात्रों का डाटा एकत्रित करके उनसे तालमेल स्थापित कर हर विश्वविद्यालय स्तर पर मिलन समारोह आयोजित करने के प्रयास करने चाहिए। इसके अलावा,विश्वविद्यालयों को सैल्फ फाईनैसिंग के प्रशिक्षण शुरू करने चाहिए। उन्होंने कहा कि सैल्फ फाईनैसिंग में जो गरीब विद्यार्थी हैं उनकी फीस हरियाणा सरकार वहन करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि नकल पर अकुंश लगाने के लिए विश्वविद्यालयों को मूल्यांकन और अुनसंधान करने तथा नकल की प्रवृति को रोकने के लिए नई तकनीक विकसित करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि युवा सकारात्मक ढंग से अपने ज्ञान को बढ़ाएंगे तो उनके ज्ञान का सदुपयोग हो सकेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की उर्जा को समाजसेवा के साथ जोड़े और उसका सम्बन्ध परीक्षा से भी बनाएं, ताकि विद्यार्थियों की रूचि समाजसेवा से जुड़े और उनकी प्रवृति निस्वार्थ भाव काम करने की बने। मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार का मुख्य उद्देश्य समाज के अत्यंत गरीब व्यक्ति का जीवन स्तर उठाना है। इसके लिए मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना में 6 विभाग मिलकर कार्य कर रहे हैं। इस योजना के माध्यम से हर एक परिवार की आमदनी 15 हजार रूपये मासिक की जानी है। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति सक्षम नहीं है और हमारी योजना के अधीन आता है उसे उनके घर पर लाभ देना ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है। शिक्षा ही ऐसा साधन है जिसके माध्यम से हर परिवार के स्तर को उंचा उठाया जा सकता है।कार्यशाला में चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आलोक निगम ने मेडिकल शिक्षा, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव  आनन्द मोहन शरण ने तकनीकी एवं उच्चतर शिक्षा के बारे में प्रस्तुति दी। हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद् के चेयरमैन प्रो. बी. के. कुठियाला, उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक  विजय दहिया, सचिव राज्यपाल  अतुल द्विवेदी सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति व कुलसचिव ने भाग लिया।

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